Tuesday 13 August 2013

तुही रास्ता है

तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी, तू ही रब है मेरा तू ही दुआ है मेरी, तूही  ज़िन्दगी है मेरी तू ही तो है हर ख़ुशी मेरी, 

कैसे रहू दूर तुझसे ऐ मेरे हम्नासिं तू ही तो है धड़कन मेरी,  है मेरी साँसों में तू ही  है तू ही तो चाहत मेरी, 

 तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी,  


मेरे दिन के उजाले में तू मेरी हर रात के अंधियारे में तू, मेरी हर सुबह में तू मेरी हर शाम में तू, मेरे आज में है तू मेरे कल में भी है तू, कैसे दूर जाऊ तुझसे ऐ मेरे हम्नासिं मेरा ही तो एक अक्स है तू, 


मेरी हर बात में है तू मेरे पल पल साथ में है तू, मेरी नींदों में है तू मेरे ख़्वाबों में है तू, मेरी जीने में है तू मेरी सीने में है तू, मेरी नज़रो में है तू मेरे हर नज़ारे में है तू,

 तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी, तू ही रब है मेरा तू ही दुआ है मेरी, तूही  ज़िन्दगी है मेरी तू ही तो है हर ख़ुशी मेरी, 


मेरा  यार है तू मेरा प्यार है तू, नहीं कोई और है दूजा तेरे सिवा ऐ मेरे दिलबर मुझे अज़ीज़ है कितना तू ,   



 तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी, तू ही रब है मेरा तू ही दुआ है मेरी, तूही  ज़िन्दगी है मेरी तू ही तो है हर ख़ुशी मेरी, 

कैसे रहू दूर तुझसे ऐ मेरे हम्नासिं तू ही तो है धड़कन मेरी,  है मेरी साँसों में तू ही  है तू ही तो चाहत मेरी,
 




 तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी, तू ही रब है मेरा तू ही दुआ है मेरी, तूही  ज़िन्दगी है मेरी तू ही तो है हर ख़ुशी मेरी,  

तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी,
तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी,




 



Saturday 10 August 2013

main khush nahi hoon

"hu tere sath har pal me, 
hu tere sath pal pal main,
lekin mai khush nahi hu,

muskurti hu mai teri har baat pe, 

chalti hu teri hi har rah pe,
 lekin mai khush nhi hu,

ashkon ko chhipa jhuthi khushi tujhe jatati hu, 

hoon kitni tanha aur khud ko akela hi paati hu,
par mai khush nhi hu,

deti nhi ilzaam apne dard-e-dil ka kisi ko, 

na hi kisi se kuch kehti hu,
lekin mai khush  nahi hu,

mile tohfe tujhse aur zamane se muje

 meri wafa ke badle bewafai ke,
 mile hai jo gam muje tujhse aur zamane se
 meri bhalai ke badle burai se, 
hoon khamosh nahi karti shikwa kisi se, 
par main khush nahi hoon,

 dekh meri jhuki hui palke samjta hoga tu
aur ye zamara sara ki khushi mein palke jhukaaye baithi hoon par main khush nahi hoon, 

tere aur zamane k diye inn zakhmo se mile ghaw ko pa kar dil pe lagi iss chot ke dekh kar samajhta hai shayad tu 
 ki bahut khush hu mai har baat ko bhula kar, 
har gam ko dil se mita kar lekin na bhool saki hoon main kuch aur na bhula sakti hoon wo tohafe gam-ae-tanhai ke, 

beeti baaton ki tees dil mein uthti hai har pal 
aur aankhon se behate askhon ki nadiya ke saath dil se bas ye hi aawaz aati hai pal pal ki 
mai khush nahi hu, 
haan main khush nahi hoon.."

