बहुत कुछ कहना है पर ज़ुबाँ खामोश है
है दिलमे बहुत कुछ पर ज़ुबाँ खामोश है
जी चाहता है बयाँ कर दू जो है दिल मे मेरे
कैसे करू बयाँ सुनने वाला ही खुदमें मदमोश है
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बहुत कुछ कहना है पर ज़ुबाँ खामोश है
है दिलमे बहुत कुछ पर ज़ुबाँ खामोश है
जी चाहता है बयाँ कर दू जो है दिल मे मेरे
कैसे करू बयाँ सुनने वाला ही खुदमें मदमोश है
अब हकीकत से, हसीं ये ख्वाब लगने लगे हैं
भूले बिसरे अपने, वहा हर दिन मिलने लगे हैं
जी चाहता है, एक गहरी नींद मे अब सो जाऊ
ख्वाबो मे सही,मोहब्बत के फूल वहा खिलने लगे हैं
जी चाहता है ,एक गहरी नींद मे ऐसे सो जाऊ
न जागू फिर कभी, बस इन ख्वाबो की हो जाऊ
मिलते है हर दिन, पीछे छूट चुके अपने वहाँ मुझे
काश फ़िर उनकी हो जाऊँ, न कभी लौट के आऊँ
मोहब्बत मे हमें,जिस्म के सौदागर बहुत मिले
जी चाहता है ,एक गहरी नींद मे ऐसे सो जाऊ
न जागू फिर कभी, बस इन ख्वाबो की हो जाऊ
मिलते है हर दिन, पीछे छूट चुके अपने वहाँ मुझे
काश फ़िर उनकी हो जाऊँ, न कभी लौट के आऊँ
मैंने ये अक्सर देखा है लोग आजकल जितनी जल्दी प्यार मे पड़ जाते हैं उतनी ही जल्दी इससे बोर भी होने लगते हैं, रिश्तें से दूर भागने लगते हैं, एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगते हैं, आखिर ऐसा क्यों?? जबकि पहले सबकुछ अच्छा था फिर अचानक क्या हो जाता है की रिश्ता बोझ लगने लगता है, प्यार धीरे धीरे कम होने लगता है, रिश्तों मे अलगाव और टकराव होने लगता है!
इसका कारण है शुरुआत मे एक दूसरे के साथ वक़्त बिताना, करीब आना इसलिए अच्छा लगता क्योंकि कुछ भी नया हमारे जीवन मे आता है तो अच्छा ही लगता है चाहे नया घर हो गाड़ी हो नई नौकरी हो अथवा नया रिश्ता,
पर वक़्त के साथ जैसे घर, गाड़ी अथवा नौकरी को ठीक रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, वैसे ही जिस जोश और जुनून के साथ अपना रिश्ता शुरू किया था उसके लिए भी कड़ी महनत करनी पड़ती है,
वक़्त के साथ साथ रिश्तें मे ज़िम्मेदारी भी बड़ जाती है, आप इन जिम्मेदारियों से भाग नही सकते, चाहे आप विवाहित है अथवा अविवाहित, मर्द है या औरत, ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है रिश्ता संभालने की, एक दूसरे के प्रति कोई कर्तव्य और ज़िम्मेदारी भाव रखना और पूरा करना, एक दूसरे की जरूरत का ध्यान रखना और पूरा करने का प्रयतन करना ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है जिसको निभाना आवश्यक है अगर आप किसी के साथ वास्तव मे रिश्तें मे है और इस रिश्तें के प्रति गभीर है, ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है एक दूसरे का साथ दे और वक़्त वक़्त पर स्पेशल फील करवाते रहे!
पर आज रिश्तें इसलिए कमजोर हो रहे हैं, टूट रहे है क्योंकि या तो कोई एक पक्ष या फिर दोनो पक्ष जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं, यदि दोनो भाग रहे हैं फिर भी ठीक है क्योंकि वो कह सकते हैं न तुम मुझे अपने ज़िम्मेदारी समझो और न मैं, पर अगर कोई एक पक्ष रिश्तें को संभलता है, रिश्तें मे अपनी ज़िम्मेदारी निभाता है लेकिन दूसरा पक्ष कोई न कोई बहाना बना इससे दूर भागने लगता है तब रिश्तें कमजोर होने लगते हैं, भले आपके जीवन में और रिश्तें है काम है जिनके प्रति आप अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं किंतु जिसके साथ आप रिश्तें मे है उसके प्रति कोई क्या ज़िम्मेदारी नही बनती आपकी??
इस गेरज़िम्मेदरना व्यवहार से रिश्तों मे टकराव होने लगते हैं, प्यार जैसे खूबसूरत रिश्तें से मन विचलित होने लगता है, लोग बोलने लगते हैं शायद मोहब्बत मेरे लिए नही है, पर मोहब्बत तो सबके लिए है, लेकिन ये देखना है आप इस रिश्तें की कद्र कितनी करते हैं, इस रिश्तें को अपनी ज़िम्मेदारी मान सभाल के रखते हैं या गेरज़िम्मेदरना व्यवहार दिखा इस खूबसूरत रिश्तें को दूसरे के दोष बता खत्म कर देना चाहते हैं!
जैसे जैसे वक़्त बीतता है जीवन मे कई उतार चढ़ाव आते ही है, ये परीक्षा होती है आप अपने साथी का साथ उस वक़्त देते हैं की नही जब उसको आपकी सबसे अधिक आवश्यता होती है, अगर उस वक़्त आप उसके साथ है, उसके आँसु पौछ रहे हैं तो निःसंदेह आप अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, सामने वाले की आवश्यता को ध्यान मे रख कर इसको सही तरीके से पूरा करने की कोशिश भी कर रहे हैं तो ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, पर यदि आप अपने साथी के दुख मे साथ नही, उसके प्रति जागरूक नही की उसकी आवश्यता क्या है कैसे पूरा करे, निःसंदेह आप प्यार के काबिल नही, इस खूबसूरत रिश्तें के काबिल नहीं क्योंकि प्यार एक साझेदारी है एक ज़िम्मेदारी है और यो किसी गेरज़िम्मेदार मर्द या औरत के लिए नही है!
इसलिए प्यार मे तभी पड़े जब इस ज़िम्मेदारी को सही ढंग से उठाने के काबिल आप हो, कोई फर्क नही पड़ता आपकी उमर क्या है, कभी 18 साल का बच्चा ये ज़िम्मेदारी अच्छे से निभा लेता है तो कोई 70 की उमर मे ज़िम्मेदारी के नाम पर रिश्तों मे कमी निकाल के दूर भागता है, यहाँ बात परिपक्वता के साथ रिश्तों के प्रति संवेदनशील होने की भी है, यदि आप अपने रिश्तों के प्रति संवेदनशील है तो ज़िम्मेदारी निभायेंगे अगर संवेदनहीं है तो रिश्तें मे साथी मे कमी निकाल कर उससे दूर भागेंगे और कहेंगे आप मोहब्बत के काबिल नही या नसीब मे मोहब्बत नही आपके क्योंकि आप सही मायने मे ज़िम्मेर व्यक्ति नही इसलिए इस खूबसूरत रिश्तें के काबिल भी नही, क्योंकि प्यार सिर्फ सेक्स नही एक ज़िम्मेदारी है!!
मजबूरी नही , ज़िम्मेदारी हूँ तुम्हारी
मोहब्बत हूँ, न कोई लाचारी हूँ तुम्हारी
काश तुम समझ, सकते ईश्क की गहराई
साथी हूँ इसलिए साझेदारी हूँ तुम्हारी