Friday 4 January 2013

पौराणिक कथा भाग- १


पौराणिक कथा


बहुत पुरानी बात है, किसी जॅंगल मे एक महात्मा और उनकी पत्नी रहा करते थे, काफ़ी समय और तमाम तरह की पूजा पाठ के बाद भी उनके यहा कोई संतान नही जन्मी, आख़िर हार कर साध्वी ने ईश्वर से पूछा की भगवान मैने क्या ग़लती की है जिसकी वज़ह से मैं मा के सुख से वंचित हू, ईश्वर बोले ये सत्या है की तुम्हारे भाग्या मे संतान जन्मने का सुख नही है लेकिन माता बनने का सुख आवश्या है, साध्वी बोली प्रभु

 स्पष्ट बताए की आप कहना क्या चाहते है, प्रभु बोले तुम्हारे आश्रम मे जीतने भी पशु पक्षी है वो तुम पर आश्रित है, तुम्हे उनकी वैसे ही देख भाल करनी है जैसे एक मा अपने जन्म दिए बालक से करती है, ईश्वर की आगया मान कर साधु और साध्वी अपने उपवन के सभी पशु पक्षियो की माता पिता जैसी सेवा करने लगे, उन्हे अब अहसास होने लगा की वो अब इन्हे अपने बालक जैसा ही प्रेम करने लगे है, साध्वी तो उन्हे
 अपने जन्म दिए बच्चो जैसा ही प्रेम करती थी और उसे अहसास ही नही हुआ की उसके बालक एक मनुष्य नही अपितु पशु और पक्षी हैं, उनके बिना एक पल भी नई रह पाती थी, वो पशु पक्षी भी उन्हे अपने माता पिता समाज के उनसे प्रेम करते थे,

एक बार साधु और उसकी पत्नी को किसी काम से दूर किसी नगर जाना था, अब उन्हे चिंता हुई की उनके जाने के बाद उनके बालको का ध्यान कौन रखेगा, फिर उन्होने सोचा क्यू ना कुछ वक़्त के लिए इन्हे राजा के पास छोड़ आए, उन सभी पशु पक्षियो की भली प्रकार गिनती कर वो उन्हे राजा क पास छोड़ आए,


किंतु दुष्ट राजा ने साधु सधवी के जाने के बाद एक एक कर के उन सभी पशु पक्षियो को मार कर अपना आहार बना डाला, जब साधु साध्वी राजा क पास उन्हे लेने गये तो पता चला की उनके बालक अब जीवित नही है, वो तो राजा का आहार बन चुके है, गुस्से से आग बाबूला सन्यासी और सन्यासिन ने राजा को शाप दिया जैसे तूने ह्मारे बालको को अपना ग्रास बनाया ह वैसे ही तेरे कुल का नाश होगा, तेरे सभी पुत्रा काल का ग्रास

 तेरे ही समक्ष बनेंगे, जैसे ह्म तड़प रहे है अपने बच्चो के गम मे वैसे ही तू भी आजीवन उनके वियोग मे तडपेगा..

प्यारे दोस्तों ये शाप कौरवो को लगा था, जिसके कारण राजा धृाष्ट्राष्ट्रा ने अपने 100 पुत्रो को काल के मूह मे जाते हुए देखा और वो   उन्हे रोक भी ना पाए और उनके कुल का अंत हो गया, ये शाप था एक ऐसे माता पिता का जिनकी संतान कोई मानव नही अपितु पशु पक्षी थे..



मोरल थिंग: दुनिया का हर रिश्ता सच्ची प्रेम भावना से जुड़ा होता है, सच्चे प्रेम के कारण ही मानव और पशु पक्षियो के बीच की दूरी ख़त्म कर के उन साधु साध्वी को इतने सारे बालक मिले अपना घर आँगन चहकने क लिए और दूसरी तरफ उन बेज़ुबानो को माता पिता का प्यार और दुलार, प्यार और अच्छी परवरिश से जानवर भी मानव को मानव से ज़्यादा खुशी, प्रेम, सहारा, सहानुभूति, दोस्ती और अपनापन देते है इसके

 साथ ही जनवरो से प्रेम कर उनके प्रति क्रूरता को ख़त्म कर उन्हे भी मानव समान ही अधिकारो का समर्थन करती है, मित्रो कभी या मत समझो की ये जानवर है तो इसे दर्द नही होता होगा, इसमे भावना नही होती होगी, मित्रो इन्हे भी दर्द होता है इनमे भी मनुष्या के समान है भावनाए होती है, सिर्फ़ ये हम इंसानो की भाती बोल नही सकते तो इसका अभिप्राय ये नही की इनमे वो सब नही जो इंसानो को इंसान बनाता है
 और इन्हे पशु-पक्षी, इसलिए सदा इन बजुबान जनवरो पे ना सिर्फ़ दया भाव रखो अपितु हो सके तो इन साधु साध्वी की भाती अपना बालक-बालिका मान कर इनके माता-पिता होने का वो परम सुख प्राप्त करे जो उन साधु साध्वी ने हासिल किया है, ऐसा करनेआपको भी अहसास होगा इनके उस प्रेम का जो उन साधु-साधवी की प्राप्त हुआ था तथा उस पीड़ा का जो उनके इन बालको के जाने के बाद उन्हे मिली थी, काश आपको मेरे ये
 कहानी पड़ कर जनवरो के लिए दया, सहानुभूति, सहायता और प्रेमभावना विकसित होने लगे



आमीन  ..

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