Wednesday 24 July 2013

मेरी चाहत को देख कर डरते हैं वो

मेरी चाहत को देख कर डरते हैं वो की कहीं बिन उनके ना मर जाए हम, कहते हैं वो की नहीं हो सकते हम कभी तुम्हारे लेकिन डरते हैं वो की कही कोई गलत कदम ना उठा जाए हम,  नादान है वो जो सोचते हैं ऐसा, वो नहीं जानते की मौत को भी उनके लिए ही गले  लगाया जाता है जिनके साथ कभी ज़िन्दगी जीने का ख्वाब देखा जाता है, उन्होंने तो हमेशा मझधार में ही हमे अकेला छोड़ा है, बन के साथी कुछ दूर तक चले  फिर तनहा छोड़ा है, 


है पता हमे भी की नहीं हो सकते वो कभी हमारे पर हम भी नादान तो नहीं की ये जानते हुए भी एक खुदगर्ज़ से मोहब्बत की है हमने, जिसकी झूठी बातों पर भी ऐतबार किया है हमने, लेकिन इतने भी नादाँ हम भी नहीं की जिसे क़द्र नहीं मेरी मोहब्बत की दे दें जान उस शख्स के लिए, जिसने नहीं समझा कभी हमे अपने काबिल दे दें अपनी ये जान उस आशिक-ऐ-नाकाबिल के लिए, बेवज़ह डरते हैं वो की न मर जाए हम उनके लिए, कभी जीने नहीं दिया जिसने हमे अपने लिए कैसे मर जाए हम उसके लिए, मौत भी सताय्गी हमे जो ऐसा कुछ हम कर गए, जी न सके जिसके  लिए उसके लिए मर गए, मौत भी कहेगी हमसे मरना था  तो उसके लिए मरते जो तुम्ही से मोहब्बत  सिर्फ  करते, और जो करते  सिर्फ मोहब्बत तुमसे वो कभी  तुम्हे यु ही न मरने देते,



देख मेरी चाहत को  वो बेवज़ह यु ही डरते हैं, हाँ ये सच है की जीते जी हम उन्ही पर मरते हैं, नहीं हो सकते किसी और के क्यों की हम तो उनकी रुसवाइयों के बाद भी उन्ही से ही मोहब्बत हैं करते, लेकिन जिसे नहीं परवाह मेरी चाहत की उसके लिए हम भी अपनी जान यु ही  तो नहीं दे हैं सक्ते …


Tuesday 23 July 2013

मसीहा है ये 'एन गी ओ' सारे,

कहते हैं असहायों के मसीहा है ये 'एन गी ओ'  सारे, जब सुन अत्याचारों की भरमार कुछ  ना करने को  आगे नहीं बड़ते क़ानून के रख  वाले, जब पीड़ित  की नहीं सुनते ये क़ानून बनाने वाले, तब  हाथ बड़ा कर साथ निभाने का वादा करते ये 'एन गी ओ',  



सुने हमने भी कई कारनामे इनके, सोचा कोई तो है दुनिया में मजूलुमो की सुनने वाला, कोई तो है आखिर दुराचियों से भिड़ने वाला, मिलता जहाँ न्याय है देश में सिर्फ महलों में रहने वालों को, कोई तो है झोपड़ों में बसने वालों की सुध लेने वाला,


गुरुर था हमे की हैं नहीं अकेले इस जहाँ में, कोई तो है हमारा गरीबों का सहारा, बस इसी उम्मीद में जीते हम जा रहे थे, सोचने लगे थे अब न सहेंगे कोई अत्याचार किसी का क्यों ही है अब हमारे साथ 'एन गी ओ' मसीहा,


और आखिर आ ही गया वो दिन, जा कर किसी गहरे गढ़हे में हम जा गिरे थे, मदद के लिए लोगों को पुकार रहे थे, साँसे धीरे धीरे थमने लगी थी, आँखों की रोशनी भी अब धुंधली होने लगी थी, चोट के कारन दर्द से हम करह रहे थे, सबको अपनी मदद के लिए बहुत बुला रहे थे, पर ना आ सका कोई मदद के लिए तब ख्याल आया मसीहा 'एन गी ओ' का,


सुना था हमने जब हो मुसीबत में फसे और दूर खड़े देख रहे हो लोग तमासे तब आते हैं आगे  जरूरत मंदों के ये मसीहा, करते हैं मदद उनकी जिनकी नहीं है ये ज़माना सुनता, ये सोच कर हमने भी संपर्क  किया  उनसे साथ,


