Thursday, 4 December 2025

शायरी

 काग़ज़ पर आज, हाल -ए- दिल  बयाँ कर दू

जो है दिलमें छिपा , रुस्वा उसे सरेआम कर दू, 


प्यार भरी शायरी

 मौसम की तरह कभी तुम न बदल जाना, 

पास आ कर मेरे, कभी दूर मत चले जाना

जो दिखाये सपने, तुमने साथ चलने के मेरे, 

तोड़ कर उन्हें ,यु मसल के मत चले जाना,

मेरी शायरी

 चलते चलते, इन राहों पर बहुत गिरे हम

रोते रहे कुछ वक़्त, फ़िर उठ खड़े हुए हम, 


दर्द देती रही ज़िंदगी, इस मेहफिल में हमें

दर्द सह कर भी देखो, कैसे मुस्कुराते रहे हम, 


यु तो टूट कर , बिखरी 'मीठी- ख़ुशी' के लिए

मोहब्बत के सारे ज़ख्म, अकेले सहते गए हम, 


अंधेरे में  फ़िर, उजाले की हसरत कर बैठे थे

नादाँ थे जो पत्थरो को, इंसां समझ रहे थे हम,


बस हसरत नही रही थी, यु खुलकर हँसने की

इसलिए अब, इश्क की राहों से बचे हुए थे हम, 


Tuesday, 12 November 2024

ईश्वर वाणी- युग क्या है??

 हमने अक्सर चार युगों के बारे मे सुना है, ये चार युग है क्या? आज इसके बारे में जानते हैं, ये चार युग ब्रह्मांड की वो चार अवस्थाएँ खासकर हमारे सौर मंडल की चार अवस्थाएँ है, प्रथम अवस्था शिशु अवस्था जिसे सतयुग कहा जाता है, शिशु के समान तब वहा लोगों का जीवन और स्वभाव था, तभी आज भी शिशु को भगवान् स्वरूप कहते हैं, दूसरी अवस्था त्रेता युग, जो बालक समान व्यवहार था उस काल के मनुष्यों का, कुछ बालक झूठे मक्कार स्वार्थी चोरी करने वाले क्रोधी और तमाम गलत कृत्यो मे विलीन हो जाते हैं किंतु कुछ अच्छे कर्म और सौम्य रूप से बाल्यावस्था को जीते हैं, द्वापर युग, ek युवा युग, जिसमे एक वयस्क व्यक्ति के समान स्वार्थ, छल कपट, द्वेष, व तमाम बुराइयाँ है, तो वही कुछ लोग अछाइयों के साथ जी तो रहे हैं पर कठिनता से, कलियुग अर्थात वृथावस्था, अर्थात सब कुछ देख लिया जी लिया, अब खत्म होने की कगार पर है पर उतना ही अहंकार, मोह छल कपट व बुराइयाँ है, जो युवा अवस्था मे नही हासिल कर सके वो वृधावस्था मे हासिल करने की अंधी दौड़। 


सत्य तो ये है, हर व्यक्ति आज भी इन चार युगो को जी रहा है, जब उसका जन्म होता है तब वो शिशु अवस्था मे सतयुग मे जीता है, उसके अंदर कोई छल कपट बुराई नही होती, वही बाल्यावस्था मे वो त्रेता युग मे जीता है जहाँ वो झूठ बोलना चोरी करना पाप करना और तमाम काम सीखता है, कुछ अच्छे कर्म भी सीखता है वही गलत भी और जो सीखता है उसका अनुसरण करता है, वही द्वापर युग मे आकर यानी युवा अवस्था मे आकर जो अब तक सीखा उसमें पूरी तरह perfect हो जाता है और वैसा व्यवहार करता है, अच्छे व्यक्ति अच्छा करते हैं पर कितना भी अच्छा कर ले कही न कही मलिनता उनके व्यवहार मे रहती ही है और जिन्होंने गलत सीखा है वो पूर्ण रूप से उसका पालन करते हैं और कभी सुधारते नही और न अपने गलत कर्म पे कोई पछतावा करते हैं, वही कलियुग यानी वृधावस्था इस अवस्था मे मे भी इनका व्यवहार वैसा ही होता है जैसे युवा अवस्था मे था, अच्छे कर्म के व्यक्ति गरीब दुःखी अकेले और जीवन को ढोते है वही धूर्त व्यभिचारी तुच्छ सोच के व्यक्ति जो पहले कर रहे थे वही करते हैं और जो युवा अवस्था मे न कर सके वो करने मे लगे रहते हैं। 


इसलिए आज भी हर व्यक्ति ये चार युग जीता है

Sunday, 27 October 2024

दर्द भरी शायरी

 तेरे बिन जीना सीख लिया

तेरे बिन रहना सीख लिया

तू रहे खुश जहाँ मे सदा

बिन तेरे खुश होना सीख लिया

Wednesday, 23 October 2024

Romantic shayri



"जाने कब कोई दिल को भाने लगा

एक अजनबी दिलमें आने लगा

न देखा न जाना जिसे कभी हमने

पर ये दिल उसे अपना बनाने लगा"


