Sunday 21 July 2013

इतनी सी दुआ चाहते हैं




नहीं चाहते कुछ ऐ  खुदा बस इतनी सी  दुआ   चाहते हैं, तुझसे कुछ और नहीं बस जीने की एक वज़ह चाहते हैं, अकेले हैं तनहा बहुत जहाँ में बस जीने के लिए एक हौसला चाहते हैं, क्यों हैं हम जहाँ में आखिर मकसद है क्या मेरा क्यों तूने भेजा  है मुझे आखिर क्या है इरादा तेरा बस तुझसे अपने होने की  वज़ह जानना चाहते हैं, चलते चलते बहुत थक चुके हैं  कोई हाथ बड़ा कर संभालने वाला हम चाहते हैं, इस सूने जीवन से सूनेपन को दूर करने के लिए बस किसी का साथ हम चाहते हैं, अपनी इस तनहा अधूरी सी ज़िन्दगी को पूरा करना हम चाहते हैं, आंसुओं के साथ नहीं मुस्कराहट के साथ हर पल ज़िन्दगी का जीना हम चाहते हैं, एक साथी हम चाहते हैं जो सिर्फ हमारा हो, जिसे सिर्फ हमारा ही सहारा हो, बिन हमारे न वो भी पूरा हो, बस अकेले चलते चलते ऐसे थक चुके हैं अब खुद भी की  किसी का सहारा बनना हम चाहते हैं और किसी का सहारा हम चाहते हैं, ऐ खुदा  बस अपनी ज़िन्दगी का अर्थ जानना हम चाहते हैं, करते हैं फ़रियाद तुझसे ऐ मेरे मालिक जो ना हो किसी काबिल मेरा ये जीवन तो तुझे याद करते करते इस ज़हां से विदा हम होना चाहते हैं, तेरी ही आघोष में ऐ मेरे खुदा अब तो बस सोना हम चाहते है…

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