किया फ़ोन हमने और मांगी मदद जब उनकी, करते रहे फ़रियाद और की हमने उनसे जाने कितनी विनती, एक के बाद एक मसीहों से करते रहे दर्ख्यास्त और लगाते रहे जीने की आस पर कही किसी ने कहा आपका समय पूरा हो चूका है, कल जब मुसीबत में गिर जाना तब ९ बजे के बाद फ़ोन पे आना,  फिर किसी ने कहा वहा नहीं है हमारा आना जाना, और फिर किसी ने कहा हमें   बख्श दो किसी और को पकड़ो, हैं अनेको काम यहाँ पर तुम किसी और के हाथ पाँव जोड़ो,


टूटती रही हमारी साँसे और तड़पते रहे हम पर किसी को  ना आया हम पर रहम, आखिरी  सांस ज़िन्दगी की लेने  पहले  ये  जान गए  हम, जैसे सरकार का रवैया जनता के प्रति ढीला है वैसे ही मसीहा के लिए भी मदद के नाम पर झूठे मदद के वादे कर अपनी तिजोरी भरने की एक लीला है, लेती है सरकार वोट जनता से  जैसे झूठे वादे के नाम पर और मसीहा बने 'एन  गी ओ ' लूटते है लोगों को उनकी मदद के नाम पर,

नहीं है कोई भेद ,मसीहा गरीबों की बनी किसी सरकार और जनता के मददगार इन  एन गी ओ' स में मेरे प्यार, सब तो है अब  और असहाय लोगों को लूटने के हथियार  … 




                                    प्यार दोस्तों ये एक सच्ची घटना है इन एन गी ओ'स की, जो सिर्फ और सिर्फ पैसा कामे के लिए लोगों की मदद के नाम पर अपनी लूट की दूकान खोले बैठे है

Sunday 21 July 2013

इतनी सी दुआ चाहते हैं




नहीं चाहते कुछ ऐ  खुदा बस इतनी सी  दुआ   चाहते हैं, तुझसे कुछ और नहीं बस जीने की एक वज़ह चाहते हैं, अकेले हैं तनहा बहुत जहाँ में बस जीने के लिए एक हौसला चाहते हैं, क्यों हैं हम जहाँ में आखिर मकसद है क्या मेरा क्यों तूने भेजा  है मुझे आखिर क्या है इरादा तेरा बस तुझसे अपने होने की  वज़ह जानना चाहते हैं, चलते चलते बहुत थक चुके हैं  कोई हाथ बड़ा कर संभालने वाला हम चाहते हैं, इस सूने जीवन से सूनेपन को दूर करने के लिए बस किसी का साथ हम चाहते हैं, अपनी इस तनहा अधूरी सी ज़िन्दगी को पूरा करना हम चाहते हैं, आंसुओं के साथ नहीं मुस्कराहट के साथ हर पल ज़िन्दगी का जीना हम चाहते हैं, एक साथी हम चाहते हैं जो सिर्फ हमारा हो, जिसे सिर्फ हमारा ही सहारा हो, बिन हमारे न वो भी पूरा हो, बस अकेले चलते चलते ऐसे थक चुके हैं अब खुद भी की  किसी का सहारा बनना हम चाहते हैं और किसी का सहारा हम चाहते हैं, ऐ खुदा  बस अपनी ज़िन्दगी का अर्थ जानना हम चाहते हैं, करते हैं फ़रियाद तुझसे ऐ मेरे मालिक जो ना हो किसी काबिल मेरा ये जीवन तो तुझे याद करते करते इस ज़हां से विदा हम होना चाहते हैं, तेरी ही आघोष में ऐ मेरे खुदा अब तो बस सोना हम चाहते है…

ईश्वर वाणी -48(ishwar vaani-48)

प्रभु कहते हैं जब जब धरती पर पाप बड़ते हैं और ईश्वर पर से लोगों का विश्वाश कम होने लगता है और लोग उनकी शिछा का अनुसरण छोड़ और धर्म का मार्ग त्याग कर दुराचारी होने लगते हैं तब तब मानव मात्र में आई इन बुराइयों का अंत करने हेतु पृथ्वी पर ईश्वर अवतरित होते रहते हैं,



