नहीं चाहते कुछ ऐ खुदा बस इतनी सी दुआ
चाहते हैं, तुझसे कुछ और नहीं बस जीने की एक वज़ह चाहते हैं, अकेले हैं तनहा
बहुत जहाँ में बस जीने के लिए एक हौसला चाहते हैं, क्यों हैं हम जहाँ
में आखिर मकसद है क्या मेरा क्यों तूने भेजा है मुझे आखिर क्या है इरादा तेरा बस तुझसे अपने होने की वज़ह जानना चाहते
हैं, चलते चलते बहुत थक चुके हैं कोई हाथ बड़ा कर संभालने वाला हम चाहते
हैं, इस सूने जीवन से सूनेपन को दूर करने के लिए बस किसी का साथ हम चाहते
हैं, अपनी इस तनहा अधूरी सी ज़िन्दगी को पूरा करना हम चाहते हैं, आंसुओं के साथ नहीं मुस्कराहट के साथ हर पल ज़िन्दगी का जीना हम चाहते हैं, एक साथी हम चाहते हैं जो सिर्फ हमारा हो, जिसे सिर्फ हमारा ही सहारा हो, बिन हमारे न वो भी पूरा हो, बस अकेले चलते चलते ऐसे थक चुके हैं अब खुद भी की किसी का सहारा बनना हम चाहते हैं और किसी का सहारा हम चाहते हैं, ऐ खुदा बस अपनी ज़िन्दगी का अर्थ जानना हम चाहते हैं, करते हैं फ़रियाद तुझसे ऐ मेरे मालिक जो ना हो किसी काबिल मेरा ये जीवन तो तुझे याद करते करते इस ज़हां से विदा हम होना चाहते हैं, तेरी ही आघोष में ऐ मेरे खुदा अब तो बस सोना हम चाहते है…
this is not only a hindi sher o shayri site, there is also u can see short stories, articals, poetry in ur own language yes off course in hindi......
Sunday, 21 July 2013
ईश्वर वाणी -48(ishwar vaani-48)
प्रभु कहते हैं जब जब धरती पर पाप बड़ते हैं और ईश्वर पर से लोगों का
विश्वाश कम होने लगता है और लोग उनकी शिछा का अनुसरण छोड़ और धर्म का मार्ग
त्याग कर दुराचारी होने लगते हैं तब तब मानव मात्र में आई इन बुराइयों का
अंत करने हेतु पृथ्वी पर ईश्वर अवतरित होते रहते हैं,
प्रभु
चाहे तो बिना धरती पर प्रकट हुए भी धरती पे विराजित बुराइयों का अंत कर
सकते हैं या फिर वो चाहे तो कभी किसी भी प्राणी द्वारा बुराई का मार्ग भी
ना अपनाने दें किन्तु इसके पीछे प्रभु का उद्देश्य है की उनकी लीला के साथ मानव मात्र के जीवन में चिर
काल तक अपने अस्तित्व के होने का प्रमाण और इस समस्त समस्त भ्रह्मांड
के रचिता, संगराक्षक, पालन एवं उध्हार करता के साथ विनासक भी
है इस तथ्य को प्राणी मात्र तक पहुचने का उनका उद्देश्य है ।
ईश्वर
कहते हैं की वो ही बुराई हैं और अच्छाई भी वो ही है, ईश्वर कहते हैं की वो
बुराई के रूप में धरती पर आते हैं ताकि लोग उनके अछे स्वरुप को स्वीकार कर
चिर काल तक उनकी अच्छाईयों का अनुसरण करते रहे किन्तु यदि वो बुराई के रूप
में धरती में नहीं अवतरित होंगे तो धीरे धीरे लोग उन्हें भूलने लगेंगे एवं
अहंकार के वश में खुद को ही सर्वंग्य मानने लगेंगे, इसलिए मानव मात्र को
अहंकारी और पथ भ्रष्ट होने और चिर काल तक ईश्वर में और उनकी शिक्षाओ में
विश्वाश रख उनका अनुसरण करने हेतु ही प्रभु लीला करते हैं एवं पृथ्वी पर
जन्म लेते हैं....
