Archana Mishra:
"काश कोई खूबसूरत ,वो शाम हो,सामने हो तू मेरे,हाथ मे जाम हो
देख तेरे हुश्न को ,पी ले निगाहों से
पर न तू और न , हम बदनाम हो"
"क्यूँ हो खफ़ा बता दो
है जो वज़ह बता दो
हुई गर खता माफ़ करना
इश्क की न यु सज़ा दो"
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Archana Mishra:
"काश कोई खूबसूरत ,वो शाम हो," रब से माँगी कोई ,इक दुआ हो तुम
या मोहब्बत मे मिली, कोई सज़ा हो तुम
सोचा नही था इश्क मे ,ऐसा मुकाम आयेगा
मुझे छोड़ के किसी और पे, मेहरबाँ हो तुम"
"तेरे लिए, हद से गुज़र जायेंगे,
तेरे लिए ,क्या कुछ कर जायेंगे
तू न लेना ,इम्तिहा मोहब्बत का
बिन तेरे, जीते जी मर जायेंगे"
बहुत कुछ है कहने को ,पर जुबाँ खामोश है
दूर है तुझ से पर इसमें ,न तेरा न मेरा दोष हैटूटे हुए दिलके साथ, जीना सीख लिया
गमो में डूब कर, मुस्कुराना सीख लिया
शायद ज़िंदगी की कला ,अब समझ आई
ज़ख़्म छिपाने के लिए, पीना सीख लिया
अपने हो कर भी गेर लगने लगे हो,
पास रह कर भी दूर होने लगे हो,तेरे इश्क मे आज एक कहानी लिख दूँ
मोहब्बत की दास्ताँ जुबानी लिख दूँ
तू हो राजा मेरा और बनू मे तेरी रानी उसमे
नाम तेरे अपनी ये ज़िंदगानी लिख दूँ