"मोहब्बत उनसे ही क्यों होती है, जिन्हे पा नही सकते, 

दूर उनसे हुआ नही जाता, किसी और के हो नही सकते

रूह में बस जाते हैं जो अक्सर, हर साँस के साथ उन्हें

दिल से मिटा नही सकते , किसी और को समा नही सकते"

Wednesday, 16 October 2024

रोमांटिक शायरी

 तेरे जैसा कोई न होगा

दिल तेरे सिवा किसीका न होगा

मोहब्बत हुई है रूह से तेरी

ये ईश्क अब किसी और से न होगा

Tuesday, 15 October 2024

Romanctic shayri

 "तेरे लिए हद से गुज़र जायेंगे

तेरे लिए क्या कुछ कर जायेंगे

न छोड़ना साथ तुम मेरा कभी

बिन तेरे जीते जी मर जायेंगे"



"कोई शिकवा गिला करते हैं

दिन रात तेरे लिए दुआ करते हैं

रहे सलामत सदा चाहें जहाँ रहे

रब से बस यही फरियाद करते हैं"

Wednesday, 25 September 2024

दर्द भरी शायरी

 बहुत  कुछ  कहना  है पर ज़ुबाँ खामोश है

है दिलमे  बहुत  कुछ पर  ज़ुबाँ खामोश है

जी  चाहता  है  बयाँ कर  दू जो है  दिल मे मेरे

कैसे करू बयाँ सुनने वाला ही खुदमें मदमोश है

Friday, 16 August 2024

दर्द भरी शायरी

 अब  हकीकत  से, हसीं  ये ख्वाब लगने लगे हैं

भूले  बिसरे  अपने, वहा हर दिन मिलने लगे हैं

जी चाहता है, एक गहरी नींद मे अब सो जाऊ

ख्वाबो मे सही,मोहब्बत के फूल वहा खिलने लगे हैं

Wednesday, 14 August 2024

Shayri

 जी चाहता है ,एक गहरी नींद मे ऐसे सो जाऊ

न जागू फिर कभी, बस इन ख्वाबो की हो जाऊ

मिलते है हर दिन, पीछे छूट चुके अपने वहाँ मुझे

काश फ़िर उनकी हो जाऊँ, न कभी लौट के आऊँ

दर्द भरी कविता

 मोहब्बत मे हमें,जिस्म के सौदागर बहुत मिले

पग-पग हुस्न के ये, अजीब ठेकेदार बहुत मिले

पर न मिल सका, एक सच्चा हमराही यहाँ हमें
इंसानियत कुचलने वाले, ये दावेदार बहुत मिले

बस इक हसरत थी, कोई हमें भी अपना बना ले
मोहब्बत मे रुस्वा करने वाले, हरबार बहुत मिले

लेकर खुशबू हुस्न की, कुचलना फ़िर सबने चाहा 
ज़िंदा लाश बनाने वाले, बार- बार बहुत मिले

थक चुकी 'मीठी' बातों से, दुनिया की अब यहाँ
'ख़ुशी' दिखा ज़ख़्म देने वाले, सरेबाजार बहुत मिले

मोहब्बत तो नाम अब बन चुका, यहाँ हवस का 
भूख जिस्म की मिटाने वाले, भरे दरबार बहुत मिले

Sunday, 11 August 2024

Pyari shayri

 जी चाहता है ,एक गहरी नींद मे ऐसे सो जाऊ

न जागू फिर कभी, बस इन ख्वाबो की हो जाऊ

मिलते है हर दिन, पीछे छूट चुके अपने वहाँ मुझे

काश फ़िर उनकी हो जाऊँ, न कभी लौट के आऊँ

Tuesday, 30 July 2024

प्यार एक ज़िम्मेदारी है- हिंदी लेख

 मैंने ये अक्सर देखा है लोग आजकल जितनी जल्दी प्यार मे पड़ जाते हैं उतनी ही जल्दी इससे बोर भी होने लगते हैं, रिश्तें से दूर भागने लगते हैं, एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगते हैं, आखिर ऐसा क्यों?? जबकि पहले सबकुछ अच्छा था फिर अचानक क्या हो जाता है की रिश्ता बोझ लगने लगता है, प्यार धीरे धीरे कम होने लगता है, रिश्तों मे अलगाव और टकराव होने लगता है! 

