Friday 13 April 2012

soch Hindi Artical


नमस्कार दोस्तों


आज मेरा ये आर्टिकल उन लड़कियों के लिए है जो दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में रहती हैं, पर इन शहरों में रहने के बाद भी उनकी सोच किसी गावों की लड़की या फिर किसी छोटे से कसबे में रहने वाली लड़की की तरह ही है, आज से लाघब्ग २५, ३० साल पहले जैसे लड़कियों  की सोच थी आज भी वैसे ही है, हालाकि कुछ हद तक इस सोच में सुधार आये पर वो आज के तेजी से बदलते दौर के लिए ना काफी है, कुछ लडकिय हैं जो वक़्त के साथ बदली हैं उनकी सोच बदली है पर आज भी ऐसी लडकिया कम ही है, आधुनिकता की बात करे हैं ऐसी लडकिय सिर्फ उँगलियों पर ही गिनी जा सकती हैं जिनकी सोच में ऐसे क्रन्तिकारी परिवर्त आये हैं और उन्होंने अपनी काबिलियत के दम पे समाज में अपनी एक अलग पहचान बनायीं है,
       अब हम बात करते हैं की आखिर लड़किओं की सोच वो कौन सी है जो उन्हें आज से २५, ३० साल पीछे ले जाती हैं, आज से २५, ३० साल पहले भी लड़कियों का मुख्या मकसद पड़ लिख कर किसी अछे से लड़के से शादी कर के घर बसने का होता था, वो खुद भी कुछ कर सकती है, मर्दों के बराबर या उनसे ज्यादा कमा सकती है, बिना किसी मर्द की सयाता  के वो उनके के बिना भी बेहतर ज़िन्दगी जी सकती हैं, वो इन सबके बारे में नहीं सोचती थी, और आज के इस बदलते दौर में भी ज्यादातर लडकिय बस ये ही सोचती हैं, बस आज बड़े शहरो में इतना सा फर्क जरुर आ गया है की जब तक लड़कियों की शादी नहीं होती तब तक वो कोई छोटी मोटी  नौकरी करने लगती हैं, पर वो भी बस ये सोचती हैं की जल्दी से उनकी शादी हो और उन्हें इस जॉब से छुट्टी मिले, अपने लॉन्ग टाइम करियर के बारे में वो नहीं सोचती, उनकी भी आखिर वो ही सोच होती की शादी के बाद पति ही उन्हें कमा के खिलेगा उन्हें फिर नौकरी की क्या जरुरत है. और कुछ लडकियों की  सोच होती है एक अमीर लड़के के साथ शादी करके उसके all ready establishd business को दुनिया की नज़र में सभलना, दुनिया की नज़र में हमने इसलिए कहा क्यों की वो सिर्फ अपने पति के ऑफिस में जा कर सिर्फ आराम फरमाती हैं बाकी काम तो उनके पति देव ही देखते हैं और लोगों से और जान्ने वालों की नज़र में बस ये ही रहता है की वो अपने पति के काम में हाथ बटाती हैं, वो ऐसा इसलिए करती हैं ताकि लोगों की नज़र में उनकी ऊँची प्रतिष्टा बनी रहे. वक़्त के साथ बस इतना सा ही सुधर हुआ लड़कियों  की सोच में की वो कम से कम दिखने के लिए ही सही ऐसा करने लगी है, पर अब सवाल उठता है की लडकिय वो भी महानगर जैसी जगह पे रहने वाली खुद क्यों नहीं ऐसा कुछ करती जिससे वो आर्थिक तौर पे आत्म निर्भर बन सके, समाज के लिए एक मिशाल बन सके, आखिर ऐसी कौन सी सोच है जिसकी वज़ह से लडकिय ऐसा करने से डरती हैं या फिर करना ही नहीं चाहती.


    मैंने काफी खोज बीन करी और ये निष्कर्ष निकाला की इन् सब बातों के पीछे कहीं ना कहीं लड़कियों का परिवार इसका जिम्मेदार है, दरअसल ज्यादातर परिवार है, छोटे शहरों या कस्बों से आ कर बड़े शहरों में बसे हुए हैं पर समय के साथ उनकी सोच यहाँ आकर बस इतनी ही बदली है की वो अपनी बेटियों को पढाने  लगे हैं, पर उन्हें भविष्य में पड़ लिख कर कुछ बनना है या फिर माँ बाप को उन्हें कुछ बनाना है ये उनकी सोच नहीं होती, उनकी होती है तो बस पड़ा लिखा कर किसी  अच्छे से लड़के से शादी कर के अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना, उनके ज़िम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ शादी ही होती है, बचपन से ही वो लोग  लड़कियों  की परवरिश ऐसी करते हैं ताकि लड़कियों  को बस ये लगे की उनका मुख्या लाख्स्य बस शादी कर के घर बसाना है, और बचपन से ही दी गयी ये ही शिक्षा उन्हें आगे बड़ने से रोकती है,

