Sunday 29 December 2019

मेरे चंद अल्फ़ाज़

1-"न अब कोई घर न  मकान  ढूंढते हैं
न जीने का अब कोई समान ढूंढते हैं
कहाँ दफन करू तेरी इन यादों को मैं
बस अब वो जगह और स्थान ढूंढते हैं"

2-"थाम कर हाथ फिर सबने छुड़ाया है
अपना बना फिर गैर मुझे बताया है
हम तो गैरो को अपना बना लेते है
यहाँ अपनो ने ही गैर मुझे ठहराया है"
😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡

3-"गेरो की क्या शिकवा करू मुझे तो अपनो छोड़ा है
दे कर ज़ख़्म हर मोड़ पर सभी ने मुझे तोड़ा है"

😡😡😡😡😡

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