Monday 9 March 2020

ईश्वर वाणी-282, पारलौकिक दुनियां



ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों जैसे पृथ्वी पर अनेक जलचर, थलचर व आकाश में उड़ने वाले प्राणी है व उनकी अपनी एक अलग दुनिया है ठीक वैसे ही एक दुनियां भौतिक देह त्याग चुकी आत्माओ की भी है।

जैसे सागर की गहराई में अनेक प्रकार के जीव रहते हैं, ये सागर ही उनका घर है, अगर उन्हें सागर से निकाल दिया जाए तो वो मर जाते हैं, ठीक वैसे ही थलचर जीवो को अगर सागर की गहराई में भेज दिया जाए तो वो जी नही सकते, कारण दोनों की अपनी अपनी अलग दुनिया के निवासी हैं और अपनी ही दुनिया के लिए बने हैं।

ठीक वैसे ही जीव-आत्माओ की भी दुनिया है, वहाँ भी यहाँ की भांति अच्छी बुरी जीवात्मायें रहती है, यधपि कुछ आत्माएं जो अपने परिवार या अपने किसी प्रिये के जीवित रहते करीब होती है मृत्यु के बाद भी कोशिश करते हैं उनके करीब रहे, उन्हें अहसास दिलाये की भले शरीर न सही पर अब वो उनके साथ है यधपि वो अब इस भौतिक जगत की निवासी नही रही।

कुछ व्यक्ति आधुनिकता के नाम पर उस पारलौकिक दुनिया पर भरोसा न करके उसका उपहास करते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि उनके अपने कर्म जो पिछले जन्म और इस जन्म के ऐसे  नही रहे जो उन्हें उस सत्य से अवगत कराएं जो परम है, सत्य वो नही जो दिखता है, सत्य वो है जो दिखता नही पर होता है।

हे मनुष्यों आध्यात्म से जुडो ताकि तुम्हे भी उस परमकी प्राप्ति हो जो सत्य है जिससे तुम्हारी आत्मा का पूर्ण विकास हो उसका कल्याण हो।"

कल्याण हो

No comments:

Post a Comment