Monday, 22 December 2025

शरीर नही आत्मा देखिये

 जब तक मनुष्य धर्म/ जाती/ लिंग् के आधार पर भेद भाव करना बंद नही करेगा तब तक देश ही नही संसार मे मानवता शर्मसार होती रहेगी, हर स्त्री पुरुष को ये समझना चाहिए जानना चाहिए की ये देह आत्मा का एक वस्त्र मात्र है, जब ये वस्त्र पुराना खराब हो जाता है तब आत्मा नवीन देह रूपी वत्र धारण करने चली जाती है, अर्थात जब आत्मा को इसका मोह नही तो तुम मोह क्यों करते हो, क्यों जाती धर्म लिंग् के आधार पर लड़ते घ्राणित कार्य करते हो, तुम खुद भी एक जीव आत्मा हो और जिसकी निंदा कर रहे हो जिसका गलत कर रहे हो वो भी एक जीव आत्मा है, आखिर क्यों तुम अपने अहंकार या अग्यानवश् जाती धर्म लिंग् के आधार पर व्यभिचार गलत आचरण करते हो, आध्यात्म हमें सिखाता है ईश्वर एक है और समस्त जीव आत्मा उस परमात्मा से निकली और ऊर्जा प्राप्त करती है, सांझेप में कह सकते है सूक्ष्म धागे से परमात्मा से बंधी रहती है, जैसे ईश्वर और परमात्मा किसी जाती धर्म लिंग् से ताल्लुक नही रखते वैसे आत्मा नही रखती न ही उसमे इंद्रियाँ होती है जो भाव प्रकट कर सके किंतु देह मे इंद्रियाँ होती है पर इन पर नियंत्रण की शक्ति भी केवल मनुष्य के पास है तभी पशु और मनुष्य मे अंतर है किँतु आज मनुष्य केवल देह से मनुष्य बनता जा रहा है अंदर से पशु हो रहा है, जाती धर्म लिंग् भाषा वेश भूषा बाहरी आवरण पर ही अब उसकी इंसानियत ठहर चुकी है, आज मानव बस देह से मानव है तभी अपराध चरम पर और इंसानियत शर्मसार हैं।। 

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