Monday 30 December 2019

मेरे कलम से मेरे चंद अल्फ़ाज़

 1-"कितना गुरुर था खुद पर की कितने अपने हैं लोग यहाँ
लेकिन हालातो ने बता दिया कितनी गलतफहमी में थे हम"

2-"अब तो इन रास्तो पर डर लगता है
देख दुनियादारी मेरा तो दम घुटता है"

3-"बहुत भरोसा था तुझपे ऐ ज़िंदगी
पर आखिर तू भी दगा दे ही गयी

4-'फिर ये हसीं सर्द रात आयी
फिर मुझे तेरी याद आयी
तुमने न देखा कभी मुड़कर
मुझे तेरी हर बात याद आयी

5-"दिल ने बहुत चाहा कि रोक लू तुम्हें
दिल ने बहुत चाहा अपना बना लू तुम्हें
पर तुम्हें परवाह कहाँ मेरे ज़ज़्बातों की
दिल ने बहुत चाहा धड़कन में बसा लू तुम्हे"❤❤

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