इसका कारण है शुरुआत मे एक दूसरे के साथ वक़्त बिताना, करीब आना इसलिए अच्छा लगता क्योंकि कुछ भी नया हमारे जीवन मे आता है तो अच्छा ही लगता है चाहे नया घर हो गाड़ी हो नई नौकरी हो अथवा नया रिश्ता, 

पर वक़्त के साथ जैसे घर, गाड़ी अथवा नौकरी को ठीक रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, वैसे ही जिस जोश और जुनून के साथ अपना रिश्ता शुरू किया था उसके लिए भी कड़ी महनत करनी पड़ती है, 

वक़्त के साथ साथ रिश्तें मे ज़िम्मेदारी भी बड़ जाती है, आप इन जिम्मेदारियों से भाग नही सकते, चाहे आप विवाहित है अथवा अविवाहित, मर्द है या औरत, ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है रिश्ता संभालने की, एक दूसरे के प्रति कोई कर्तव्य और ज़िम्मेदारी भाव रखना और पूरा करना, एक दूसरे की जरूरत का ध्यान रखना और पूरा करने का प्रयतन करना ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है जिसको निभाना आवश्यक है अगर आप किसी के साथ वास्तव मे रिश्तें मे है और इस रिश्तें के प्रति गभीर है, ये आप दोनो की ज़िम्मेदारी है एक दूसरे का साथ दे और वक़्त वक़्त पर स्पेशल फील करवाते रहे! 

पर आज रिश्तें इसलिए कमजोर हो रहे हैं, टूट रहे है क्योंकि या तो कोई एक पक्ष या फिर दोनो पक्ष जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं, यदि दोनो भाग रहे हैं फिर भी ठीक है क्योंकि वो कह सकते हैं न तुम मुझे अपने ज़िम्मेदारी समझो और न मैं, पर अगर कोई एक पक्ष रिश्तें को संभलता है, रिश्तें मे अपनी ज़िम्मेदारी निभाता है लेकिन दूसरा पक्ष कोई न कोई बहाना बना इससे दूर भागने लगता है तब रिश्तें कमजोर होने लगते हैं, भले आपके जीवन में और रिश्तें है काम है जिनके प्रति आप अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं किंतु जिसके साथ आप रिश्तें मे है उसके प्रति कोई क्या ज़िम्मेदारी नही बनती आपकी?? 

इस गेरज़िम्मेदरना व्यवहार से रिश्तों मे टकराव होने लगते हैं, प्यार जैसे खूबसूरत रिश्तें से मन विचलित होने लगता है, लोग बोलने लगते हैं शायद मोहब्बत मेरे लिए नही है, पर मोहब्बत तो सबके लिए है, लेकिन ये देखना है आप इस रिश्तें की कद्र कितनी करते हैं, इस रिश्तें को अपनी ज़िम्मेदारी मान सभाल के रखते हैं या गेरज़िम्मेदरना व्यवहार दिखा इस खूबसूरत रिश्तें को दूसरे के दोष बता खत्म कर देना चाहते हैं! 

जैसे जैसे वक़्त बीतता है जीवन मे कई उतार चढ़ाव आते ही है, ये परीक्षा होती है आप अपने साथी का साथ उस वक़्त देते हैं की नही जब उसको आपकी सबसे अधिक आवश्यता होती है, अगर उस वक़्त आप उसके साथ है, उसके आँसु पौछ रहे हैं तो निःसंदेह आप अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, सामने वाले की आवश्यता को ध्यान मे रख कर इसको सही तरीके से पूरा करने की कोशिश भी कर रहे हैं तो ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, पर यदि आप अपने साथी के दुख मे साथ नही, उसके प्रति जागरूक नही की उसकी आवश्यता क्या है कैसे पूरा करे, निःसंदेह आप प्यार के काबिल नही, इस खूबसूरत रिश्तें के काबिल नहीं क्योंकि प्यार एक साझेदारी है एक ज़िम्मेदारी है और यो किसी गेरज़िम्मेदार मर्द या औरत के लिए नही है! 

इसलिए प्यार मे तभी पड़े जब इस ज़िम्मेदारी को सही ढंग से उठाने के काबिल आप हो, कोई फर्क नही पड़ता आपकी उमर क्या है, कभी 18 साल का बच्चा ये ज़िम्मेदारी अच्छे से निभा लेता है तो कोई 70 की उमर मे ज़िम्मेदारी के नाम पर रिश्तों मे कमी निकाल के दूर भागता है, यहाँ बात परिपक्वता के साथ रिश्तों के प्रति संवेदनशील होने की भी है, यदि आप अपने रिश्तों के प्रति संवेदनशील है तो ज़िम्मेदारी निभायेंगे अगर संवेदनहीं है तो रिश्तें मे साथी मे कमी निकाल कर उससे दूर भागेंगे और कहेंगे आप मोहब्बत के काबिल नही या नसीब मे मोहब्बत नही आपके क्योंकि आप सही मायने मे ज़िम्मेर व्यक्ति नही इसलिए इस खूबसूरत रिश्तें के काबिल भी नही, क्योंकि प्यार सिर्फ सेक्स नही एक ज़िम्मेदारी है!! 

