Sunday 28 January 2024

कविता

 न तेरे संग रहने का कोई अरमाँ है अब

न तेरे दूर जाने है कोई अब गम मुझे

तू खुश है अपनी ज़िंदगी मे ये बहुत है

क्योंकि न तू , न मैं हमदर्द समझू तुझे

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