Monday 21 October 2013

ईश्वर वाणी(भौतिक सुख )-51



ईश्वर कहते हैं " हे मनुष्यों तुम्हे इस संसार के इन भोतिक सुखो के पीछे नहीं भागना चाहिए, ये नहीं सोचना चाहिए की जो भी सुख है अभी यही इन विलासिताओ से भरी वस्तुओ की उपभोग में ही है, जो भी आत्मिक शान्ति है वो केवल इन सुखो को एकत्रत्रित करने और उनका उपभोग करने में ही है,

हे मनुष्यों ये जान लो अगर तुम जितना भी सुख यहाँ पर पाओगे और ईश्वर द्वारा बताये गए मार्ग पर न चल कर शेतान की राह पर चलोगे तब तुम्हे नरक के उस कष्ट को सहना होगा जो तुम्हे इस धरती पर नेक और भले कार्य करने पर आई मुश्किलों के कारण झेलने पड़ते किन्तु तुमने अपने इस भोतिक शरीर को हर दुःख से बचने हेतु उस कष्ट को न सहा और इश्वरिये आज्ञा के विरुद्ध हुए इसलिए तुम्हे इस शरीर में कैद आत्मा के उस कष्ट से अधिक कष्ट सहने होंगे ताकि इन कष्टों को सहने के बाद ये आत्मा शुद्ध हो कर अपने पापो के प्रायश्चित के काबिल हो  सके,



किन्तु हे मनुष्यों इश्वारिये कार्य को करते हुए तुम्हे यदि गलती से किये किसी कार्य की वज़ह से नरक भी जाना पड़ता है वो नरक का सुख भी तुम्हे इस संसार में व्याप्त समस्त भोतिक सुख सम्रधि  और विलासिता पूर्ण इस भोतिक शरीर के सुख से भी अधिक सुख देने वाला होगा, किन्तु यदि तुमने इश्वर की आगया की अवहेलना की केवल अपने स्वार्थ और अपनी विलासिता पूर्ण आगामी ज़िन्दगी के लिए तो तुम्हे इस शरीर के त्यागे जाने के पश्चात घोर दंड का भागी होते हुए कठोर नाराकिये जीवन जीना पड़ता है ताकि फिर से मनुष्य इस जन्म की गयी भूल को ना दोहराए अपितु अपनी गलतियों को प्रयाश्चित कर इश्वरिये लोक प्राप्ति का भागी बने "








2 comments:

  1. आपकी इस रचना को http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय अंक १/११/१३ में शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे शुक्रिया

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