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Tuesday 16 June 2020
Sunday 14 June 2020
रोमांटिक कविता
"लब हैं खामोश पर दिल कुछ कहना चाहता है
इस मदहोश रात में आज ये तेरा होना चाहता है
कुछ तुम हो चुप कुछ शरमाये से हम भी है बैठे
बढ़ाओ कुछ कदम दिल तुम्हारा होना चाहता है
तन्हा ज़िंदगी मे ये दिल अब तुम्हे पाना चाहता है
संग जिये 'मीठी-खुशी' के वो पल जीना चाहता है
तोड़के ज़माने की रस्मों और रिवाज की ये जंजीरे
आज मोहब्बत में तेरी मेरा दिल खोना चाहता है"
Saturday 6 June 2020
Saturday 30 May 2020
कहानी-short story
एक व्यक्ति किसी महिला से मिला, उससे कहा कि मैं बहुत भूखा हूँ, बहुत दिनों से भोजन देखा तक नही, मुझे भोजन चाहिए।
इस प्रकार हर रोज़ वो उस महिला के पास जा कर वो उससे भोजन मांगता, पहले तो महिला ने उस पर ध्यान नही दिया लेकिन एक दिन सोचा शायद ये सच में भूखा है, और उसने उस आदमी को भोजन खिलाने का मन बनाया जब वो फिर उसके पास भूख की बात कहने आया।
महिला ने जब भोजन देने की बात की तो वो व्यक्ति बोला किस नाते से मुझे भोजन दोगी, महिला बोली जिस नाते से तुम भोजन खा सको।
इस तरह वो व्यक्ति उस महिला से भोजन खाने आने लगा, किंतु फिर उसने आना कम कर दिया लेकिन महिला प्रतिदिन उस आदमी के लिए भोजन निकालती रही, जब उस आदमी ने भोजन खाने आना पूरी तरह बंद कर दिया तो वो महिला उसके घर भोजन पहुचा कर आने लगी।
लेकिन फिर एक दिन वो आदमी उस महिला से बोला , "मुझे तुम्हारे भोजन की जरूरत नही है, हर रोज़ ले कर चली आती हो अच्छा नही लगता, मैं अपनी पसंद का कुछ खा नही सकता, अगर कभी मेरी पसन्द का बने तो लाना अन्यथा भोजन ले कर नही आना, मै मर जाऊँगा ये और इतना खा कर , मुझसे नही हज़म होता ये, पेट फट रहा है इतना खा कर,अब कल से मत लाना अपना भोजन मैं हाथ जोड़ता हूँ तुम्हारे👐"।
महिला का दिल टूट गया और सोचने लगी कि क्या भूख भूख चिल्ला कर उससे भोजन की मांग करने वाला आदमी सचमें क्या भूखा था या फिर झूठ बोला था अपनी किसी जरूरत को पूरा करने के लिए, शुरुआत में उस महिला के द्वारा दी गयी सूखी रोटी भी उस आदमी को अच्छी लगती थी लेकिन अब पकवान भी खराब लगते हैं, क्या सच मे उस आदमी को इसकी जरूरत भी थी उस महिला के दयालु स्वभाव का लाभ लेने उसके पास आया था।
मित्रों यही होता है जब किसी को जरूरत से ज्यादा प्यार मिल जाये बेहिसाब मिल जाये तो लोग इस प्यार को वैसे ही नही संभाल पाते जैसे वो आदमी उस महिला के भोजन को न संभाल पाया न हजम कर पाया, लेकिन किस को इसकी जरूरत सच में है जो प्यार को और उस भोजन को संभाल सके ऐसा व्यक्ति आज के माहौल में मिलना मुश्किल है लेकिन आपकी ज़िंदगी मे कोई है जो इतना प्यार देता हो तो संभाल के रखिये क्योंकि निःस्वार्थ प्यार आजकल न के बराबर ही मिलता है और जिसको मिलता खुशनसीब होते हैं
Thursday 28 May 2020
कविता-आदत है मेरी
दर्द में भी मुस्कुराते रहना मज़बूरी नही आदत है मेरी
अश्क़ छिपा यू हँसते रहना मज़बूरी नही आदत है मेरी
तन्हा अकेले यु रहना मज़बूरी नही आदत है मेरी
खुदमें अकेले खोये रहना मज़बूरी नही आदत है मेरी
तन्हाइयो में इन लम्बी रातों का यू फिर गुज़रना
खुद से ही बाते करना मज़बूरी नही आदत है मेरी
खुद से रूठ जाना कभी खुद को ही यू मना लेना
खुद से ही मोहब्बत करना मज़बूरी नही आदत है मेरी
कभी खुद को रुलाना कभी खुद को ही यू सताना
खुद से ही प्यार दिखाना मज़बूरी नही आदत है मेरी
कभी चलते ठहर जाना कभी ठहर कर फिर चल देना
ज़िंदगी मे न हार मानना मज़बूरी नही आदत है मेरी
ज़ख़्म खाकर भी मुस्कुराना दर्द ले कर प्यार जताना
इश्क़ में यु हार जाना मज़बूरी नही आदत है मेरी
ईश्वर वाणी-288, संसार के मुख्य सागर
ईश्वर कहते हैं, "चूंकि ये पूरी धरती ही सम्पूर्ण ब्राह्मण का प्रतीक है, जैसे आकाश में दिव्य सागर है, दिव्य लोक है जिन्हें केवल दिव्य दृष्टि व आध्यात्म की शक्ति के द्वारा ही जाना जा सकता हैं,
वैसे ही धरती पर भी मुख्य रूप से 3 तरह के सागर है जिनके विषय मे तुम्हे आज बताता हूँ।
1-तरल सागर, 2-कठोर सागर, 3-सूखा सागर
1-तरल सागर- ये वो सागर है जिसके विषय मे तुम जानते हो, जिसमे अनेक लहरे उठती तुम देखते हो, जलचर जीवो को तुम देखते हो, कई नौका, जहाज़ आदि को देखते हो और जो धरती के अधिकतम भाग में बहता है।
2-कठोर सागर, ग्लेशियर व पहाड़ो पर सदा अपनी आगोश में लेने वाली बर्फ ही कठोर सागर है, इसमें भी बेहद ठंड में जीवित रहने वाले प्राणी रहते हैं।
जैसे तरल सागर में तूफान, बाढ़, सुनामी आते हैं वैसे ही कठोर सागर में भी तूफान और तूफानी बर्फीले सुनामी आते हैं।
3-सूखा सागर, धरती के रेतीले स्थान को सूखा सागर कहते हैं, जैसे तरल सागर व कठोर सागर में तूफान आदि आते हैं, व उनमे अनेक जीव रहते हैं वैसे ही यहाँ भी अनेक जीव रहते हैं व रेतीले तूफान, रेतीली लहरे यहाँ उठती रहती है।
हे मनुष्यो आकाशीय दिव्य सागर को तो तुम बिना आध्यात्मिक शक्ति के न देख पाओ किंतु धरती के इन मुख्य सगरो को अवश्य देख सकते हो और जान सकते हो समझ सकते हो कि संसार का असली मालिक मैं हूँ, में ही शून्य हूँ और में ही सर्वष्य हूँ।"
कल्याण हो
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