Sunday 1 July 2018

ईश्वर वाणी-260, मनुष्य जाति की प्रजाति



ईश्वर कहते हैं, “हे मनुष्यों यूँ तो मैंने अनेक विषयों की तुम्हें जान कारी दी है, किंतु तुम्हे आज मानव जाति की उत्तपत्ति के विषय में बताता हूँ जो हर मनुष्य को पता होनी ही चाहिए, जैसे कि तुमने ये सुना है मनुष्य का जन्म बंदर जैसी ही किसी प्रजाति के परिवर्तन से हुआ है, किंतु आज तुम्हे बताता हूँ ये एक अर्धसत्य है, पूर्ण सत्य तुम्हे आज बताता हूँ।

हे मनुष्यों जैसे शेर की प्रजाति के -चीता, तेंदुआ, बाघ बिल्ली, कुत्ता, लोमड़ी, गीदड़, भेड़िया आदि जानवर आते है, मगरमच्छ जाती में-छिपकली, विषखोपड़ा, आदि प्रजाति आती है,  गाये की जाती में-भैंस, बकरी, हिरण, ऊँट, खरगोश, गिलहरी, गेंडा,  बारहसिंगा,ज़ेबरा आदि जानवर आते हैं, उसी तरह साँप की प्रजाति में अनेक रेंगने वाले जीव आते हैं।

ठीक वैसे ही इंसान इन जानवरों (बन्दर) से  परिवर्तित प्रजाति नही अपितु इन्ही में से ही एक अतिबुद्धिमान पशु है, किंतु आज इंसान खुद को जानवर कहने से कतराता है किंतु कार्य उसके जानवरो से भी नीच करता है।

हे मनुष्यों इस प्रकार मनुष्य  जाति सिर्फ एक परिवर्तित जाती नही अपितु बंदर प्रजाति मेसे ही एक है तभी पुराने समय में बन्दर भी निम्न राज्यो के राजा हुआ करते थे, मनुष्य और वानरों  के सम्बंध तुम्हे रामायण में मिल जाएंगे, साथ ही ये सत्य तुम्हे अब ज्ञात हो चुका है मनुष्य भी इन्ही की प्रजाति का ही एक जीव है।“

कल्याण हो

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