अब ये सवाल उठता  है की आखिर क्या वज़ह है जो माता पिता अपनी बेटियों के करियर से ज्यादा आज  भी सिर्फ और सिर्फ  उनकी शादी को ही महत्वा देते हैं, मैंने खोज बीन की काफी इस बारे में, अब हम यहाँ पे कुछ बाते बताते हैं जो माँ बाप सोचते हैं लड़कियों के बारे में उन्हें आर्थिक तौर पे आत्म निर्भर ना बनाने के लिए :


* अगर समय पे शादी नहीं हुई तो अच्छा लड़का नहीं मिलेगा,
* आखिर एक ना एक शादी करनी तो है ही, अभी करे या बाद में,
* लडकिया तो पराई होती हैं, जल्दी से जल्दी शादी कर के उन्हें उनके घर भेज देना चाहिए
* नौकरी वगेरा तो उसके पति की जिम्मेदारी है, वो करवाना चाहेगा तो करेगी, अगर हमने करने दी तो लोग कहेंगे की बेटी की कमाई खाते हैं,

* बेटी घर के बाहर काम करे, घर की इज्ज़त का सवाल बन जाता है
* अगर जल्दी शादी नहीं हुई तो दुल्हन बन्ती हुई शोभा नहीं देंगी,
* जल्दी शादी कर के अपने ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाए बस,
* शादी के बाद अपने पति का व्यापार देखेगी

इस तरह के कुछ तर्क है जो मैंने लड़किओं के माता पिता के तरफ से देखे, जब से लड़की पैदा होती है तब से उसके माँ बाप को बस उसकी शादी की ही चिंता सताने लगती हैं वो ये नहीं सोचते की उनकी बेटी का लक्ष्य सिर्फ शादी कर के घर बसाने का नहीं कुछ और भी हो सकता है, वो रानी लक्ष्मी बाई, इंदिरा गांधी जैसी महिलाओ की तरफ क्यों नहीं देखते जिन्होंने अपने बल पे खुद कामयाबी हासिल की और अपना नाम रोशन किया, उन्हें उनके पति के नाम से नहीं बल्कि उनके अपने नाम से समाज में जाना जाता है, कोई माँ बाप ये क्यों नहीं सोचता की उनके घर में भी क्या पता ऐसी ही कोई लड़की जन्मी हो, वो ये क्यों नहीं सोचते की बदलते वक़्त के साथ उन्हें अपने सोच बदलनी चाहिए, शादी उनका एक मात्र लक्ष्य क्यों  होता है, वो जरा ये भी तो सोचे अगर शादी के बाद लड़की के साथ उसके ससुराल वालों की तरफ से कोई अनहोनी हो गयी तो लड़की क्या करेगी, वो तो फिर से माँ बाप पर निर्भर हो जायगी या फिर जिंदगी भर अपने ससुराल वालों की ज्याद्त्ति सहती रहेगी, और मुझे नहीं लगता की इससे सिर्फ लड़की की किस्मत पे छोड़ना चाहिए.

      बदलते वक़्त के साथ लड़कियों के माता पिता को भी अपनी सोच बदलनी चाहिए, उन्हें उनकी शादी से पहले उनके करियर के बारे में सोचना चाहिए, उन्हें आत्म निर्भर बनाना चाहिए, उन्हें इतना आत्म निर्भर तो जरूर होना चाहिए की कल को अगर शादी के बाद उनके साथ कोई अनहोनी होती है ससुराल की तरफ से तो वो किसी पर बोझ ना बने और ना ही जिंदगी भर किस्मत मान कर अपने ससुराल वालों के अत्याचार सहती रहे, लड़किओं के माता पिता को ये समझना चाहिए की उनकी बेटी किसी भी तरह उनके बेटे से कम नहीं है, और जितना ध्यान वो अपने बेटे के करियर  और उससे आर्थिक तौर पे आत्म निर्भर बनाने पे देते हैं बेटी पर भी उतना ही दें, ये माता पिता भी जान ले की भले वो बेटी की शादी कर देंगे वो किसी और के  घर चली जायगी पर जब भी उसकी काबिलियत के दम पे समाज में उसका नाम होगा तो उसके ससुराल से जयादा उसके माता पिता का ही नाम होगा,

   माता पिता के साथ ही मेरा मानना ये है की लड़कियों भी बदलते वक़्त के साथ  अपनी सोच बदलनी चाहिए, उन्हें समझना चाहिए की वो भी किसी लड़के से कम नहीं है, और समाज में उन्हें अपने दम पर अपनी एक अलग पहचान बनानी है, उन्हें अपनी शादी और अमीर हमसफ़र की अपेक्षा ये सोचना चाहिए की वो खुद इस काबिल बने ताकि उनके पति का नाम उनकी काबिलियत की वज़ह से हो जैसे महारानी लक्ष्मी भाई, इंदिरा गांधी,शादी के बाद उनका पति ही उन्हें कमा के किलाय्गा ये सोच उन्हें बदलनी चाहिए, उन्हें अपने पति  पर पूरी तरह यु आर्थिक तौर पे आत्म निर्भर नहीं होना चाहिए, इसके साथ ही  एक अमीर व्यवसायी से शादी करने की अपेक्षा उन्हें खुद ऐसा करना चाहिए की भविष्य में वो अपने पति का नहीं बल्कि उनका पति उनका व्यवसाय देखे, उनके काम में हाथ  बटाए,  और मुझे लगता है की लडकिया ऐसा कर सकती हैं बस जरुरत है तो उन्हें अपनी सोच बदलने की..




