अब हकीकत से, हसीं ये ख्वाब लगने लगे हैं
भूले बिसरे अपने, वहा हर दिन मिलने लगे हैं
जी चाहता है, एक गहरी नींद मे अब सो जाऊ
ख्वाबो मे सही,मोहब्बत के फूल वहा खिलने लगे हैं
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अब हकीकत से, हसीं ये ख्वाब लगने लगे हैं
भूले बिसरे अपने, वहा हर दिन मिलने लगे हैं
जी चाहता है, एक गहरी नींद मे अब सो जाऊ
ख्वाबो मे सही,मोहब्बत के फूल वहा खिलने लगे हैं
जी चाहता है ,एक गहरी नींद मे ऐसे सो जाऊ
न जागू फिर कभी, बस इन ख्वाबो की हो जाऊ
मिलते है हर दिन, पीछे छूट चुके अपने वहाँ मुझे
काश फ़िर उनकी हो जाऊँ, न कभी लौट के आऊँ
मोहब्बत मे हमें,जिस्म के सौदागर बहुत मिले
जी चाहता है ,एक गहरी नींद मे ऐसे सो जाऊ
न जागू फिर कभी, बस इन ख्वाबो की हो जाऊ
मिलते है हर दिन, पीछे छूट चुके अपने वहाँ मुझे
काश फ़िर उनकी हो जाऊँ, न कभी लौट के आऊँ