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Monday 12 September 2011
Saturday 10 September 2011
Friday 9 September 2011
shayad tum na ho sako ab hmare.....
shayad tum na ho sako ab hmare.....
jindagi k iss mod pe pata chala ki tumse achcha hai koi nhi, khata ki hmne jo door jana chaha tha tumse, ab wapas hai aaye hum tumhare ye jaan kar bhi ki shayad tum na ho sako ab hmare.....
wo hi dikha gaya apne aukaat ko...
zindagi ka ek haseen pal samjh baithe the unke saath ko, bhula diya tha tumhare pyaar bhari baat ko, thaam liya tha ek ajnabi haath ko, chhodna chahte tumhe aur tumhari yaad ko, par na chhod paye tumhe aur na tumhari yaad ko jabki wo hi dikha gaya apne aukaat ko...
sirf tumhare liye........
chale gaye the door tumse kuch pal k liye, bahak gaye the hum kisi aur k liye, jab the saath unke fir b dil mein tumhari hi aas rahti thi, socha tha bhula denge tumhe beete huye kal ki tarah, par na bhula sake tumhe, chala gaya wo hume chhod k aur aaj fir tumhi ne apnaya hai mujhe, hai waada aaj tumse na hounge ab dur tumse ek pal k liye, jab jab aayenge iss duniya mein tab tak jiyenge sirf aur sirf tumhare liye........
Thursday 8 September 2011
क्या दर्द है मेरे सीने में कैसे बताऊ मैं
क्या दर्द है मेरे सीने में कैसे बताऊ मैं , क्यों रोती है मेरी आँखे कैसे समझाऊ मैं,
क्या दर्द है मेरे सीने में कैसे बताऊ मैं , क्यों रोती है मेरी आँखे कैसे समझाऊ मैं,
है बह रहे जो अश्क मेरी आँखों से ये अश्क नहीं ये तो वो लम्हा है उनसे दूर जाने का,
है बह रहे जो अश्क मेरी आँखों से ये अश्क नहीं ये तो वो लम्हा है उनसे दूर जाने का,
है
गम नहीं मुझे उनसे यु दूर होने का, गम तो बस है ये क्यों बनाया था उसने
मुझे अपना जब यु छोड़ जाना ही था, क्यों लोग अक्सर ऐसा करते हैं,पहले करते
हैं वादा फिर अक्सर तोडा करते हैं,क्यों करते है वो वादा अक्सर तोड़ जाने
के लिए,क्यों दिखाते हैं ख्वाब वो झूठे इस कदर रुलाने के लिए,क्या कम होते
हैं ज़िन्दगी में गम और भी जो दिल तोड़ने वाले अक्सर दिया करते हैं,
है
जो दर्द मेरे सीने में कोई जान नहीं सकता, होती है चुभन ऐसी कोई कुछ कर भी
नहीं सकता, रह रह कर तीस उठती है,रोती है मेरी आँख और जुबान सिर्फ तुझको
ही पूछती है,
दिल कहता है क्यों मिली मुझे ये सजा, क्यों हो गया वो बेवफा, क्या कम की थी मैंने वफ़ा या फिर वफ़ा के बदले मिली है मुझे ये सजा,
दिल कहता है क्यों मिली मुझे ये सजा,
क्यों हो गया वो बेवफा, क्या कम की थी मैंने वफ़ा या फिर वफ़ा के बदले मिली है मुझे ये सजा,
क्यों हो गया वो बेवफा, क्या कम की थी मैंने वफ़ा या फिर वफ़ा के बदले मिली है मुझे ये सजा,
होता पता अगर ये की है उसके दिल में बेवफाई इस कदर, न करते दिलों का सौदा उसे मान कर अपना हमसफ़र,
