Tuesday 5 May 2020

ईश्वर वाणी-284,जन्म जन्मों का सत्य

 हैं, "हे मनुष्यों जैसे मैं ही साकार रूप में जीव जाती की रक्षा हेतु देश, काल, परिस्तिथि के अनुरूप जन्म लेता हूँ वैसे ही संसार के प्रत्येक जीव भी मुझसे ही निकले और इस पृथ्वी पर जन्म ले कर अपने कर्म कर रहे हैं।
अच्छे अथवा बुरे कर्म, सुख अथवा दुःख, ज्ञानी अथवा अज्ञान, धनी अथवा निर्धन, सत्य व असत्य जो भी ये कर्म कर रहे वो सब पहले ही उनके आने से पूर्व ही तय हो चुका है।
कौन कितनी बार क्या जन्म लेगा और कितनी बार और कब तक स्वर्ग, नरक अथवा ईश्वरीय लोक को भोगेगा ये सब पहले ही तय हो चुका है, यहाँ तक कि जो आत्माएं अभी जन्म भी ले पायी हैं उनके विषय में भी सब तय हो चुका है, उनके कर्म तय हो चुके हैं।

प्रत्येक जीव संसार मे मेरी आज्ञा अनुसार ही मेरे अनुरूप ही लीला करने आया है और करता है, प्रत्येक जीव स्वर्ग, नरक अथवा मेरे लोक से हो कर ही जन्म लेती है और उसमें मेरे अनुरूप ही आत्मिक शक्ति होती है किंतु उसके कर्म उसकी शक्ति को छिपा देते हैं और उसके मष्तिष्क को अपने अंदर छिपी ये शक्ति याद नही रहती क्योंकि यदि याद रहती तो जीव मुख्यतः मानव इनका दुरुपयोग अवश्य करता।

इसलिए हे खुद के अंदर छिपी शक्ति को जानो, मुझसे जुडो और मेरे बताये नियमो का पालन करो, निश्चित ही तुम मेरे जितने ही शक्तिशाली बनोगे, ये न भूलो हर जीव चाहे स्वर्ग, नरक अथवा ईश्वसरिये लोक से आया हो सब मुझसे ही मेरे ही लोक से मेरे इच्छा अनुसार ही लीला करने आया है क्योंकि ये संसार ही मेरी एक लीला मात्र है"।।

कल्याण होहता 

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