Tuesday, 16 July 2024

ईश्वर वाणी- ईश्वर वाणी

 ईश्वर कहते हैं, " शाब्दिक अर्थ ईश्वर


I- ईष्ट/एक, श -शक्ति, व -विदित/विराजित, र - रहेगी =  ईश्वर भाव एक ऐसी ईष्ट की शक्ति वो ईष्ट जो सबका है जो सिर्फ एक है, उसकी शक्ति/ऊर्जा सदा विराजित रहेगी चाहे संसार मे कुछ भी हो .. उस ऊर्जा को कोई कब नुक्सान या नष्ट नही पहुँचा सकता ..

ईश्वर वाणी- भगवान् कौन है

 ईश्वर कहते हैं

शब्दिक अर्थ भगवान् का है ये.. 

भगवान भ-भलाई/भावना, ग-ज्ञान/ज्ञात, वि-विषय, न-नश्वान= भगवान भाव- भलाई की भावना, और जीवन के रहस्य और विषय का ज्ञान जो नश्वर है और जिनके हृदय में सदा बिना किसी रुकावत के  बीना रहता है वो भगवान है... जरूरत का वक्त जब जीव की सहायता हेतु जो हाथ बड़े वो भगवान है अर्थ उसको ज्ञात हुआ ज्ञान हुआ उसका कार्य, विषय का बोध हुआ, जो सहायता की भावना थी मिटी नहि इस्लिये नश्वन नहि हुई इस्लिये वो  भगवान हुआ


कल्याण हो

ईश्वर वाणी- पर्मेश्वर्/ शृष्टि और ब्रह्मांड

ईश्वर कहते हैं, " अक्सर लोग पर्मेश्वर् और ईश्वर को या तो एक समझ लेते हैं या कहते हैं पर्मेश्वर् ईश्वर से भी ऊपर है ,वो समझते है जो प्रथम पूज्य है वो पर्मेश्वर् है, पर उन्हे ये ज्ञान नही पर्मेश्वर् दो शब्दों से मिल कर बना है परम-ईश्वर= पर्मेश्वर्, यंही परमात्मा जो शृष्टि का प्रथम तत्व है उसके और ईश्वर के समागम को पर्मेश्वर् कहते हैं, ईश्वर ने शृष्टि निर्माण के लिए परमात्मा भेजा.. जानने योग्य ये है ईश्वर ने भेजा न की बनाया अर्थात वो तत्व पहले से मौज़ूद था, इसको शिव- शक्ति के रूप मे कहा जा सकता है किंतु वो शिव जो निराकार है और शक्ति उसकी ऊर्जा, उस ने शृष्टि निर्माण किया.. किंतु उससे पहले ब्रह्मांड का निर्माण किया, ब्रह्मांड अलग है शृष्टि अलग, ब्रह्मांड वो ऊर्जा है जिसने सभी ग्रह नक्षत्र और देव लोक विराजित है ठीक वैसे जैसे तुम्हारी देह मे तुम्हारे अंग और तुम्हारी आत्मा विराजित है, तुम्हारी आत्मा और तुम्हारे शरीरिक अंगो के बिना देह नही वैसे ही बिना ग्रह नक्षत्र और लोगों के ब्रह्मांड नही, जैसे तुम्हारी आत्मा तुम्हारी सभी अंगो को ऊर्जा देती है वैसे ही ब्रह्मांड इन्हे ऊर्जा देता है और उसको परमात्मा.. "

यही है शाब्दिक अर्थ परमात्मा का


कल्याण हो

🙏🙏

Friday, 12 July 2024

Sad shayri

 ए ज़िंदगी आखिर क्यों हो ख़फ़ा मुझसे

आखिर दूर जाने की है क्या वज़ह मुझसे

तू रूठ गयी तो जी कैसे पाएंगे हम भला

आखिर हो रही क्यों है तू अब जुदा मुझसे

दर्द वाली शायरी

 खुद को गिरा तुझको उठाते रहे

ज़ख़्म मोहब्बत मे हम खाते रहे

भूल गए वज़ूद खुदका भी है कोई

खुदको मिटा तुझको बनाते रहे

Tuesday, 9 July 2024

दर्द वाली शायरी

 किसी ने मेरे मुस्कुराने की वज़ह पूछी तो आँखे हो गयी नम

मेहफिल मे पूछा गया दिल तोड़के आखिर है तुम्हें क्या गम

रोते-रोते भी अश्क सूख चुके है इन आँखों से अब मेरी दोस्तों

साँसें ज़िंदगी की हर पल घोटती है क्यूँ अब मेरा ये दम





Datd bhari shayri

 ख़ुद  को  गिरा  कर तुझको उठाते  रहे

मोहब्बत मे  हरपल अश्क बहाते रहे

भूल  गयी 'मीठी' वज़ूद  खुदका भी

'खुशी' की चाहत मे ख़ुद को मिटाते रहे