Monday, 16 November 2020

मेरी शायरी-सैड



 


Monday, 9 November 2020

सम्भलना भूल गए-शायरी

 

"सबको हँसाते-हँसाते हँसना हम भूल गए

ग़मो में ऐसे डूबे की अब रोना हम भूल गए
खुद ही गिरते फ़िर खुद ही उठ खड़े हो जाते
संभालते-संभालते सम्भलना ही हम भूल गए"

मोहब्बत तो सच्ची



"मोहब्बत तो हर बार सच्ची ही की थी मैंने

लोग ही झूठे निकले तो कसूर किसका था"