ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यद्धपि मैं ईश्वर हूँ, सृष्टि का असली मालिक हूँ किँतु इसकी रचना और संचालन हेतु मैंने ही विभिन्न रूपों का निर्माण किया। हालाकिं इसके विषय मे पहले भी बता चुका हूँ किँतु कुछ संछिप्त जानकारी आज तुमको देता हूँ।
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Monday, 19 October 2020
ईश्वर वाणी-293 आखिर कौन है परमात्मा
Saturday, 17 October 2020
ईश्वर वाणी-292 आध्यात्म में अंक 7 का महत्व
ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों यद्धपि तुमने मेरे विषय में सुना है, पड़ा है किँतु जानते भी हो कि आखिर में रहता कहाँ हूँ, आखिर मेरा अस्तित्व क्या है हालांकि इस विषय मे पहले भी बता चुका हूँ किंतु आज फिर तुम्हें बताता हूँ।
Friday, 16 October 2020
ईश्वर वाणी-291, सबकुछ मैं ही हूँ
ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यद्धपि इस संसार में सबकुच मेरी ही इच्छा से होता है, मेरी इच्छा के बिना कुछ भी सम्भव नही है।
ईश्वर वाणी-290 अकाल मृत्यु व स्वाभाविक मृत्यु में भेद
ईश्वर वाणी- अकाल मृत्यु व स्वाभाविक मृत्यु में अंतर
ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यद्धपि सुना और देखा है कई मृतक जीवों को, तुमने सुना भी होगा कि अगर कोई बालक या युवा जब उसकी मृत्यु होती है तो कहते हैं लोग की इसकी अकाल मृत्यु हुई है, शास्त्रों में भी अकाल मृत्यु के विषय मे लिखा है जहाँ वही ये भी लिखा है कि जन्म के समय से ही तय है कि किसकी मृत्यु कब और कैसे होगी फिर अकाल मृत्यु कैसे हुई क्योंकि सब कुछ तो पहले ही लिखा जा चुका है।
किँतु आज तुम्हें बताता हूँ कि अकाल मृत्यु और स्वाभाविक मृत्यु में क्या भेद है, आखिर क्यों किसी की मृत्यु को अकाल कहा जाता है जबकि सबकुछ पहले से तय है।
हे मनुष्यों ये आवश्यक नही की केवल किसी शिशु, बालक या युवा की मृत्यु हुई है तो केवल वही अकाल है, क्योंकि निश्चित समय से पहले हुई किसी की भी मृत्यु अकाल ही होती है यद्धपि तुम फिर कहोगे की अकाल कैसे हुई क्योंकि सबकुच पहले से ही तय था।
हे मनुष्यों अकाल मृत्यु वो होती है जिसको समय रहते टाला जा सकता है, अर्थात कुछ न कुछ संकेत प्रकति के माध्यम से तुम्हें अवश्य मिलते हैं जिन्हें अगर तुमने समझा तो तुम किसी का जीवन बचा सकते हो जैसे-यदि कोई व्यक्ति बीमार है और इलाज नही करा रहा जबकि उसकी बीमारी ठीक होने वाली है कोई असाध्य रोग उसको नही है, किंतु वो अपना इलाज नही कराता और हर दिन उसकी दशा और खराब होती जाती है फिर एक दिन उसकी बीमारी असाध्य बन जाती है और फिर वही उसकी मौत की वजह बनती है, इस प्रकार की मृत्यु ही अकाल होती है।
कोई व्यक्ति किसी की हत्या करने का प्रयास करता है और प्रहार करता है, घायल व्यक्ति को उपचार हेतु चिकित्सक के पास ले जाया जा सकता था जिससे उसके जीवन की रक्षा होती किँतु ऐसा नही हुआ तो ये हुई अकाल मृत्यु।
किसी व्यक्ति के साथ कोई दुर्घटना घटी, व्यक्ति घायल हुए, ऐसे में उसको सही चिकित्सा मिले तो ठीक हो जाये पर लोग सिर्फ उसके मरने का तमाशा देखते हैं ऐसे मृत्यु अकाल कहलाती है।
यदि कोई आत्महत्या, काला जादू, टोना-टोटका व नकारात्मक शक्तियों के माध्यम से किसी की हत्या करता है तो ऐसी मौत अकाल कहलाती है क्योंकि इन्हें सही समय पर टाला जा सकता था और मेरे द्वारा कुछ संकेत दिए भी जाते हैं कि इसकी अकाल मौत होने वाली है इसकी रक्षा करो पर लोग इस पर ध्यान नही देते।
इस प्रकार जिस भी तरह से मृत्यु हुई है जाना जा सकता है वो अकाल है या नही।
वही यदि स्वाभाविक मृत्यु होगी तो सबसे पहले उम्र आती है, यदि व्यक्ति की उमर काफी हो चुकी है तो देह का त्यागना स्वाभाविक है।
वही यदि कोई गंभीर बीमारी है जो काफी समय से चल रही थी, इलाज़ के बाद भी तबियत न सुधर रही हो तो ये भी 1 स्वाभाविक मृत्यु होती है।
वही यदि किसी की मृत्यु किसी के माध्यम से होना लिखा है और इसको टाला नही जा सकता तो कोई न कोई कारण ऐसे जरूर बनेंगे की व्यक्ति उपचार से पूर्व ही अर्थात बेहतर उपचार के बावजूद उसकी जान नही बच पायेगी।
किसी हादसे अथवा किसी के द्वारा हत्या होने अगर लिखा है तब भी कोई न कोई वजह ऐसी जरूर बनेंगी की हर तरह की कोशिश के बाद भी नही उसको बचा सकते, अर्थात उनकी मौत को टालने की लाख कोशिश करो पर नही उनकी जान बच सकती।
बहुत ही बारीक भेद है स्वाभाविक मृत्यु और अकाल मृत्यु का, किँतु यदि ये समझ लिया तो तुम्हे पता चल जाएगा कि उक्त व्यक्ति की मृत्यु किस प्रकार है फिर उसकी अगली यात्रा हेतु वैसे ही प्राथना करो जिससे उक्त व्यक्तिवकी आत्मा को शांति मिले"
कल्याण हो