Tuesday 25 February 2014

भरोसा दिला कर तोड़ जाने वाले हज़ार मिले

भरोसा दिला कर तोड़ जाने वाले  हमे  हज़ार मिले, अपना बना कर दूर जाने वाले  हमे हज़ार मिले, ख़ुशी का वादा कर इसे भूल जाने वाले  हमे हज़ार मिले, मुश्कान के नाम पर अश्क देने वाले  हमे हज़ार मिले, 


पर जो जोड़ सके मेरे टूटे हुए  इस दिल को वो शख्स मुझे कोई न मिला, जो कर सके वादा पूरा वो राही  मुझे कही न मिला, जो पोंछ सके अश्क मेरी आँखों से ऐसा दोस्त मुझे कही न मिला,


ऐतबार के नाम पर  फरेबी मुझे हज़ार मिले, जलते हुए इन चिरागों को बुझाने वाले मुझे हज़ार मिले,  टूटे हुए इन दिल के टुकड़ों  से खेलने वाले ही मुझे हज़ार मिले,


पर इन राहों पर न कोई शख्स मुझे मिला जो बिखरे हुए इन दिल के टुकड़ों को फिर से कही कभी  जोड़ सके, बुझे हुए इन चिरागों को फिर से  जो जला सके, खोये हुए यकीं को  जो फिर से  कभी   लौटा सके वो  शक्श न मुझे कही दिखा , 


दोस्त बन कर दोस्ती को बस एक सीडी समझ कर आगे बढ़ने वाले हमे हज़ार मिले, भरोसा दिला कर  इसे तोड़ जाने वाले  हमे हज़ार मिले,

पर सच्ची दोस्ती निभाने वाला न कोई शख्स हमे मिला, भरोसा दिला कर उसे निभाने वाला वो शख्स हमे कोई  न मिला , दूर हो कर भी हो जो दिल के करीब वो शख्स  हमे  कही न  मिला,


भरोसा दिला कर तोड़ जाने वाले  हमे  हज़ार मिले, अपना बना कर दूर जाने वाले  हमे हज़ार मिले, ख़ुशी का वादा कर इसे भूल जाने वाले  हमे हज़ार मिले, मुश्कान के नाम पर अश्क देने वाले  हमे हज़ार मिले, 


भरोसा दिला कर तोड़ जाने वाले  हमे  हज़ार मिले, अपना बना कर दूर जाने वाले  हमे हज़ार मिले, ख़ुशी का वादा कर इसे भूल जाने वाले  हमे हज़ार मिले, मुश्कान के नाम पर अश्क देने वाले  हमे हज़ार मिले,


No comments:

Post a Comment