Saturday 14 March 2020

गीत- मेेरे सनम मेरे हमदम



--------/------/----/-------/-------/------/-----/

अपनी हर सांस को, तेरे नाम किया है
दिल की हर धड़कन ने , नाम तेरा लिया है
तू अनजान न बन, मेरे ज़ज़्बातों से और
मैंने तो आखिर, दिल तुझको ही दिया है

मेेरे सनम मेरे हमदम, न कर मुझपे सितम


तू खुशी है मेरी , तू ज़िन्दगी है मेरी
न सह सकूँगा अब, तुझसे ये में दूरी
तेरे प्यार के साये में,  गुज़ार दूं ज़िन्दगी
न हो कोई अब, फिर कोई मज़बूरी


छोड़ लाचारी सारी, इश्क में और सारे भरम

मेेरे सनम मेरे हमदम, न कर मुझपे सितम


तुझसे पहले थी, ज़िंदगी मे सिर्फ तन्हाई
तुमसे मिलकर,  एक आस दिल मे आयी
मुस्कुरा उठा दिल मेरा, जबसे तुझे देखा
सूनी सी ज़िंदगी मे, तू 'मीठी-खुशी लायी


बना कर अपना मुझे, न कर पीछे तू कदम
एक तू ही तो मेरा अपना, यहाँ मेरा हमदम
न दिल तोड़ दिल न दूर जा, कर इतना रहम

मेेरे सनम मेरे हमदम, न कर मुझपे सितम

मेेरे सनम मेरे हमदम, न कर मुझपे सितम

-------/-------/-------/--------/--------/-----/

गीत-तुम्हारी यादों को

तुम्हारी यादों को दिलमें बसाए बैठे हैं।


कभी मुड़कर, मुझे भी तुम देख लेना

वक्त मिले तो, याद मुझे भी तुम कर लेना

ये माना, नही तुम्हे अब जरूरत हमारी

हकीकत न सही, ख्वाब मुझे समझ लेना

तेरी मोहब्बत की, हसरत सजाए बैठे हैं

तुम्हारी यादों को, दिल में बसाए बैठे हैं


रूठे तुम, ऐसे की मना हम ना पाये

दूर ऐसे हुए की, फिर करीब न आये

तू खुश रहे सदा, यही दुआ करते हैं

भले तेरे बिना, हम और जी न पाये


तेरी हर बात को, सीने से लगाये बैठे हैं

तुम्हारी यादों को, दिलमें बसाए बैठे हैं


तुझे याद कर, रोते है हम रात-दिन

तेरे लिए तो, तड़पते है हम हर दिन

काश तू फिर, मुड़कर देख हाल मेरा

करते हैं सबसे, अब तेरी ही बात रात-दिन


पत्थर से पिघलने की, आस लगाए बैठे हैं

मौत से ज़िन्दगी की, उम्मीद लागाये बैठे हैं


बेवफा से वफ़ा की, आस लगाए बैठे हैं

तुम्हारी यादों को, दिलमें बसाए बैठे हैं

Monday 9 March 2020

ईश्वर वाणी-282, पारलौकिक दुनियां



ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों जैसे पृथ्वी पर अनेक जलचर, थलचर व आकाश में उड़ने वाले प्राणी है व उनकी अपनी एक अलग दुनिया है ठीक वैसे ही एक दुनियां भौतिक देह त्याग चुकी आत्माओ की भी है।

जैसे सागर की गहराई में अनेक प्रकार के जीव रहते हैं, ये सागर ही उनका घर है, अगर उन्हें सागर से निकाल दिया जाए तो वो मर जाते हैं, ठीक वैसे ही थलचर जीवो को अगर सागर की गहराई में भेज दिया जाए तो वो जी नही सकते, कारण दोनों की अपनी अपनी अलग दुनिया के निवासी हैं और अपनी ही दुनिया के लिए बने हैं।

ठीक वैसे ही जीव-आत्माओ की भी दुनिया है, वहाँ भी यहाँ की भांति अच्छी बुरी जीवात्मायें रहती है, यधपि कुछ आत्माएं जो अपने परिवार या अपने किसी प्रिये के जीवित रहते करीब होती है मृत्यु के बाद भी कोशिश करते हैं उनके करीब रहे, उन्हें अहसास दिलाये की भले शरीर न सही पर अब वो उनके साथ है यधपि वो अब इस भौतिक जगत की निवासी नही रही।