Friday, 19 July 2013
पौराणिक कथा- पूर्ण श्रद्धा भाग ४ (pauranik katha- poorn shradhha bhaag 4)
एक बार की बात है जीसस अपने सभी बारह शिष्यों के साथ अपने किसी अनुयायी
के घर गए, उस अनुयाई एवं उस गाँव के प्रत्येक व्यक्ति ने जल से उनके चरण छू
कर आशीर्वाद प्राप्त किया, इसके बाद जिस अनुयायी के घर वो गए थे उसने
उन्हें भेजन करने के लिए आमंत्रित किया, भोजन करने के उपरान्त वो अपने
समस्त शिष्यों के साथ उस अनुयाई के घर बैठ कर उपदेश दे थे की उनके पीछे एक
स्त्री आई सुगन्धित पुष्पों से बना इत्र भरा एक कटोरा जीसस के सर पर दाल
दिया, ये देख कर उनके एक शिष्य ने उस स्त्री को डांटा और कहा की ये तूने
क्या किया, इतना महंगा सुगन्धित पुष्पों के इत्र से भरा कटोरा तूने प्रभु
के सर पर क्यों डाल दिया, क्या तू नहीं जानती प्रभु इससे प्रसन्न नहीं
होते किन्तु यदि तू इसे बेच कर जो धन कमाती और उस धन को गरीब और जरूरतमंद
लोगों को बांटती तो प्रभु तुझसे अवश्य प्रसन्न होते, ये बात सुन कर वो
स्त्री डर गयी किन्तु अपने शिष्य को शांत करते हुए जीसस ने कहा इस स्त्री
ने सबसे पहले मेरे शरीर पर इत्र मला है, मेरे जाने के बाद मेरे शरीर पर ऐसे
ही सुगन्धित पुष्पों से बने इत्र को मला जाएगा, उनकी बात उनके शिष्यों एवं
अनुयायियों को समझ नहीं आई किन्तु फिर उन्होंने कहा की वो सिर्फ अपने
मानने वालों एवं उनके पथ का अनुसरण करने वालों की श्रध्हा देखते हैं इस
स्त्री की जो असीम श्रध्हा थी मुझ पर इस इत्र का कटोरा डालते वक्त मैं उसकी
उस भावना को सम्मान करता हूँ, और जो भी मेरा अनुयायाई मेरा मानने वाला
सच्चे ह्रदय से मुझे कुछ अर्पण करेगा मैं उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ सहर्ष
स्वीकार करूँगा....
इस प्रकार प्रभु यीशु
ने हमे ये सीख दी की ईश्वर बाहरी आडम्बरों से नहीं अपितु अपने भक्तों की
सच्ची श्रद्धा और प्रेम भावना से प्रसन्न होते हैं, उनकी दृष्टि में कोई भी
और किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं होता है।
आमीन
Hasrate
Hasrate wo hi achhi hoti hai jo hasarate khud se hoti
hai, hasarte wo hi poori hoti hai jo khud tak seemit hoti hai, khud se
hasarate rakhne walon ko pata hota hai hasarate uski kabhi poori houngi ya
nahi, jo hasarat wo poori nahi kar sakta
aise hasrat uske dil mein hoti hi nahi, aur jo hoti hai dil mein hasarat uski khud se poora karne ki tamaam bandishon ke baad bhi wo unhe pa hi leta hai,
pyaar se ya vidroh se apni hasarato ko anjaam tak pahucha hi deta hai , naseeb mein uski bhi kewal likha itnaa hi hota hai
hongi hasarate uski poori jinhe poora
karne ka akele ka usme hausla hota,
Lekin un hasarte pe
na karo kabhi yakin jisme tumhare siwa aur koi bhi shaamil ho, houngee wo kabhi
poori jisme kisi aur ki bhi marzi shaamil ho, aur jo na ho saki wo poori aisi hasarate to
darad bahut deti hain , rulaati rahengi wo hasarate jisme shaamil
tumhare siwa koi aur shaamil ho,
Ae doston isliye kahte hain hum karo apni hasarate poori
