Tuesday, 23 June 2020

हिंदी रोमांटिक शायरी

दिलकी बात किसीसे बताई नही जाती

लाख चाहने पर भी ये छिपाई नही जाती

एक याद है उनकी दिलमे मेरे ऐसे बसी

जो चाह कर भी मुझसे मिटाई नही जाती"

शायरी-हिंदी रोमांटिक

"काश तुम देख सकते इन रात के अंधेरो में मुझे

की तुम्हारी याद अब मुझे सोने भी नही देती" 

Wednesday, 17 June 2020

मेरी शायरी

1-"आ भी जाओ अब तुम बाहों में मेरी
की कब तक खुद को यु संभालूं में"

2-"पल पल कमी तुम्हारी खलती है
जब ये हवा छूकर मुझे निकलती है
होती है महक इसमें तुम्हारी ही
जब ये टकरा कर मुझसे चलती है"

Tuesday, 16 June 2020

Romantic shayri-hindi




"आज कुछ ऐसे तेरे सीने से लग जाऊँ मैं
तेरी हर धड़कन को कुछ यु सुन पाऊँ में
तेरे दिल की बात मेरे दिल तक पहुँच सके
मेरे हमदम कुछ ऐसे आज तेरी बन जाऊँ में"

Sunday, 14 June 2020

रोमांटिक कविता

"लब हैं खामोश पर दिल कुछ कहना चाहता है
इस मदहोश रात में आज ये तेरा होना चाहता है
कुछ तुम हो चुप कुछ शरमाये से हम भी है बैठे
बढ़ाओ कुछ कदम दिल तुम्हारा होना चाहता है

तन्हा ज़िंदगी मे ये दिल अब तुम्हे पाना चाहता है
संग जिये  'मीठी-खुशी' के वो पल जीना चाहता है
तोड़के ज़माने की रस्मों और रिवाज की ये जंजीरे
आज मोहब्बत में तेरी मेरा दिल खोना चाहता है"



Saturday, 30 May 2020

कहानी-short story






एक व्यक्ति किसी महिला से मिला,  उससे कहा कि मैं बहुत भूखा हूँ, बहुत दिनों से भोजन देखा तक नही, मुझे भोजन चाहिए।


इस प्रकार हर रोज़ वो उस महिला के पास जा कर वो उससे भोजन मांगता, पहले तो महिला ने उस पर ध्यान नही दिया लेकिन एक दिन सोचा शायद ये सच में भूखा है, और उसने उस आदमी को भोजन खिलाने का मन बनाया जब वो फिर उसके पास भूख की बात कहने आया।


महिला ने जब भोजन देने की बात की तो वो व्यक्ति बोला किस नाते से मुझे भोजन दोगी, महिला बोली जिस नाते से तुम भोजन खा सको।


इस तरह वो व्यक्ति उस महिला से भोजन खाने आने लगा, किंतु फिर उसने आना कम कर दिया लेकिन महिला प्रतिदिन उस आदमी के लिए भोजन निकालती रही, जब उस आदमी ने भोजन खाने आना पूरी तरह बंद कर दिया तो वो महिला उसके घर भोजन पहुचा कर आने लगी।


लेकिन फिर एक दिन वो आदमी उस महिला से बोला , "मुझे तुम्हारे भोजन की जरूरत नही है, हर रोज़ ले कर चली आती हो अच्छा नही लगता, मैं अपनी पसंद का कुछ खा नही सकता, अगर कभी मेरी पसन्द का बने तो लाना अन्यथा भोजन ले कर नही आना, मै मर जाऊँगा ये और इतना खा कर , मुझसे नही हज़म होता ये, पेट फट रहा है इतना खा कर,अब कल से मत लाना अपना भोजन मैं हाथ जोड़ता हूँ तुम्हारे👐"।


महिला का दिल टूट गया और सोचने लगी कि क्या भूख भूख चिल्ला कर उससे भोजन की मांग करने वाला आदमी सचमें क्या भूखा था या फिर झूठ बोला था अपनी किसी जरूरत को पूरा करने के लिए, शुरुआत में उस महिला के द्वारा दी गयी सूखी रोटी भी उस आदमी को अच्छी लगती थी लेकिन अब पकवान भी खराब लगते हैं, क्या सच मे उस आदमी को इसकी जरूरत भी थी उस महिला के दयालु स्वभाव का लाभ लेने उसके पास आया था।




मित्रों यही होता है जब किसी को जरूरत से ज्यादा प्यार मिल जाये बेहिसाब मिल जाये तो लोग इस प्यार को वैसे ही नही संभाल पाते जैसे वो आदमी उस महिला के भोजन को न संभाल पाया न हजम कर पाया, लेकिन किस को इसकी जरूरत सच में है जो प्यार को और उस भोजन को संभाल सके ऐसा व्यक्ति आज के माहौल में मिलना मुश्किल है लेकिन आपकी ज़िंदगी मे कोई है जो इतना प्यार देता हो तो संभाल के रखिये क्योंकि निःस्वार्थ प्यार आजकल न के बराबर ही मिलता है और जिसको मिलता  खुशनसीब होते हैं