Tuesday 30 July 2024

प्यार एक ज़िम्मेदारी है- हिंदी लेख

 मैंने ये अक्सर देखा है लोग आजकल जितनी जल्दी प्यार मे पड़ जाते हैं उतनी ही जल्दी इससे बोर भी होने लगते हैं, रिश्तें से दूर भागने लगते हैं, एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगते हैं, आखिर ऐसा क्यों?? जबकि पहले सबकुछ अच्छा था फिर अचानक क्या हो जाता है की रिश्ता बोझ लगने लगता है, प्यार धीरे धीरे कम होने लगता है, रिश्तों मे अलगाव और टकराव होने लगता है! 

इसका कारण है शुरुआत मे एक दूसरे के साथ वक़्त बिताना, करीब आना इसलिए अच्छा लगता क्योंकि कुछ भी नया हमारे जीवन मे आता है तो अच्छा ही लगता है चाहे नया घर हो गाड़ी हो नई नौकरी हो अथवा नया रिश्ता, 

पर वक़्त के साथ जैसे घर, गाड़ी अथवा नौकरी को ठीक रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, वैसे ही जिस जोश और जुनून के साथ अपना रिश्ता शुरू किया था उसके लिए भी कड़ी महनत करनी पड़ती है, 

वक़्त के साथ साथ रिश्तें मे ज़िम्मेदारी भी बड़ जाती है, आप इन जिम्मेदारियों से भाग नही सकते, चाहे आप विवाहित है अथवा अविवाहित, मर्द है या औरत, ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है रिश्ता संभालने की, एक दूसरे के प्रति कोई कर्तव्य और ज़िम्मेदारी भाव रखना और पूरा करना, एक दूसरे की जरूरत का ध्यान रखना और पूरा करने का प्रयतन करना ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है जिसको निभाना आवश्यक है अगर आप किसी के साथ वास्तव मे रिश्तें मे है और इस रिश्तें के प्रति गभीर है, ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है एक दूसरे का साथ दे और वक़्त वक़्त पर स्पेशल फील करवाते रहे! 

पर आज रिश्तें इसलिए कमजोर हो रहे हैं, टूट रहे है क्योंकि या तो कोई एक पक्ष या फिर दोनो पक्ष जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं, यदि दोनो भाग रहे हैं फिर भी ठीक है क्योंकि वो कह सकते हैं न तुम मुझे अपने ज़िम्मेदारी समझो और न मैं, पर अगर कोई एक पक्ष रिश्तें को संभलता है, रिश्तें मे अपनी ज़िम्मेदारी निभाता है लेकिन दूसरा पक्ष कोई न कोई बहाना बना इससे दूर भागने लगता है तब रिश्तें कमजोर होने लगते हैं, भले आपके जीवन में और रिश्तें है काम है जिनके प्रति आप अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं किंतु जिसके साथ आप रिश्तें मे है उसके प्रति कोई क्या ज़िम्मेदारी नही बनती आपकी?? 

इस गेरज़िम्मेदरना व्यवहार से रिश्तों मे टकराव होने लगते हैं, प्यार जैसे खूबसूरत रिश्तें से मन विचलित होने लगता है, लोग बोलने लगते हैं शायद मोहब्बत मेरे लिए नही है, पर मोहब्बत तो सबके लिए है, लेकिन ये देखना है आप इस रिश्तें की कद्र कितनी करते हैं, इस रिश्तें को अपनी ज़िम्मेदारी मान सभाल के रखते हैं या गेरज़िम्मेदरना व्यवहार दिखा इस खूबसूरत रिश्तें को दूसरे के दोष बता खत्म कर देना चाहते हैं! 

जैसे जैसे वक़्त बीतता है जीवन मे कई उतार चढ़ाव आते ही है, ये परीक्षा होती है आप अपने साथी का साथ उस वक़्त देते हैं की नही जब उसको आपकी सबसे अधिक आवश्यता होती है, अगर उस वक़्त आप उसके साथ है, उसके आँसु पौछ रहे हैं तो निःसंदेह आप अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, सामने वाले की आवश्यता को ध्यान मे रख कर इसको सही तरीके से पूरा करने की कोशिश भी कर रहे हैं तो ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, पर यदि आप अपने साथी के दुख मे साथ नही, उसके प्रति जागरूक नही की उसकी आवश्यता क्या है कैसे पूरा करे, निःसंदेह आप प्यार के काबिल नही, इस खूबसूरत रिश्तें के काबिल नहीं क्योंकि प्यार एक साझेदारी है एक ज़िम्मेदारी है और यो किसी गेरज़िम्मेदार मर्द या औरत के लिए नही है! 

इसलिए प्यार मे तभी पड़े जब इस ज़िम्मेदारी को सही ढंग से उठाने के काबिल आप हो, कोई फर्क नही पड़ता आपकी उमर क्या है, कभी 18 साल का बच्चा ये ज़िम्मेदारी अच्छे से निभा लेता है तो कोई 70 की उमर मे ज़िम्मेदारी के नाम पर रिश्तों मे कमी निकाल के दूर भागता है, यहाँ बात परिपक्वता के साथ रिश्तों के प्रति संवेदनशील होने की भी है, यदि आप अपने रिश्तों के प्रति संवेदनशील है तो ज़िम्मेदारी निभायेंगे अगर संवेदनहीं है तो रिश्तें मे साथी मे कमी निकाल कर उससे दूर भागेंगे और कहेंगे आप मोहब्बत के काबिल नही या नसीब मे मोहब्बत नही आपके क्योंकि आप सही मायने मे ज़िम्मेर व्यक्ति नही इसलिए इस खूबसूरत रिश्तें के काबिल भी नही, क्योंकि प्यार सिर्फ सेक्स नही एक ज़िम्मेदारी है!! 

