Monday 23 December 2019

कविता-नादां दिल

"नादां दिल फिर उसी रास्ते पर चलने लगा था
पागल पन देखो ये नादां फिर से करने लगा था
समझने लगा था यहाँ फिर से किसी को ये अपना
नादां दिल देखो फिर से मोहब्बत करने चला था


धड़कन में देखो किसी को फिर बसाने चला था
साँसों में देखो ये फिर किसीको समाने लगा था
अकेले में याद कर कैसे  मुस्कुराता था ये नादां
पागल मन फिर काँटो को फूल समझने लगा था


खुद से रूठ देखो खुद को ही ये मनाने चला था
किसी की ख्वाइशों पर देखो कैसे ये मरने लगा था
अपने ही दर्द से मोहब्बत सी हो गयी थी फिर इसे
 हाय ये नादां दिल देखो फिर क्या करने चला था

भूला सारी रस्मो रिवाज़ खता ये  करने लगा था
चलते चलते फिर कही ये रुकने लगा था
शायद होने लगा था ये धीरे धीरे फिर किसीका
नादां दिल फिर उसी रास्ते पर चलने लगा था"
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Saturday 21 December 2019

चन्द अल्फाज

१-❤ "चलते चलते बहुत थक चुके हैं ए ज़िंदगी
अब बस ठहर मुझे मौत की आगोश में सोने दे"


२-"माँगी थी जिससे ज़िन्दगी मैंने उसीसे मौत मिल गयी
मोहब्बत में देखो क्या खूब ये मुझे सौग़ात मिल गयी
'मीठी-खुशी' समझ जाने क्या उम्मीद करने लगे थे
मैंने तो हसीं सुबह चाही थी पर काली रात मिल गयी"


३-"एक पत्थर को पिघलाने चले थे हम
कितने नादां थे फर मोहब्बत करने चले थे"


४-"जब जब जीने का हौसला करने लगते हैं
ज़िंदगी अपनी बेवफाई का अहसास दिला जाती है"


५-"मेरे आँसुओ को पानी बता हस्ते हैं जो
दुनिया की महफ़िल में कितने सस्ते हैं वो"

६- ❤ "पूछता है नादां दिल धड़कन से क्या होती है जिंदगी
कहती है धड़कन ज़ख़्म खाने का नाम ही है जिंदगी"

७-❤"हम तो बस अपना हाल ए दिल बयां करते हैं
और लोग कहते हैं हम तो कमाल करते हैं"

Friday 20 December 2019

Romantic poem

ना दामन छुड़ा न दूर अब तू जा
थाम कर हाथ मेरा आ करीब आ

बहुत रह चुकी 'मीठी' तन्हा यहाँ
आज पिया मोह्हबत का रस बरसा

'खुशी' तुमसे है अब ए मेरे हमदम
तोड़ कर दिल मेरा न मुझे तू सता

आ हटा दे शर्म का ये पर्दा मेरे हमदम
आज हुई में तेरी तू भी अब मेरा होजा



Wednesday 18 December 2019

टूट कर बिखर जाती हूँ-कविता

हर रोज़ टूट कर बिखर जाती हूँ

हर रोज़ खुद से ही रूठ जाती हूँ

हूँ तन्हा कितनी अब तेरे बगैर मैं

तुम से न ये कभी कह पाती हूँ


सामने तुम्हारे अब नज़रे चुराती हूँ

देखती जो तुम्हे नज़रे झुकाती हूँ

ये हुआ क्या मुझे ए दिल कुछ बता

एक पल भी बिन तेरे न रह पाती हूँ


हाल-के-दिल सखियो को सुनाती हूँ

क्या हुआ है मुझे ये न समझ पाती हूँ

इश्क तो नही हुआ है मुझे ए मेरे रब

मोहब्बत से तो बस खुदको बचाती हूँ


बहते इन आंसुओ को अब छिपाती हूँ

ज़ज़्बात दिलके न उन्हें कह पाती हूँ

काश समझ सके मेरे दिलकी बात वो

अब तो तुम्हारे बिन न मैं जी पाती हूँ

चंद अल्फाज

"भेड़ियों में इंसान ढूंढते हैं

मुर्दे में भी जान ढूंढते है

कितनी बेगैरत है ये दुनियां

फिर भी यहाँ मुक़ाम ढूंढते हैं"


"कहने को तो सब कुछ है पास मेरे
पर तू जो नही तो कुछ भी नही है'


"कैसे मान ले ये दिल की मिट चुका तेरा हर निशाँ जहाँ से
पर जब जब देखा खुद को आयने में नज़र आया तू ही 
मुझे मुझमें"

"काश एक बार मुड़कर तो देख ए ज़िंदगी
तेरे बगैर एक ज़िंदा लाश हूँ मैं ए हमनशीं"

Monday 16 December 2019

तुझे ही देखते हैं-कविता

"रुक रुक  कर मुड़  तुझे ही देखते हैं
करीब  आते  हो तो  मुँह फेर लेते हैं
कहीं जान न लो हमारे दिलकी बात
इसलिए  गमो  में भी मुस्कुरा देते  हैं

दूर  तुझसे  जा  कर  कितना रोते हैं
फिर भी कुछ भी न तुमसे कहते  हैं
तुम  समझते  नही ज़ज़्बात दिल के
फिर भी मोहब्बत तुमसे ही करते हैं

अब तुम बिन  तन्हा से  बस रहते  हैं
तेरी  यादों में  अब यू  खोये  रहते  हैं
तेरी  बिन अब कुछ भी  नही  'मीठी' 
'खुशी' है मेरी तुमसे ही आज कहते हैं"

चन्द अल्फ़ाज़

"रिश्ता ये दोस्ती का बहुत निभा  लिया
हर किसी को अपना बहुत बना  लिया
सबके  दर्द बांटते  बांटते  हम हार गए
इंसां में इन भेडियो को बहुत देख लिया"

"हम तो दोस्ती के खातिर सब कुछ  कर गये
 फिर एक दिन उनके लिए ही बेगैरत  हो गए
हाय ये कैसी ज़ालिम थी दुनिया न जान सके
उनकी मुस्कुराहट के लिए अश्क अपने पी गए "