Wednesday 6 August 2014

दिल में अभी यादे है बाकी तुम्हारी

"रब से बड़  कर थी दोस्ती तुम्हारी,
मोहब्बत से बड़ कर थी दोस्ती तुम्हारी,
देखा नही रब को मैने कही,
मिले थे जो तुम मुझे,
रब को था पाया मैंने  दोस्ती में तुम्हारी ,
वक्त का फेर है ये शायद,
कभी मिला कर दो अजनाबियो को दोस्त बनाता है,
और कभी दोस्त से  जुदा कर अजनबी बना देता है,
आज तुम नही हो पास हमारे कोई गम नही,
ज़िंदगी जीने के लिए इस दिल में अभी यादे है बाकी तुम्हारी"

No comments:

Post a Comment