Love shayri

 मजबूरी नही , ज़िम्मेदारी हूँ तुम्हारी

मोहब्बत हूँ,  न कोई लाचारी हूँ तुम्हारी

काश तुम समझ, सकते ईश्क की गहराई

साथी हूँ इसलिए साझेदारी हूँ तुम्हारी

Meri shayri

 न कोई गिला न , शिकवा है अब किसी से

अपना लिया जो, तकदीर ने दिया खुशी से

मोहब्बत मे मिली , मुझे हर पल ये रुस्वाई 

सूख चुके अश्क, न शिकायत है हमनशि से

Tuesday, 16 July 2024

ईश्वर वाणी- परमात्मा

 ईश्वर कहते है आज तुम्हें बताता हूँ, " 

शब्दिक अर्थ परमात्मा का

 प-प्रथम र-रहस्य/रस/रास्ता म-मुख्य, अ-आदि, त-तत्व, म- मैं अ-अनन्त = परमात्मा भाव- संसार  का प्रथम रस्ता रहस्य और रस मैं ही हूं, मैं ही मुख्य और अनादि  हूँ, और मैं हीअनंत हूं क्योंकि मैं परमात्मा हूं..

ईश्वर वाणी- ईश्वर वाणी

 ईश्वर कहते हैं, " शाब्दिक अर्थ ईश्वर


I- ईष्ट/एक, श -शक्ति, व -विदित/विराजित, र - रहेगी =  ईश्वर भाव एक ऐसी ईष्ट की शक्ति वो ईष्ट जो सबका है जो सिर्फ एक है, उसकी शक्ति/ऊर्जा सदा विराजित रहेगी चाहे संसार मे कुछ भी हो .. उस ऊर्जा को कोई कब नुक्सान या नष्ट नही पहुँचा सकता ..

ईश्वर वाणी- भगवान् कौन है

 ईश्वर कहते हैं

शब्दिक अर्थ भगवान् का है ये.. 

भगवान भ-भलाई/भावना, ग-ज्ञान/ज्ञात, वि-विषय, न-नश्वान= भगवान भाव- भलाई की भावना, और जीवन के रहस्य और विषय का ज्ञान जो नश्वर है और जिनके हृदय में सदा बिना किसी रुकावत के  बीना रहता है वो भगवान है... जरूरत का वक्त जब जीव की सहायता हेतु जो हाथ बड़े वो भगवान है अर्थ उसको ज्ञात हुआ ज्ञान हुआ उसका कार्य, विषय का बोध हुआ, जो सहायता की भावना थी मिटी नहि इस्लिये नश्वन नहि हुई इस्लिये वो  भगवान हुआ


कल्याण हो

ईश्वर वाणी- पर्मेश्वर्/ शृष्टि और ब्रह्मांड

ईश्वर कहते हैं, " अक्सर लोग पर्मेश्वर् और ईश्वर को या तो एक समझ लेते हैं या कहते हैं पर्मेश्वर् ईश्वर से भी ऊपर है ,वो समझते है जो प्रथम पूज्य है वो पर्मेश्वर् है, पर उन्हे ये ज्ञान नही पर्मेश्वर् दो शब्दों से मिल कर बना है परम-ईश्वर= पर्मेश्वर्, यंही परमात्मा जो शृष्टि का प्रथम तत्व है उसके और ईश्वर के समागम को पर्मेश्वर् कहते हैं, ईश्वर ने शृष्टि निर्माण के लिए परमात्मा भेजा.. जानने योग्य ये है ईश्वर ने भेजा न की बनाया अर्थात वो तत्व पहले से मौज़ूद था, इसको शिव- शक्ति के रूप मे कहा जा सकता है किंतु वो शिव जो निराकार है और शक्ति उसकी ऊर्जा, उस ने शृष्टि निर्माण किया.. किंतु उससे पहले ब्रह्मांड का निर्माण किया, ब्रह्मांड अलग है शृष्टि अलग, ब्रह्मांड वो ऊर्जा है जिसने सभी ग्रह नक्षत्र और देव लोक विराजित है ठीक वैसे जैसे तुम्हारी देह मे तुम्हारे अंग और तुम्हारी आत्मा विराजित है, तुम्हारी आत्मा और तुम्हारे शरीरिक अंगो के बिना देह नही वैसे ही बिना ग्रह नक्षत्र और लोगों के ब्रह्मांड नही, जैसे तुम्हारी आत्मा तुम्हारी सभी अंगो को ऊर्जा देती है वैसे ही ब्रह्मांड इन्हे ऊर्जा देता है और उसको परमात्मा.. "

यही है शाब्दिक अर्थ परमात्मा का


कल्याण हो

🙏🙏