Thursday 23 January 2020

सैड शायरी

काँटो से खुशबू की उम्मीद लगा बैठे
कातिल से ज़िन्दगी की उम्मीद जता बैठे
कसूर फिर भी उनका नही है साहब
क्योंकि एक गैर से हम दिल जो लगा बैठे

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