Saturday 13 January 2018

कविता-ज़ख्म इतने दिए तूने ऐ ज़िन्दगी

“वफ़ा पर तेरी क्या एतबार करू
मैंने तो फूलों से ठोकर खायी है”

ज़ख्म इतने दिए तूने ऐ ज़िन्दगी
मरहम भी चोट मुझे देने लगे है

तूने जब जब जिसे अपना कहा
वही लोग अश्क मुझे देने लगे हैं

एक रात चाही थी ज़िन्दगी की 
हर मोड़ पर मौत मुझे देने लगे है

आज किसे अपना कहु किसे गैर
अपने ही तो ये तन्हाई देने लगे है

रोता है दिल मेरा करके तुझे याद
तेरे साये भी दगा मुझे देने लगे है

ज़ख्म इतने दिए तूने ऐ ज़िन्दगी
मरहम भी चोट मुझे देने लगे है-2

मुक्तक, कविता-क्यों ज़िन्दगी गम मुझे हर बार देती है

"कितनी अकेली और तन्हा हूँ  मैं
जीवन से कितनी बेपरवाह हूँ मैं
ज़िन्दगी को जीना सीख रही हूँ
देखो कितनी लापरवाह हूँ मैं"


"क्यों ज़िन्दगी गम मुझे हर बार देती है
क्यों ज़िन्दगी ये दर्द मुझे बार बार देती है

'खुशी' की चाहत दिलमे रखी थी बस
'मीठी' को अश्क ये जिंदगी हर बार देती है

जीने की वजह हर रोज़ ढूंढते है हम यहाँ
मरने की वजह ये जिंदगी हर बार देती है

मुस्कुराहट लबों पर रोज़ खोजते है हम
रुला हर पल ये ज़िन्दगी बार बार देती है

'खुशी' पूछती है आज 'मीठी' से हर दिन
क्यों ज़हर मुझे ये ज़िन्दगी हर बार देती है

क्यों ज़िन्दगी गम मुझे हर बार देती है
क्यों ज़िन्दगी ये दर्द मुझे बार बार देती है



Thursday 4 January 2018

ईश्वर वाणी-227, देश, काल, परिस्तिथि अनुरूप ईश्वर का जन्म




  





ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों तुम मुझे निम्न नामो से जानते हो उन्ही से
मुझे पुकारते हो, किन्तु तुम ये नही जानते की मैं केवल देश, काल,
परिस्तिथि के अनुरूप भौतिक देह नयी धारण करता हूँ की इस भौतिक देह में
विराजित आत्मा एक ही है, जो आत्माओ में परम, जो परमात्मा है।

हे मनुष्यो समस्त जीव आत्माओ का श्रोत में ही हूँ, मैं ही आत्माओ में
परम् होने के कारण, समस्त आत्माओ स्वामी, जगत का स्वामी, भूतकाल,
भविष्यकाल, वरत्मानकाल का स्वामी परमेश्वर हूँ।

मैं ही जगत में जीव आत्माओ को निम्न कार्यो हेतु भेजता हूँ और कार्य
पूर्ण होने पर अपने में ही समा लेता हूँ, साथ ही देश, काल, परिस्तिथि के
अनुरूप में भी जन्म लेता हूँ और निम्न कार्यो को पूर्ण करता हूँ।

कल्याण हो

--
Thanks and Regards
   *****Archu*****

Sunday 17 December 2017

कविता--इस जहाँ में मैं भी पंख फेलाना चाहती हुँ(आधुनिक परिवेश में नारी की पीड़ा)

"बस जहाँ में मैं भी पंख फेलाना चाहती हुँ
ऐ दुनिया मैं भी तो अब उड़ना चाहती हुँ

बंद कमरे का अँधेरा और कब तक सहु में
मैं भी तो अब ये उजियारा देखना चाहती हूँ

बेगुनाह हो कर भी सदियो से कैद हूँ में यहाँ
तोड़ इन जंजीरो को में अब जीना चाहती हुँ



अस्मत का हवाला दे मुझे गुलाम बनाया
आज यहाँ आज़ादी से साँस लेना चाहती हु

नारी हूँ तो क्या हुआ आखिर निर्जीव नहीं
बोझ नही आखिर में भी आधी आबादी हूँ

बहुत रख लिया कैद मुझे बता तुम हो नारी
है जगत की जननी नारी ये बताना चाहती हूँ

क्यों रहु कैद कितना आखिर अपराध बता
गुड़िया नही मैं माटी की ये जताना चाहती हूँ

है भावनाये मुझमे भी है उमंग ज़िन्दगी की
क्यों रखते हो कैद मुझे आखिर कैसे अपराधी हूँ

बस जहाँ में मैं भी पंख फेलाना चाहती हुँ
ऐ दुनिया मैं भी तो अब उड़ना चाहती हुँ-२"



हिंदी मुक्तक-👍👌👍👌💐💐☺😢☺


Primary



     "दिल तोड़ने वाले बहुत मिले हमें
पर दिल जोड़ने वाला न मिला हमे
   सोचा था कोई तो होगा अपना भी
इश्क में यु मोड़ने वाला न मिला हमें"

"इश्क में बहुत अश्क हमने भी बहाये है
मेहबूब को करीब दिलके हम भी लाये है
कर दी थी जहाँ से बगावत जिसके खातिर
बेवफा दिलबर से ये ज़ख्म हमने भी खाये है"

हिंदी-मुक्तक😢😢👌👌👍👍👍💐💐💐☺



  • "याद में तेरी आज भी अश्क बहाते है
  • तेरे सिवा न इस दिलमे किसी को लाते है
  • है पता हमे तुम तो हो बेवफा दोगे दगा
  • फिर भी तुम पर ही दिल ये हारे जाते है"

  • "है  इक ख्वाइश  हमारी  भी
  • है इक फरमाइश हमारी भी
  • मिले ख्वाबो का वो शहज़ादा
  • है इक आज़माइश हमारी भी"

  • "सूरत से नहीं सीरत से तेरी प्यार किया
  • सब कुछ अपना तुझ पर मैंने वार दिया
  • पर तूने कभी कदर न करी मोहब्बत की
  • तेरे लिए देख आज मैंने त्याग संसार दिया"

  • "एक बेवफा को दिलमे बसा कर रोये बहुत हम
  • उस बेवफा को अपना बना कर रोये बहुत हम
  • सोचते थे कभी पिघलेगा दिल उनका भी
  • यही सोच सबकुछ अपना खोये बहुत हम"

Saturday 16 December 2017

प्रभु येशु गीत-मेरा येशु आया है






"ख़ुशी मनाउ प्रेम गीत गाऊ
आज घर मेरे मेरा येशु आया है

घर को सजाउ मिष्टान लाऊ
भोग बनाऊ, मेरा येशु आया है

अश्को से अपने तेरे चरण में धोऊ
प्रभु ने मुझ पर ये प्रेम बरसाया है

ख़ुशी मनाउ प्रेम गीत गाऊ
आज घर मेरे मेरा येशु आया है

आसन पुष्पो का प्रभु मैं बनाऊ
गीत सुनाऊ, मेरा येशु आया है

मैं झूमूँ नाचूँ गाउँ धूम मचाऊँ
 ख़ुशी का ये अवसर आया है

ख़ुशी मनाउ प्रेम गीत गाऊ
आज घर मेरे मेरा येशु आया है-२"