Thursday 28 May 2020

ईश्वर वाणी-288, संसार के मुख्य सागर

ईश्वर कहते हैं, "चूंकि ये पूरी धरती ही सम्पूर्ण ब्राह्मण का प्रतीक है, जैसे आकाश में दिव्य सागर है, दिव्य लोक है जिन्हें केवल दिव्य दृष्टि व आध्यात्म की शक्ति के द्वारा ही जाना जा सकता हैं,

वैसे ही धरती पर भी मुख्य रूप से 3 तरह के सागर है जिनके विषय मे तुम्हे आज बताता हूँ।

1-तरल सागर, 2-कठोर सागर, 3-सूखा सागर

1-तरल सागर- ये वो सागर है जिसके विषय मे तुम जानते हो, जिसमे अनेक लहरे उठती तुम देखते हो, जलचर जीवो को तुम देखते हो, कई नौका, जहाज़ आदि को देखते हो और जो धरती के अधिकतम भाग में बहता है।

2-कठोर सागर,  ग्लेशियर व पहाड़ो पर सदा अपनी आगोश में लेने वाली बर्फ ही कठोर सागर है, इसमें भी बेहद ठंड में जीवित रहने वाले प्राणी रहते हैं।

    जैसे तरल सागर में तूफान, बाढ़, सुनामी आते हैं वैसे ही कठोर सागर में भी तूफान और तूफानी बर्फीले सुनामी आते हैं।

3-सूखा सागर, धरती के रेतीले स्थान को सूखा सागर कहते हैं, जैसे तरल सागर व कठोर सागर में तूफान आदि आते हैं, व उनमे अनेक जीव रहते हैं वैसे ही यहाँ भी अनेक जीव रहते हैं व रेतीले तूफान, रेतीली लहरे यहाँ उठती रहती है।

हे मनुष्यो आकाशीय दिव्य सागर को तो तुम बिना आध्यात्मिक शक्ति के न देख पाओ किंतु धरती के इन मुख्य सगरो को अवश्य देख सकते हो और जान सकते हो समझ सकते हो कि संसार का असली मालिक मैं हूँ, में ही शून्य हूँ और में ही सर्वष्य हूँ।"

कल्याण हो 

No comments:

Post a Comment