Friday, 19 July 2013

पौराणिक कथा- पूर्ण श्रद्धा भाग ४ (pauranik katha- poorn shradhha bhaag 4)

एक बार की बात है जीसस अपने सभी बारह शिष्यों के साथ अपने किसी अनुयायी के घर गए, उस अनुयाई एवं उस गाँव के प्रत्येक व्यक्ति ने जल से उनके चरण छू कर आशीर्वाद प्राप्त किया, इसके बाद जिस अनुयायी के घर वो गए थे उसने उन्हें भेजन करने के लिए आमंत्रित किया, भोजन करने के उपरान्त वो अपने समस्त शिष्यों के साथ उस अनुयाई के घर बैठ कर उपदेश दे  थे की उनके पीछे एक स्त्री आई सुगन्धित पुष्पों से बना इत्र  भरा एक कटोरा जीसस के सर पर दाल दिया, ये देख कर उनके एक शिष्य ने उस स्त्री को डांटा और कहा की ये तूने क्या किया, इतना महंगा सुगन्धित पुष्पों के इत्र से भरा कटोरा तूने प्रभु के सर पर क्यों डाल  दिया, क्या तू नहीं जानती प्रभु इससे प्रसन्न नहीं होते किन्तु यदि तू इसे बेच कर जो धन कमाती और उस धन को गरीब और जरूरतमंद लोगों को बांटती तो प्रभु तुझसे अवश्य प्रसन्न होते, ये बात सुन कर वो स्त्री डर  गयी किन्तु अपने शिष्य को शांत करते हुए जीसस ने कहा इस स्त्री ने सबसे पहले मेरे शरीर पर इत्र मला है, मेरे जाने के बाद मेरे शरीर पर ऐसे ही सुगन्धित पुष्पों से बने इत्र को मला जाएगा, उनकी बात उनके शिष्यों एवं अनुयायियों को समझ नहीं आई किन्तु फिर उन्होंने कहा की वो सिर्फ अपने मानने वालों एवं उनके पथ का अनुसरण करने वालों की श्रध्हा देखते हैं इस स्त्री की जो असीम श्रध्हा थी मुझ पर इस इत्र का कटोरा डालते वक्त मैं उसकी उस भावना को सम्मान करता हूँ, और जो भी मेरा अनुयायाई मेरा मानने वाला सच्चे ह्रदय से मुझे कुछ अर्पण करेगा मैं उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ सहर्ष स्वीकार करूँगा....



   इस प्रकार प्रभु यीशु ने हमे ये सीख दी की ईश्वर बाहरी आडम्बरों से नहीं अपितु अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा और प्रेम भावना से प्रसन्न होते हैं, उनकी दृष्टि में कोई भी और किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं होता है। 


                                                      आमीन  



Hasrate

Hasrate wo hi achhi hoti hai jo hasarate khud se hoti hai, hasarte wo hi poori hoti hai jo khud tak seemit hoti hai, khud se hasarate rakhne walon ko pata hota hai hasarate uski kabhi poori houngi ya nahi, jo  hasarat wo poori nahi kar sakta aise hasrat uske dil mein hoti hi nahi, aur jo hoti hai dil mein hasarat uski  khud se poora karne ki tamaam  bandishon ke baad bhi wo unhe pa hi leta hai, pyaar se ya vidroh se apni hasarato ko anjaam tak pahucha hi deta hai , naseeb mein uski bhi kewal likha itnaa hi hota hai hongi  hasarate uski poori jinhe poora karne ka akele ka usme hausla hota,

    Lekin un hasarte pe na karo kabhi yakin jisme tumhare siwa aur koi bhi shaamil ho, houngee wo kabhi poori jisme kisi aur ki bhi marzi shaamil ho, aur jo na ho saki wo poori aisi hasarate to darad bahut deti hain , rulaati rahengi wo hasarate jisme shaamil tumhare siwa koi aur shaamil ho,

Ae doston isliye kahte hain hum karo apni hasarate poori lekin na shaamil karo un hasaraton ko zindagi mein jo tumhare saaht hi kisi aur se bhi jud jaati ho, karo apne sabhi hasrate haste haste poori jisme sirf aur sirf tumhi shaamil ho…

किसी ने पूछा हमसे ये मोहब्बत क्या है

किसी ने पूछा हमसे ये मोहब्बत क्या है, क्या खुशियों का सेलाब है या अश्कों की बरसात है, वफादारी है या गद्दारी है, मिलन है या जुदाई है , क्या किसी पे मरने का नाम मोहब्बत है या किसी के लिए जीने का नाम ही चाहत है,

हमने उनसे कहा जिसमे अश्कों की बरसात के साथ खुशियों का सेलाब हो, मिलन के बाद फिर जुदाई हो, बेफवाई के बदले जहाँ वफाई हो, जिन्दा रह कर पर किसी पे मरने की  लालसा अगर जब दिल में आई हो, दिल में उठी बिन शर्त के इसी भावना का नाम ही है मोहब्बत इसी को कहते हैं  चाहत ।।। 

