Saturday 3 February 2024

ईश्वर वाणी-297, ईश्वर कहाँ है, कौन है

 

एक सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति जब भी उस परम शक्ति का नाम लेता है तो कहता है 'ईश्वर तुम्हारा भला करे', अथवा बात बात पर उसके मुख से ईश्वर शब्द निकलता, ईश्वर शब्द किसी धर्म और धार्मिक मान्यता को नही दर्शता, ईश्वर शून्य है जैसे तुम्हारे जन्म से पूर्व तुम्हारा ये शरीर शून्य था और मृत्यु के बाद शून्य हो जायेगा, ईश्वर शब्द सभी देव, देवता, भगवान्, नबी, अल्ला, गॉड, गृह, नक्षत्र सभी बड़ी से बड़ी दिव्य ऊर्जाओ को ख़ुद मे समाये है जबकि भगवान् शब्द तुम्हे देह से जोड़ता है जो नाशवान है, यही कल्पना तुम्हें मूर्ति से जोड़ती है, यही विचारधारा आध्यात्मिक उन्नति मे बाधा है क्योंकि तुम इससे उपर बड़ना ही नही चाहते, खुद को इस मूरत मे बांध लिया और इसी को सत्य मान कर आपस धर्म के नाम पर लड़ते हो, पर सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति इससे उपर उठ चुका है, वो चाहे घर पर हो अथवा मंदीर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे सब स्थान पर सिर्फ ईश्वर को देखता है न की शरीर और शरीरिक कार्यो को जिसको भगवान् ने इस शरीर द्वारा किए, क्योंकि शरीर नश्वान है मिट गया और ऊर्जा फ़िर दूसरी देह मे चली गयी पर ईश्वर न मिटा है न मिटेगा, ऐसी अनन्त ऊर्जा का वो स्वामी है, इसलिए वो ईश्वर है, जो समस्त जीवों मे है, अनन्त ब्रह्मांड मे है, जिसको किसी स्थान विशेष की आवश्यकता नही क्योंकि वो तो हर स्थान पर है,
पाप मे भी वो है शैतान स्वरूप मे, नेकी मे भी वो है भगवान् स्वरूप मे। इसलिए सच्चे आध्यात्मिक व्यक्ति उस ईश्वर को पूजते है भले अपने ईष्ट स्वरूप किसी भगवान् की वो पूजा करते हो।

जय हो परमपिता पर्मेश्वर् की
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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