धन्यवाद


अर्चना मिश्रा

khwaab


Kal raat ek khwaab dekha, usme dekhi kismat ki rekha, sitare the buland mere, tamam hauslon k saath maine khud ko badte dekha, khud ko aasman mein aur duniya ko neeche dekha, chhut gaya hai saath jinka mujhse aaj unhe bhi maine raat khwaab mein saath dekha, ya allah ye kaisa mazak tune kiya, h pta tuje na hoga koi khwaab mera poora, fir q  tune muje kal raat ye khwaab dekhaya, hai pata kismat mein meri hai likha sirf khona, hai kismat mein meri bas yu zameen pe rahna, na milega kabhi saath kisi mujhe kabhi, sooni rahegi meri ye zindagi har pal har kahi, rahegi sada dil me tees kisi ki bewafai ki, rahega dard seene mein kisi ki ruswai ka, ya khuda fir q tune mujko buland hauslon k saath aage badte iss khwaab mein dekhaya, bhoolna chaahte hai jisse hum ab ya allah q tune mujhe raat khwaab mein fir unse milaya....

Suna tha naam pyar h khushi ka.......


Suna tha naam pyar h khushi ka, suna tha naam pyar hassi ka, socha tha hmne shayad pyar naam h zindgi ka, par jab haqikat se hua samna tab pta chala pyar naam h berukhi ka, haqikat se hua saamna to pata chala pyaar to naam hai bewafai ka, jhooth aur fareb se bane rishte ka hi naam hai pyaar, khushi ke khwaab dikha kar aankho mein nami dene ka, pyaar to naam hai sirf tanhai ka....

True love

True love iz just like a bird, usse jitna apne paas rakhna chahoge wo tumse dur jane ki koshish krega par jab tum usse aazad chhod doge to wo jahan kahin b jayga aakhir last me tumhare paas hi aayga, aur agr na aaya wapas to samjh lena ki wo kabi tumhara tha hi nhi, aur jo tumhara nhi hai uske liye aansu bahane aur vilaap karne ka kya faayda..

Monday 9 April 2012

Dear God

Dear God thank you very much, aapne muje jo diya wo duniya me sabse kimti h, duniya me uski kimat koi nhi laga sakta aur wo chiz h mere friends, friend k liye to god b tarse h bt jo unhe na mila wo unhone muje diya, dost kisi b b/f g/f husband/wife se jyada hmare karib hote h, pati/patni ka bf/gf ka rishta ek bar baimaan sabit ho sakta h par achhe dosto ka sath kabi baiman sabit nhi hota, bhale kuch rishto k banne se 2 pariwar judte ho, par achhe dost k milne zindgi ki khushi k wo pal hme milte h jo shayad pariwar k milne pe b nhi milte, dear god mere sabi dost mere liye precious h and meri wish h ki hm log jahan b rhe hmari dosti and hm sabka ek dusre liye jo pyar and respect h kayam rhe..

pyar kya h........

Kisi ne puchga mujse pyar kya h kisi shayar ki gazal ya kisi lekhak ki kalpna, hmne kaha jo likha milta h kitabon me wo hi pyar naam k ek jeev ka naam h, jo aaj kal nhi paya jata, usne fir hmse puchha jo dikhta h duniya k baazar me wo b to yar pyar h hmne kaha ki shayad tmhara dimag kharab h, jo dikhta h duniya k bazar me wo pyar nahi uska sautela bhai dilon ka aur matlab ka vyavhaar h jise log  pyar se  hi dhokha bhi hai bulate..

Friday 6 April 2012

sad shayari collection

Jakhm de kr wo muskurane ko kahte h
 
Jakhm de kr wo muskurane ko kahte h, ghav de kr dard bhul jane ko kahte h, honge wo itne beraham hmne socha na tha, jo behte h ashk meri aankho se berukhi se unki wo aksar inhe chhipa k jeene ko kahte h..
 
 
 
 
 
 
gunah kr baithe
Ek khushi ki chah ka gunah kr baithe, tapti dophari me ek chhav ki aas kar baithe, jiske nasib me likhe ho aansu har pal bas zindgi se muskurahat pane ki ek ye khata kr baite..
 
 
 
 
 
 
aansuo ko paya
Khush rahne ki hasrat thi meri par waqt se sirf aansuo ko paya, kisi apne ki jarurat thi muje par halat se har pal dhoka khaya, chahat thi dil me koi mile muje b aisa jo kam kr sake dil se dard mera, par duniya ne muje yu akela chhod diya, aaj mere jine ka har maksad mujse dur kr muje tanha chhod diya....