Thursday 28 May 2020

ईश्वर वाणी-287,आत्मा की शक्ति

ईश्वर कहते हैं, 'हे मनुष्यों यद्धपि तुम्हारी आत्मा तुम्हारी देह में हो कर अपने मे छिपी कई शक्तियों को नही पहचानती किंतु जब तुम सोते हो तब ये कई भौतिक बन्धनों से मुक्त हो कर भ्रमण करती है, तुम्हे कुछ सपने याद रहते हैं तो कुछ नही।

तुमने कई बार देखा होगा जो स्थान तुम सपने में देखते हो कुछ दिन बाद तुम्हारा ऐसी जगह जाना होता है फिर तुम्हे याद आता है कि मैं तो सपने में आ चुका हूँ यहाँ अथवा ये जगह जानी पहचानी सी लग रही है, कारण इसका यही होता है कि सपने में आत्मा स्वछंद विचरण करती है।

कई बार ये सपने के द्वारा भविष्य तो कई बार अतीत को दिखाती है यहाँ तक कि पिछले कई जन्मों की यात्रा भी आत्मा सपने में करती है तभी कई बार सपनो में अजनबी लोग दिखते हैं जिनसे तुम कभी मिले तक नही हो।

आत्मा एक ही समय मे कई स्थानों पर पहुँच सकने की छमता रखती है, निश्चित ही सपनो के माध्यम से ये कई जगह एक ही समय मे पहुँच सकती है, तुमने देखा होगा कई लोग जो तुम्हारे जानने वाले होते हैं वो कहते हैं कि उन्होंने तुम्हे सपने में देखा जबकि तुमने उन्हें सपने में नही देखा इसका कारण तुम्हारी आत्मा उन सपनों में भी थी जो तुम देख रहै थे और उनमें भी थी जो तुम्हारे जानने वाले देख रहे थे अर्थात एक ही समय मे अलग अलग जगह पर, लेकिन अधिकतर कुछ छड़ का ये अंतर अवश्य रखती है सपनो में आने का किँतु फिर भी कई बार एक ही समय पर अलग अलग लोगो और स्थानों पर होना इसकी एक से ज्यादा रूप लेने की कला को दर्शाती है।

आत्मा शरीर से ऐसे जुड़ी होती है जैसी एक शिशु माँ के गर्भ में गर्भनाल से जुड़ा होता है, इसलिए शरीर से अलग हो कर भी ये जब सपनो के द्वारा भमण करती है तब देह की मृत्यु नही होती और व्यक्ति को जब जगाया जाता है तब ये वापस अपने शरीर मे उस अदृश्य नाल के माध्यम से लौट आती है जो इसको शरीर से बाँध के रखती है।

आत्मा की इन शक्तियों को जानने और जाग्रत अवस्था मे इन शक्तियों को लाने हेतु आध्यात्म से जुड़ना होता है, ध्यान, योग, साधना करनी होती है जिनके माध्यम से व्यक्ति अपनी इन शक्तियों को जाग्रत कर अपनी इच्छा अनुसार भी प्रयोग कर सकता है।"

कल्याण हो

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