दिल तोडना आदत थी उनकी, दिल जोड़ने की बात वो करते थे, रहते हैं हम उनके दिल में फिर क्यों तस्वीर किसी और की वो रखा करते थे,
देख कर कभी हम ये उनसे पूछा करते थे,
जब रहते हैं हम दिल में तुम्हारे फिर क्यों तस्वीर किसी और की रखा करते हैं,
जब रहते हैं हम दिल में तुम्हारे फिर क्यों तस्वीर किसी और की रखा करते हैं,
वो भी हस कर जवाब दिया करते थे, जो है तस्वीर में वो नहीं है दिल में और जो है दिल में वो नहीं है कहीं इन तस्वीरों में,
दे कर ये जवाब हमको वो अक्सर बहलाया करते थे, हम भी उनके इस झूठ में अक्सर ही फस जाया करते थे,
जान
लेते अगर सब कुछ पहले से हम, ना रोते आज और न होते ज़िन्दगी में हमारी इतने
गम,जो डूबे हैं आज हम इन ग़मों के सागर में, जान लेते पहले ही उन्हें तो न
होते आज इस हालत में हम,
जान लेते हम अगर वो देंगे मुझे दर्द इस कदर तो
ना मिलते कभी उनसे यु अपना समझ कर,
अक्सर लोग अपना बना कर तनहा छोड़ जाते हैं, पह्लते हसाते हैं फिर ज़िन्दगी भर के आंसू आखों में दे जाते हैं,
जानते थे ये बात फिर भी क्यों ना समझ पाए उन्हें हम, खो गए उनमे और जब टूटा दिल तब होश में आये हम,
अक्सर लोग अपना बना कर तनहा छोड़ जाते हैं, पह्लते हसाते हैं फिर ज़िन्दगी भर के आंसू आखों में दे जाते हैं,
जानते थे ये बात फिर भी क्यों ना समझ पाए उन्हें हम, खो गए उनमे और जब टूटा दिल तब होश में आये हम,
है जो दर्द आज सीने में मेरे कैसे समझाऊ
मैं, हूँ गुनेहगार अपनी ही किसी और पे इलज़ाम क्यों लगाऊ मैं,है जो दर्द आज
सीने में मेरे कैसे समझाऊ मैं, हूँ गुनेहगार अपनी ही किसी और पे इलज़ाम
क्यों लगाऊ मैं,
हुई है उसे पहचानने में गलती मुझसे,उस गलती को छुपाऊ या फिर सबको बताऊ मैं,
रो रही है जो आँखे मेरी आज, ये बस है ही इसी काबिल, उन्हें देख कर आखिर इसी ने तो धड्काया था मेरा दिल,
क्या दर्द है मेरे सीने में कैसे बताऊ मैं , क्यों रोती है मेरी आँखे कैसे समझाऊ मैं,
क्या दर्द है मेरे सीने में कैसे बताऊ मैं , क्यों रोती है मेरी आँखे कैसे समझाऊ मैं,
है बह रहे जो अश्क मेरी आँखों से ये अश्क नहीं ये तो वो लम्हा है उनसे दूर जाने का,
है बह रहे जो अश्क मेरी आँखों से ये अश्क नहीं ये तो वो लम्हा है उनसे दूर जाने का,
क्या दर्द है मेरे सीने में कैसे बताऊ मैं , क्यों रोती है मेरी आँखे कैसे समझाऊ मैं,
क्या दर्द है मेरे सीने में कैसे बताऊ मैं , क्यों रोती है मेरी आँखे कैसे समझाऊ मैं,
kyon aaye the
kyon
aaye the kareeb jab dur jana hi tha, kyon banaya tha apna jab begana
karna hi tha, kyon dikhaye jhoothe sapne jab unme tumhe samana hi nhi
tha, kyon kiye the wade jab unhe iss kadar tod jana hi tha, na zidd ki
thi maine tumhe pane ki aur na aajmane ki, kahte ho wafa daar ho tum
jabke wafa kya hoti tumne kabi jana hi nahi tha....
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