Sunday 1 December 2019

भारतीये पुरुषों की मानसिकता और धर्म-लेख

"हर शख्स बस यही चाहता है उसे भी किसी का प्यार मिले जिससे उसकी जिंदगी सवर जाये, पर हर किसी को ये नसीब नही होता।

मैंने देखा है इंसान की उम्र चाहे जो भी हो, चाहे तो 17 का हो या 70 साल का उसकी फितरत सिर्फ धोखे की होती है

मैंने एक बात और ज्यादा गौर की है पाश्चात्य देशों की अपेक्षा भारत के पुरूष ज्यादा धोखेबाज और चिरित्रहीन होते हैं तभी भारत को बलात्कारियो का देश कहा जाता है, यहाँ के पुरुष स्त्रियों को सिर्फ एक सेक्स डॉल से ज्यादा कुछ नही समझते हैं, बस जब दिल करा खेल लिए फिर फेंक दिया, उन्हें स्त्रियों के ज़ज़्बातों से मतलब नही।

और फिर जब कोई स्त्री उनसे तेज़ निकल जाए तो उनके ईगो को बड़ी ठेस पहुचती है।

यहाँ के पुरुष भले हिन्दू हिंदू का राग अलापले, अपने धर्म अपनी संस्क्रति को श्रेष्ठ बोले लेकिन सच तो ये है कि अंदर से उन्होंने ही इसको खोकला किया हुआ है तभी आये दिन महिलाओ पर अत्याचार की खबरे सुनने को मिलती है।

मेरे कुछ यूरोपियन मित्र हैं, कुछ महिलाएं तो कुछ पुरुष,  25 साल से ले कर 70 साल की उनकी उम्र है, मैंने देखा चाहे वहा की स्त्रियां हो या पुरुष वो मुझे हिन्दुस्तानियो से ज्यादा सभ्य लगते हैं।

जैसा कि मेरा ऑनलाइन क्लोथिंग का काम है, मुझे कई जगह अपने प्रॉक्टस के ऐड डालने पड़ते हैं, एड में अपना ऑफिशियल कांटेक्ट नंबर भी देना होता है ताकि कस्टमर मुझे कॉन्टैक्ट कर सके प्रोडक्ट के लिए, मैंने देखा है कि कई बार घटिया लोग भी कस्टमर/व्होलेसलेर/मनुफेक्चरर बन कर कांटेक्ट करते हैं और मेरा दिमाग और समय बर्बाद करते हैं।

इससे मुझे भारतीयों की सोच पता चलती है।


वही मेरे यूरोपियन मित्र चाहे महिला हो या पुरुष उन्होंने आज तक कोई ऐसी बात नही की जो घटिया लगी हो मुझे, हमेशा अपनी मर्यादा का ध्यान रख कर उन्होंने मुझसे बात की है और करते है यहाँ तक कि हिन्दुस्तानियो से ज्यादा भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं, कभी कभी शर्म आती है खुद पर की इस देश मे पैदा हुए हैं जहाँ के लोग कहते कुछ और करते कुछ।


ऐसा नही ऐसी सोच वाले कम पड़े लिखे और निचले तबके के लोग हैं, बल्कि अमीर पड़े लिखे यहाँ तक कि धर्म की की बात कहने करने वाले सैंकड़ो धार्मिक किताब पढ़ने वाले और धार्मिक कार्य करने वाले लोग भी शामिल हैं।

मुझे घिन आती है इस समाज से, ये भारतीय समाज भरोसे के काबिल ही नही रहा, आम इंसान बन कर रहना बहुत मुश्किल है यहाँ, अगर यहां रहना है वो भी सुरक्षित तो भीड़ से हट कर कुछ करना होगा, अपनी इच्छाओं को मारना होगा तभी एक लड़की अकेले यहाँ खड़ी रह सकती है अन्यथा सभी के लिए वो सिर्फ एक मौका मात्र है।

मेरा तो कहना यही है हर हिंदुस्तानी सोच बदले या हिंदू हिंदू के नारे लगाने बन्द करे क्योंकि जब तब बहन बेटी माता सुरक्षित नही तब तक कोई संस्कृति किसी काम की नही और इसी वजह से हिन्दू धर्म बस मुट्ठी भर ही दुनिया मे रह गया है क्योंकि अपने पतन की वजह ये खुद है।"


परमात्मा भला करे

जय माता दी

जय गुरु जी

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