Saturday 6 July 2024

छिपा है कहीं पर इस भीड़ मे से कोई है- shayri


छिपा है कहीं पर इस भीड़, मे से कोई है

लाखों है लोग, पर वो इनमें से, ही कोई है, 


बस मेरा हमनशीं मेरा ,शहज़ादा है जो
दुनिया की इस मेहफिल मे से, ही कोई है

है हमराज़ मेरे दिलका, मोहब्बत है जो मेरी
चमकते टिमतिमाते सितारों मे से, ही कोई है

ढूंढती है आँखें जिसे हरकहीं ,मेरी सुबह-शाम
बादलों मे छिपा मेरा राजकुमार, ही कोई है

मिले कहीं तो कह दू, तू है बस आशिकी मेरी
तन्हा ज़िंदगी मे कहीं छिपा मेरा प्यार,ही कोई है

खोजती "मीठी" उसको, आज भी हर कहीं
"खुशी" का करे इज़हार मुझे , दिलदार कोई है

ज़ख़्म बहुत मिले इश्क मे मुझे, ज़माने से ऐसे
साथ उम्र भर देने को हो त्यार जहाँ, मे से कोई है

रुलाया सताया तड़पाया, वफा के बदले मुझे
भर बाँहों मे मुझे वफ़ा करे, सच्चा यार वोही है

छिपा है कहीं पर इस भीड़, मे से कोई है

लाखों है लोग, पर वो इनमें से, ही कोई है, 

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