नेता प्यारे

देख इमारते ऊँची ऊँची इतराते हैं नेता प्यारे, देख आलिशान घर और मकान मुस्कुराते  हैं नेता न्यारे,देख व्यवसाय के गलियारों को  शान समझते हैं नेता सारे, पर एक छप्पर को तरसने वाली भूखी जनता क्यों उन्हें नहीं दिखती है, क्या इन रंगीनियों तक ही है सीमित देश या नेताओ की नज़रों में जनता की नहीं कोई गिनती है, एक वक्त की रोटी अपनों को देने के लिए जहाँ एक और कितनो की अस्मत लुटती है, नंगे बदन एक बालक को तपती धूप  में रख एक माँ पत्थर दिल पे रख कर कही मेहनत मजदूरी करती है, जीवन के जाने कितने संघर्षों से लडती हुई मजबूर जनता क्यों नहीं किसी को दिखती है, कहते हैं नेता सारे देश में मिटने लगी है गरीबी, दूर जाने लगी है अब तंग हाली और बेबसी, मिलने लगा है सबको रोज़गार, हर किसी को मिल चूका है अब पड़ने लिखने का अधिकार, पर सुन कर उनकी बाते आता है ख्याल दिल में क्या सच में वो देश की बात करते हैं, जो दिखता  नहीं  जनता-ऐ -आम को वो आखिर नेताओं को कैसे दिख जाता है, करते हैं बात वो इस जनता की या अपनी ही  हसीं दुनिया को सम्पूर्ण जहाँ समझ कर बदहाल हुई इस बेबस जनता को  खुशहाल जिसे  बतलाते हैं ये हमारे नेता प्यारे। 

Thursday, 18 July 2013

tumhare jane ke baad uss jagah ko kaun bharega................kavita

ye mehalon mein rahne wale jhopadi mein rahne walon ko chhota samajhte hain, ye aasaman mein bulandi paane wale apne chaahane walon ko khud se kam samajhte hain, ye khud ko prasadhhi ke shikhar par pahuchaane wale unke jaise banne walon ko nakabil samajhte hain, ae mere mehalon mein rahne walo aur khud ko aasman tak pahuchaane walon, ae mere prasadhhi kee seedi chadne walon kabhi tum bhi to auron ki tarh yaha hi rahte the, tum bhi to kabhi inn jhopadon mein sote the, aasman chhoone ki lalak bhi kabhi tumme bhi auron ke jaisi hi thi, chahat prasdhhi ko gale lagane ki kabhi tumme bhi to un logon jaise hi thi, ae mere duniya jeetne walon tum bhi jara ye sun lo jab boond hi na hogi to sagar kaise banega, jab tail hi na hoga to deepak kaise chalega, agar koi peechhe na ho to aage kaun badega, jinhe kuch na samjhte ho aaj tum agar wo hi na hoga to kal tumhare jane ke baad uss jagah ko kaun bharega................

Wednesday, 17 July 2013

हर जगह वो आज भी मुझे मिल जाती है- श्रधान्जली उसके लिए जो नहीं है अब दिल के सिवा इस दुनिया में



वो नहीं  है अब लेकिन हर कहीं वो आज भी मिल जाती है, बन के सितारा आसमान में चमकती है वो  फिर भी  धरती पे दिख जाती है,लोग कहते है मुझसे वो चली गयी  है दूर तुझसे इतना की न देख  सकोगे उसे फिर  जो रखते हो दिल में उससे मिलने की तमन्ना, कैसे समझाऊ लोगो को मैं मुझे तो हर किसी की  सूरत में बस छवि उसकी ही दिख जाती है, वो नहीं है  भले आज मेरे  साथ पर हर कही और हर जगह वो आज भी मुझे मिल जाती है। 


 श्रधान्जली उसके लिए जो नहीं है अब दिल के सिवा इस  दुनिया में 


पौराणिक कथा- भगवन बुध की एक सच्ची घटना भाग ३ (pauranik katha- bhagwan budh ki ek sachhi ghatna bhaag 3)


बहुत पुरानी बात है एक बार भगवान् बुध किसी गाँव में पहुचे तो वह एक स्त्री ने उन्हें अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया भगवन बुध मान गए और उसके घर भोजन हेतु जाने लगे किन्तु तभी समस्त गाँव वाले वहाँ एकत्रित हो गए और कहने लगे की भगवंत आप उसके घर कृपया भोजन न करे क्योंकि ये स्त्री चरित्रहीन है और यदि आपने इसके यहाँ भोजन किया अथवा आप इसके घर भी गए  तो आप भी अशुद्ध हो जायंगे,  उनकी बात सुन कर बुध बोले भीड़ में से केवल वो ही लोग निकल कर मेरे सामने आये जो कभी भी इस स्त्री के संपर्क में ना आये हो अथवा जो कभी खुद इस स्त्री के घर ना आये हो, उनकी बात सुन कर धीरे धीर लोग वहा से जाने लगे और भीड़ भी तितर बितर हो गयी, ये देख कर उस स्त्री ने भगवन बुध से कहा की प्रभु आपने तो मुझे धन्य कर दिया, उसकी बात सुन कर प्रभु बोले कोई भी व्यक्ति किसी कार्य के लिए अकेले ही अपराधी अथवा ज़िम्मेदार नहीं होता, व्यक्ति के कर्म और व्यवहार को उसके आस पास के लोगो और उनके द्वारा तैयार वातावरण इसका प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार होता है।