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ख़ुद को गिरा कर तुझको उठाते रहे
मोहब्बत मे हरपल अश्क बहाते रहे
भूल गयी 'मीठी' वज़ूद खुदका भी
'खुशी' की चाहत मे ख़ुद को मिटाते रहे
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