Wednesday, 26 November 2014

ईश्वर वाणी ६४

"
ईश्वर कहते हैं "मैने तो संसार में मनुष्या को भेज कर केवल मानव धर्म की स्थापना की थी किंतु मनुष्या ने जाने कितने धर्मो का निर्माण कर मुझे ही बाट  दिया, माना मैने ही देश/काल/परिस्तिथियो के अनुसार विभिन्न स्थानो पर जन्म लिया और अपने वचनो को उन जगहो तक पहुचेया किंतु मैने मानव धर्म के अतिरिक्त कोई और धर्म नही बनाया, ये तो इंसानो ने बनाए है जो मानव धर्म के विपरीत मानव से मानव को अलग कर द्वेष, हिंसा, अलगाव, भेद-भाव, उँछ-नीच, पाखंड, राग, व्याभिचार, अनाचार, अत्याचार जैसी बुराइयो के साथ ईश्वर को दूर करने वाले कारक काम/क्रोध/लोभ/मोह/अहंकार को बड़ावा  देता है, और ये ही सब बाते मुझे मानव जाती से दूर करती है जिसका परिणाम ये है की मनुष्या को अब मेरी दया/कृपा कम प्राप्त होती है, मैंने तो हमेशा मानव  धर्म  की  दीक्षा दुनिया को दी किन्तु मनुष्य ने मेरी दी धर्म की दीक्षा की एक अलग ही परिभाषा बना ली जिसमे मानव का मानव ही दुश्मन बन बैठा तो बाकी अन्य प्राणियों की कौन सुध ले जहाँ जगत की और प्राणियों की रक्षा का उत्तरदायित्व मैंने मनुष्य को दिया था आज वो खुद ही अपनी प्रजाति का दुश्मन बन बैठा है तो ऐसे में वो मेरे द्वारा बताये गए मार्ग पर चल कर संसार की और अन्य प्राणियों की क्या रक्षा करेगा, मानव के इसी व्यवहार के कारण मानव अब मेरी कृपा दृष्टि से दूर होता जा रहा है और स्वं अपने कर्मों से दुःख का भागी हो रहा है, यदि मानव अब भी खुद में बदलाव नहीं लाएगा तो ये भी परम सत्य  है  उसका ये ही धर्म जो  उसने चलाया है उसे ही विनाश की और ले जाएगा और एक दिन संसार से समस्त प्राणियों के साथ मानव का भी अंत (निर्धारित समय अर्थात प्रलय से पूर्व ही ) हो जायेगा जिसका जिसम्मेदर खुद मानव होगा। ""

संत अर्चू 




Sunday, 23 November 2014

ईश्वर वाणी-६३

ईश्वर कहते हैं "मैं कभी किसी भी प्रकार की हिंसा का समर्थन नहीं करता हूँ, यदि कोई इंसान मुझे आगे करके अथवा मेरी किसी बात का वास्ता दे कर किसी भी प्राणी को आहत करता है ऐसे व्यक्तियों से मैं कभी प्रसन्न  नहीं होता चाहे वो मेरी कितनी ही पूजा आराधना कर ले अथवा वो कितना ही बड़ा भक्त होने का दावा कर ले किन्तु ऐसे व्यक्ति को मैं अपना भक्त अथवा भक्त होने के काबिल न समझ कर उसकी किसी भी प्रकार की पूजा स्वीकार   नहीं करता,


मैं केवल उन्ही का हूँ जो अहिंसा का मार्ग अपना कर सदेव सत्कर्म करते हैं, कभी किसी भी प्राणी को  नहीं आहत करते, ऐसे व्यक्ति यदि मेरी पूजा-आराधना ना भी करे तब भी मेरी कृपा को पाते हैं,



जो लोग मेरा नाम ले कर हिंसा का मार्ग अपनाते है वो शैतान का साथ देते हैं, किन्तु जो लोग सच्ची भावना रखते हैं मुझ पर, सच्चा विश्वास है जिनका मुझपर वो सत्य, अहिंसा, नेकी, सत्कर्म का मार्ग अपनाकर सचरित्र हो कर बेहतर समाज का निर्माण करते हैं  और मेरी कृपा के पात्र बनते हैं "




मेरी रचना

1*"दिन रात इबादत की है हन मैने भी मोहब्बत की है,
वफ़ादार दिलबर से तो हर कोई करता है आशिकी, एक बेवफा से दिल लगाने की हिमाकत मैने ही की है, हन मैने भी मोहब्बत की है"




2*"जितना हम उन्हे भूलना चाहते हैं उतना ही याद वो मुझे आते हैं, है पता मुझे नही है मोहब्बत अब उनसे फिर भी जाने क्यों ये अश्क उनके लिए ही आँखो से झलक आते हैं"

Thursday, 13 November 2014

ईश्वर वाणी ६२

"ईश्वर कहते है मनुष्या को जो गयाँ और बुढही प्राप्त है वो ईश्वरिया गयाँ के समख्स सुई की नोक के क्रोरेवे हिस्से के बराबर भी नही है, इसलिए हे मनुष्या अपने गयाँ और बुढही पे अहंकार ना कर, जिस कारया के लिए तुझे मानव जीवन मैने दिया है वो कारया ही तू कर"



मेरे चंद अलफ़ाज़

१* "दिल तोड़ के आए मेरे हमनशीं तुझे मिला क्या, मैं तो सिर्फ़ तुम्हारा था, बन के बेवफा आए मेरी ज़िंदगी तुझे मिला क्या"



२* "उनकी यादों को दिल्मे साजो रखा है जैसे मोती  साजो के रखते है माला के"


३*"दुनिया मे दोस्ती और प्यार सब मतलब के है  मेरे यार, झूठ और फरेब के बने है  आज सब ये रिश्ते, इन पर यकीन करना है  आज अब बेकार"


४* "अपनो ने ठुकराया मोहब्बत के पास आया, मोहब्बत ने ठुकराया दोस्त के पास आया, दोस्त ने ठुकराया तो ज़िंदगी के पास आया, ज़िंदगी ने ठुकराया मौत को गले लगाया, मौत भी निकली बेवफा तन्हाई को अपनाया, तन्हाई और सूनेपन को आज मैने हमसफ़र अपना बनाया"




Tuesday, 11 November 2014

कब वो हसीं शाम की होगी

कब वो हसीं शाम की  होगी, कब सामने मेरी लेला होगी, कब वो गुलाबी रात होगी, कब उनसे मुलाक़ात होगी, कब वो रिमझिम बरसात होगी, कब मेरी दिलरूबा मेरे पास होगी,कब उनसे बात होगी,कब वो हसीं शाम की  होगी,कब वो हसीं शाम की  होगी।