Love shayri

 मजबूरी नही , ज़िम्मेदारी हूँ तुम्हारी

मोहब्बत हूँ,  न कोई लाचारी हूँ तुम्हारी

काश तुम समझ, सकते ईश्क की गहराई

साथी हूँ इसलिए साझेदारी हूँ तुम्हारी

Meri shayri

 न कोई गिला न , शिकवा है अब किसी से

अपना लिया जो, तकदीर ने दिया खुशी से

मोहब्बत मे मिली , मुझे हर पल ये रुस्वाई 

सूख चुके अश्क, न शिकायत है हमनशि से

Tuesday 16 July 2024

ईश्वर वाणी- परमात्मा

 ईश्वर कहते है आज तुम्हें बताता हूँ, " 

शब्दिक अर्थ परमात्मा का

 प-प्रथम र-रहस्य/रस/रास्ता म-मुख्य, अ-आदि, त-तत्व, म- मैं अ-अनन्त = परमात्मा भाव- संसार  का प्रथम रस्ता रहस्य और रस मैं ही हूं, मैं ही मुख्य और अनादि  हूँ, और मैं हीअनंत हूं क्योंकि मैं परमात्मा हूं..

ईश्वर वाणी- ईश्वर वाणी

 ईश्वर कहते हैं, " शाब्दिक अर्थ ईश्वर


I- ईष्ट/एक, श -शक्ति, व -विदित/विराजित, र - रहेगी =  ईश्वर भाव एक ऐसी ईष्ट की शक्ति वो ईष्ट जो सबका है जो सिर्फ एक है, उसकी शक्ति/ऊर्जा सदा विराजित रहेगी चाहे संसार मे कुछ भी हो .. उस ऊर्जा को कोई कब नुक्सान या नष्ट नही पहुँचा सकता ..

ईश्वर वाणी- भगवान् कौन है

 ईश्वर कहते हैं

शब्दिक अर्थ भगवान् का है ये.. 

भगवान भ-भलाई/भावना, ग-ज्ञान/ज्ञात, वि-विषय, न-नश्वान= भगवान भाव- भलाई की भावना, और जीवन के रहस्य और विषय का ज्ञान जो नश्वर है और जिनके हृदय में सदा बिना किसी रुकावत के  बीना रहता है वो भगवान है... जरूरत का वक्त जब जीव की सहायता हेतु जो हाथ बड़े वो भगवान है अर्थ उसको ज्ञात हुआ ज्ञान हुआ उसका कार्य, विषय का बोध हुआ, जो सहायता की भावना थी मिटी नहि इस्लिये नश्वन नहि हुई इस्लिये वो  भगवान हुआ


कल्याण हो

ईश्वर वाणी- पर्मेश्वर्/ शृष्टि और ब्रह्मांड

ईश्वर कहते हैं, " अक्सर लोग पर्मेश्वर् और ईश्वर को या तो एक समझ लेते हैं या कहते हैं पर्मेश्वर् ईश्वर से भी ऊपर है ,वो समझते है जो प्रथम पूज्य है वो पर्मेश्वर् है, पर उन्हे ये ज्ञान नही पर्मेश्वर् दो शब्दों से मिल कर बना है परम-ईश्वर= पर्मेश्वर्, यंही परमात्मा जो शृष्टि का प्रथम तत्व है उसके और ईश्वर के समागम को पर्मेश्वर् कहते हैं, ईश्वर ने शृष्टि निर्माण के लिए परमात्मा भेजा.. जानने योग्य ये है ईश्वर ने भेजा न की बनाया अर्थात वो तत्व पहले से मौज़ूद था, इसको शिव- शक्ति के रूप मे कहा जा सकता है किंतु वो शिव जो निराकार है और शक्ति उसकी ऊर्जा, उस ने शृष्टि निर्माण किया.. किंतु उससे पहले ब्रह्मांड का निर्माण किया, ब्रह्मांड अलग है शृष्टि अलग, ब्रह्मांड वो ऊर्जा है जिसने सभी ग्रह नक्षत्र और देव लोक विराजित है ठीक वैसे जैसे तुम्हारी देह मे तुम्हारे अंग और तुम्हारी आत्मा विराजित है, तुम्हारी आत्मा और तुम्हारे शरीरिक अंगो के बिना देह नही वैसे ही बिना ग्रह नक्षत्र और लोगों के ब्रह्मांड नही, जैसे तुम्हारी आत्मा तुम्हारी सभी अंगो को ऊर्जा देती है वैसे ही ब्रह्मांड इन्हे ऊर्जा देता है और उसको परमात्मा.. "

यही है शाब्दिक अर्थ परमात्मा का


कल्याण हो

🙏🙏