प्रभु चाहे तो बिना धरती पर प्रकट हुए भी धरती पे विराजित बुराइयों का अंत कर सकते हैं या फिर वो चाहे तो कभी किसी भी प्राणी द्वारा बुराई का मार्ग भी ना अपनाने दें किन्तु इसके पीछे प्रभु का उद्देश्य है की उनकी  लीला के साथ मानव मात्र के  जीवन में  चिर काल तक अपने अस्तित्व के होने का प्रमाण और  इस समस्त समस्त भ्रह्मांड के रचिता, संगराक्षक, पालन एवं उध्हार करता के साथ विनासक भी 
है इस तथ्य को प्राणी मात्र तक पहुचने का उनका उद्देश्य है । 


ईश्वर कहते हैं की वो ही बुराई हैं और अच्छाई भी वो ही है, ईश्वर कहते हैं की वो बुराई के रूप में धरती पर आते हैं ताकि लोग उनके अछे स्वरुप को स्वीकार कर चिर काल तक उनकी अच्छाईयों का अनुसरण करते रहे किन्तु यदि वो बुराई के रूप में धरती में नहीं अवतरित होंगे तो धीरे धीरे लोग उन्हें भूलने लगेंगे एवं अहंकार के वश में खुद को ही सर्वंग्य मानने लगेंगे, इसलिए  मानव मात्र को अहंकारी और पथ भ्रष्ट होने और चिर काल तक ईश्वर में और उनकी शिक्षाओ में विश्वाश रख उनका अनुसरण करने हेतु ही प्रभु लीला करते हैं एवं पृथ्वी पर जन्म लेते हैं....




Friday 19 July 2013

पौराणिक कथा- पूर्ण श्रद्धा भाग ४ (pauranik katha- poorn shradhha bhaag 4)

एक बार की बात है जीसस अपने सभी बारह शिष्यों के साथ अपने किसी अनुयायी के घर गए, उस अनुयाई एवं उस गाँव के प्रत्येक व्यक्ति ने जल से उनके चरण छू कर आशीर्वाद प्राप्त किया, इसके बाद जिस अनुयायी के घर वो गए थे उसने उन्हें भेजन करने के लिए आमंत्रित किया, भोजन करने के उपरान्त वो अपने समस्त शिष्यों के साथ उस अनुयाई के घर बैठ कर उपदेश दे  थे की उनके पीछे एक स्त्री आई सुगन्धित पुष्पों से बना इत्र  भरा एक कटोरा जीसस के सर पर दाल दिया, ये देख कर उनके एक शिष्य ने उस स्त्री को डांटा और कहा की ये तूने क्या किया, इतना महंगा सुगन्धित पुष्पों के इत्र से भरा कटोरा तूने प्रभु के सर पर क्यों डाल  दिया, क्या तू नहीं जानती प्रभु इससे प्रसन्न नहीं होते किन्तु यदि तू इसे बेच कर जो धन कमाती और उस धन को गरीब और जरूरतमंद लोगों को बांटती तो प्रभु तुझसे अवश्य प्रसन्न होते, ये बात सुन कर वो स्त्री डर  गयी किन्तु अपने शिष्य को शांत करते हुए जीसस ने कहा इस स्त्री ने सबसे पहले मेरे शरीर पर इत्र मला है, मेरे जाने के बाद मेरे शरीर पर ऐसे ही सुगन्धित पुष्पों से बने इत्र को मला जाएगा, उनकी बात उनके शिष्यों एवं अनुयायियों को समझ नहीं आई किन्तु फिर उन्होंने कहा की वो सिर्फ अपने मानने वालों एवं उनके पथ का अनुसरण करने वालों की श्रध्हा देखते हैं इस स्त्री की जो असीम श्रध्हा थी मुझ पर इस इत्र का कटोरा डालते वक्त मैं उसकी उस भावना को सम्मान करता हूँ, और जो भी मेरा अनुयायाई मेरा मानने वाला सच्चे ह्रदय से मुझे कुछ अर्पण करेगा मैं उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ सहर्ष स्वीकार करूँगा....



   इस प्रकार प्रभु यीशु ने हमे ये सीख दी की ईश्वर बाहरी आडम्बरों से नहीं अपितु अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा और प्रेम भावना से प्रसन्न होते हैं, उनकी दृष्टि में कोई भी और किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं होता है। 


                                                      आमीन