जय सिया राम।
"जैसे सिया बिन राम अधूरे
राधा बिन घनश्याम अधूरे
वैसे ही दिल-ओ-जान से
तुम बिन हम सुबह शाम अधूरे"
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जय सिया राम।
"जैसे सिया बिन राम अधूरे
राधा बिन घनश्याम अधूरे
वैसे ही दिल-ओ-जान से
तुम बिन हम सुबह शाम अधूरे"
जिंदगी में पग-पग, मिल रही है मुझे चुनोती है
येशु इक तुही, मेरे जीवन की ज्योति है
दुनिया से जीते खुदसे हार गए है
कर के याद, मीठी- ख़ुशी के लिए रोती है
हम तो जीते जी, यु मर गए
दुनिया से लड़ते लड़ते, अब थक गए
एक आसरा है , तेरा सभाल ले हमें अब
हम तो अब बस ,ख़ुद से ही हार गए
जा अब तेरा इंतज़ार करना भी छोड़ दिया
जा तुझसे इज़हार करना भी अब छोड़ दिया
तु जी ले अपनी ज़िंदगी जैसा तू चाहे अब
जा अब तुझसे प्यार करना भी छोड़ दिया
फ़िर वक़्त वो ....पुराना बहुत याद आता है
गुजरा वो बीता....ज़माना बहुत सताता है
है पता मुझे....न लौटेंगे वो पल फ़िर कभी
वो रूठे हम ....तेरा मनाना बहुत याद आता है
खुशियों का वो..खज़ाना बहुत याद आता है
संग तेरे यु घर ..को सज़ाना बहुत याद आता है
हर लम्हे जो ....जिये संग मैंने कभी तुम्हारे
मोहब्बत मे तेरा..यु सताना बहुत याद आता है
हँसा कर फ़िर..यु रुलाना बहुत याद आता है
रुला कर तेरा..फ़िर यु हसाना बहुत याद आता है
साथ तेरा चलना ..और फ़िर दूर मुझसे जाना
फ़िर जुदाई का ..तेरा बहाना बहुत याद आता है
जीवन की जीत मे ..फिर तुझे हराना बहुत याद आता है
मेरी हार पर मुझे ..फ़िर तेरा समझना बहुत याद आता है
जो है आज "मीठी" ..तेरी ही वज़ह से तो है बस अब
पल-पल "खुशी" ..का फ़िर वो तराना बहुत याद आता है
दर्द अपना छिपा कर मुस्कुरा लेते है
रोते-रोते युही कुछ गुनगुना लेते हैं
कोई जान न ले मेरे दर्द की वज़ह
इसलिए हँसकर ख़ुद को ही सज़ा देते हैं
दर्द अपना छिपा कर मुस्कुरा लेते है
रोते-रोते युही कुछ गुनगुना लेते हैं
कोई जान न ले मेरे दर्द की वज़ह
इसलिए हँस कर अश्क छिपा लेते है