lekin na shaamil karo un hasaraton ko zindagi mein jo tumhare saaht hi kisi aur
se bhi jud jaati ho, karo apne sabhi hasrate haste haste poori jisme sirf aur sirf
tumhi shaamil ho…
किसी ने पूछा हमसे ये मोहब्बत क्या है
किसी ने पूछा हमसे ये मोहब्बत क्या है, क्या खुशियों का सेलाब है या अश्कों की बरसात है, वफादारी है या गद्दारी है, मिलन है या जुदाई है , क्या किसी पे मरने का नाम मोहब्बत है या किसी के लिए जीने का नाम ही चाहत है,
हमने उनसे कहा जिसमे अश्कों की बरसात के साथ खुशियों का सेलाब हो, मिलन के बाद फिर जुदाई हो, बेफवाई के बदले जहाँ वफाई हो, जिन्दा रह कर पर किसी पे मरने की लालसा अगर जब दिल में आई हो, दिल में उठी बिन शर्त के इसी भावना का नाम ही है मोहब्बत इसी को कहते हैं चाहत ।।।
नेता प्यारे
देख इमारते ऊँची ऊँची इतराते हैं नेता प्यारे, देख आलिशान घर और मकान
मुस्कुराते हैं नेता न्यारे,देख व्यवसाय के गलियारों को शान समझते हैं
नेता सारे, पर एक छप्पर को तरसने वाली भूखी जनता क्यों उन्हें नहीं दिखती
है, क्या इन रंगीनियों तक ही है सीमित देश या नेताओ की नज़रों में जनता की
नहीं कोई गिनती है, एक वक्त की रोटी अपनों को देने के लिए जहाँ एक और कितनो की अस्मत लुटती है, नंगे बदन एक बालक को तपती धूप में रख एक माँ
पत्थर दिल पे रख कर कही मेहनत मजदूरी करती है, जीवन के जाने कितने संघर्षों
से लडती हुई मजबूर जनता क्यों नहीं किसी को दिखती है, कहते हैं नेता सारे
देश में मिटने लगी है गरीबी, दूर जाने लगी है अब तंग हाली और बेबसी, मिलने
लगा है सबको रोज़गार, हर किसी को मिल चूका है अब पड़ने लिखने का अधिकार, पर
सुन कर उनकी बाते आता है ख्याल दिल में क्या सच में वो देश की बात करते हैं, जो दिखता नहीं जनता-ऐ -आम को वो आखिर नेताओं को कैसे दिख जाता है, करते हैं बात वो इस जनता की या अपनी ही हसीं दुनिया को सम्पूर्ण जहाँ समझ कर बदहाल हुई इस बेबस जनता को खुशहाल जिसे बतलाते हैं ये हमारे नेता प्यारे।
Thursday, 18 July 2013
tumhare jane ke baad uss jagah ko kaun bharega................kavita
ye mehalon mein rahne wale jhopadi mein rahne walon ko chhota samajhte hain, ye aasaman mein bulandi paane wale apne chaahane walon ko khud se kam samajhte hain, ye khud ko prasadhhi ke shikhar par pahuchaane wale unke jaise banne walon ko nakabil samajhte hain, ae mere mehalon mein rahne walo aur khud ko aasman tak pahuchaane walon, ae mere prasadhhi kee seedi chadne walon kabhi tum bhi to auron ki tarh yaha hi rahte the, tum bhi to kabhi inn jhopadon mein sote the, aasman chhoone ki lalak bhi kabhi tumme bhi auron ke jaisi hi thi, chahat prasdhhi ko gale lagane ki kabhi tumme bhi to un logon jaise hi thi, ae mere duniya jeetne walon tum bhi jara ye sun lo jab boond hi na hogi to sagar kaise banega, jab tail hi na hoga to deepak kaise chalega, agar koi peechhe na ho to aage kaun badega, jinhe kuch na samjhte ho aaj tum agar wo hi na hoga to kal tumhare jane ke baad uss jagah ko kaun bharega................
Subscribe to:
Posts (Atom)