कुछ व्यक्ति आधुनिकता के नाम पर उस पारलौकिक दुनिया पर भरोसा न करके उसका उपहास करते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि उनके अपने कर्म जो पिछले जन्म और इस जन्म के ऐसे  नही रहे जो उन्हें उस सत्य से अवगत कराएं जो परम है, सत्य वो नही जो दिखता है, सत्य वो है जो दिखता नही पर होता है।

हे मनुष्यों आध्यात्म से जुडो ताकि तुम्हे भी उस परमकी प्राप्ति हो जो सत्य है जिससे तुम्हारी आत्मा का पूर्ण विकास हो उसका कल्याण हो।"

कल्याण हो

ईश्वर वाणी-281, पारलौकिक दुनियां



ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों जैसे पृथ्वी पर अनेक जलचर, थलचर व आकाश में उड़ने वाले प्राणी है व उनकी अपनी एक अलग दुनिया है ठीक वैसे ही एक दुनियां भौतिक देह त्याग चुकी आत्माओ की भी है।

जैसे सागर की गहराई में अनेक प्रकार के जीव रहते हैं, ये सागर ही उनका घर है, अगर उन्हें सागर से निकाल दिया जाए तो वो मर जाते हैं, ठीक वैसे ही थलचर जीवो को अगर सागर की गहराई में भेज दिया जाए तो वो जी नही सकते, कारण दोनों की अपनी अपनी अलग दुनिया के निवासी हैं और अपनी ही दुनिया के लिए बने हैं।

ठीक वैसे ही जीव-आत्माओ की भी दुनिया है, वहाँ भी यहाँ की भांति अच्छी बुरी जीवात्मायें रहती है, यधपि कुछ आत्माएं जो अपने परिवार या अपने किसी प्रिये के जीवित रहते करीब होती है मृत्यु के बाद भी कोशिश करते हैं उनके करीब रहे, उन्हें अहसास दिलाये की भले शरीर न सही पर अब वो उनके साथ है यधपि वो अब इस भौतिक जगत की निवासी नही रही।

कुछ व्यक्ति आधुनिकता के नाम पर उस पारलौकिक दुनिया पर भरोसा न करके उसका उपहास करते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि उनके अपने कर्म जो पिछले जन्म और इस जन्म के ऐसे  नही रहे जो उन्हें उस सत्य से अवगत कराएं जो परम है, सत्य वो नही जो दिखता है, सत्य वो है जो दिखता नही पर होता है।

हे मनुष्यों आध्यात्म से जुडो ताकि तुम्हे भी उस परमकी प्राप्ति हो जो सत्य है जिससे तुम्हारी आत्मा का पूर्ण विकास हो उसका कल्याण हो।"

कल्याण हो

Sunday 8 March 2020

Romantic shayri-hindi


हम तो हर पल तुम्हें याद करते हैं
कैसे बताये तुमसे कितना प्यार करते हैं
तन्हा है बहुत तुमसे दूर रह कर अब
रब से तुमसे मिलने की फरियाद करते हैं

दर्द भरी शायरी-हिंदी

गम छिपा सबसे झूठे ही मुस्कुराते है
बेदर्द दुनिया से अपने ज़ख़्म छिपाते है
हम खुश हैं इस महफ़िल में बहुत
अश्क़ छिपा सबको यही हम बताते हैं

अपना बना लोग यहाँ फिर रुलाते है
वफ़ा की बात कह दगा लोग कर जाते हैं
किसे अपना कहे 'मीठी-खुशी' यहाँ अब
मरहम बता चोट पर लोग तेजाब गिरा जाते हैं

Wednesday 4 March 2020

Romantic shayri

उफ्फ ये भोलापन ये मासूम अदा
देख तुझे तझपे है दिल मेरा फिदा
आजा अब न और तड़पा ए ज़िंदगी
न रह सकूँगा होके अब तुझसे जुदा