Friday 16 August 2024

दर्द भरी शायरी

 अब  हकीकत  से, हसीं  ये ख्वाब लगने लगे हैं

भूले  बिसरे  अपने, वहा हर दिन मिलने लगे हैं

जी चाहता है, एक गहरी नींद मे अब सो जाऊ

ख्वाबो मे सही,मोहब्बत के फूल वहा खिलने लगे हैं

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