Wednesday, 8 January 2020

मेरी शायरी

१-"रिमझिम बरसात आज होने दो
प्यार भरी रात में आज सोने दो
आ जाओ करीब अब इतने तुम
नदी को सागर में आज खोने दो"

२-"कहने को बहुत कुछ है तुमसे
पर मेरे पास अल्फ़ाज़ नही है
प्यार तो है तुमसे बेइंतहा मुझे
बस मेरे पास लफ्ज़ नही है"



Tuesday, 7 January 2020

मेरी शायरी

"मिलों जो कहि तो प्यार का इज़हार करू
मोहब्बत से ज़िंदगी तेरी गुलज़ार करू
गुज़ार दु हर शाम तेरी बाहों में कुछ ऐसे
हर लम्हा बस तुझ से मैं अब प्यार करू"

मेरी शायरी

दिल में तुम्हारी तस्वीर उतर गयी

मुझे मुझ से ही बेखबर कर गयी

हुई मोहब्बत धीरे धीरे कुछ यु

दुनिया से दूर मुझे तुम्हारा कर गयी

Tuesday, 31 December 2019

शायरी

 जी चाहता है तेरे सीने लग जाऊ मैं
पर ये दूरियां मुझे रोक देती हैं😡😡

चंद अल्फ़ाज़

1-"तुझे याद कर पलकें मेरी भीग जाती हैं
तेरी याद में आँखे नम मेरी हो जाती हैं
पता है 'मीठी' नही करते तुम्हे वो याद
'खुशी' तो आज भी मेरी तुमसे ही आती है"


2-"कितना खूबसूरत था साथ तुम्हारा
कितना खूबसूरत था अहसास तुम्हारा
सोचा न था जीना पड़ेगा मुझे तुम बिन
कितना खूबसूरत था हर ख्वाब तुम्हारा"

😡😡
3-"ज़िन्दगी की रेलगाड़ी में हम इस कदर आगे बढ़ गए
कुछ मिले नए लोग तो कुछ साथी बिछड़ गए"

Monday, 30 December 2019

मेरे चंद अल्फाज

1-"बहुत  रह चुकी यहाँ  यु ऐसे ए ज़िन्दगी, अब  खोना  चाहती हूं
बहुत रह चुकी जहाँ में ए मौत, अब तेरी होना चाहती हूँ
सदियों से प्यासी है ये ' मीठी' जिसके लिए अब तलक यहाँ
गंगा मैया 'खुशी' के साथ अब तेरे आँचल में सोना चाहती हूं"


😡🙏🏻😡
2-"कितना अजीब है न 'गंगा का जल'
मरने के बाद ये हमारी अस्थियों को गला देता है
और जीते जी पियो तो औषधिये काम देता है
हाँ माना अब ये अब प्रदूषित बहुत हो चुका है
लेकिन आज भी इसका महत्व कम कहाँ हुआ है"

😡राधे राधे😡


3-"कहते हैं लोग प्यार उससे करो जो तुम्हारे ज़ज़्बात की कद्र करे
पर कमबख्त नसीब ऐसा निकला कि उसने ऐसे से मिलवाया ही नही"


4-"झूठ की इस दुनिया मे बस ये ख़ता कर बैठे
एक फरेबी से हम सच्ची मोहब्बत कर बैठे"


5-"सुबह शाम हर दिन यहाँ हसीं ये रागिनियाँ देखते हैं हम
फिर अगले पल टूटे हुए दिल और हाथो में जाम देखते हैं हम
कसूर किसी का नही होता ए मेरे दोस्तों क्योंकि दस्तूर है ये
बच्चे खिलोने से और बड़े दिलो से खेलते रोज देखते है हम"

दर्द जिगर का फिर बढ़ने लगा है-कविता

धीरे धीरे दर्द फिर जिगर का बढ़ने लगा है

फिर से ये दिल आखिर धड़कने लगा है


है ज़माने में लोग दोहरे मुखोटे पहने हुए

जाने किस फरेबी को अपना बनाने लगा है


जिसको अपना समझा 'मीठी' तुमने जब जब

'खुशी' नही गम उनसे ही तुम्हे मिलने लगा है


किसे सुनाये तू अपने ज़ख्मी दिल की दासतां

तेरे अश्को पर ये जमाना कैसे हसने लगा है


मोहब्बत करने की ख़ता तू फिर करने चली

देख मोहबूब तो बाज़ारो में मिलने लगा है


देख तमाशा तू फिर इस महफ़िल का 'मीठी'

'खुशी' का प्यार आज पैसो से बिकने लगा है


अब रही नही बाते जो पहले करते थे लोग

आज इश्क का व्यापार बहुत बढ़ने लगा है


तू भी लुटा सके तो लूट दे कुछ इस महफ़िल में

अब मोहब्बत का कारोबार ऐसे ही बढ़ने लगा है

😡😡😡😡😡😡😡😡