Wednesday 18 December 2019

चंद अल्फाज

"भेड़ियों में इंसान ढूंढते हैं

मुर्दे में भी जान ढूंढते है

कितनी बेगैरत है ये दुनियां

फिर भी यहाँ मुक़ाम ढूंढते हैं"


"कहने को तो सब कुछ है पास मेरे
पर तू जो नही तो कुछ भी नही है'


"कैसे मान ले ये दिल की मिट चुका तेरा हर निशाँ जहाँ से
पर जब जब देखा खुद को आयने में नज़र आया तू ही 
मुझे मुझमें"

"काश एक बार मुड़कर तो देख ए ज़िंदगी
तेरे बगैर एक ज़िंदा लाश हूँ मैं ए हमनशीं"

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