Sunday 29 December 2019

मेरे दुश्मन को ठंड लग जाये-कविता

सर्दी का फ़िर ऐसा मुकाम आ जाये

ठंडी का फिर ऐसा तूफ़ान आ जाये

सर्दी में बहने लगे नाक मेरे दुश्मन की

ईश्वर करे उसे ऐसा ज़ुकाम आ जाये


छींक का समंदर ऐसे बह जाए

हर कोई उससे अब दूर हो जाये

खुद को बचाये लोग उससे ऐसे

सर्दी में उसको रजाई न मिल पाए


😡😡😡😡😡😡

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