Wednesday 15 November 2017

मुक्तक

देखो फिर वही रात हो गयी,
अंखियो की पलको से बात हो गयी
मीठे सपनो में वो आने लगे धीरे धीरे
पिया से मेरी आज मुलाकात हो गयी

No comments:

Post a Comment