Wednesday 2 October 2013

जानवर-इंसान और सीख- आर्टिकल





       मुझे लगता है दुनिया में अगर सारे जानवर मार जाए तो ये दुनिया कितनी फीकी और बेकार सी लगेगी, कहने को तो वो सिर्फ़ बेज़ुबान जानवर है लेकिन अगर देखा जाए तो हूमे  उनसे  बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है, कितनी अजीब बात है इंसान जो खुद को सभ्या और संस्कारी कहता है, खुद को बहुत ही बुधहिमान कहता है लेकिन उसी  के द्वारा बनाई गयी सामाजिक व्यवस्था  में अनेकों बुराइया  है, अनेकों भेद भाव है कही जाती के नाम तो  कही धर्म के नाम तो कही देश के नाम पर तो कही सभ्या और संस्कारी  के नाम पर तो कभी भाषा के नाम पर, लेकिन जानवरों की दुनिया इन सबसे दूर  है.


  दुनिया का हर जानवर अपनी प्रज़ाती  की भाषा समझता है, उन्न सबकी सभ्यता और रहण-सहन का ढंग  एक सा होता है, दुनिया के हर जानवर अपनी प्रजाति के प्रति सच्चाई होती है, चाहे तो दुनिया के किसी भी कौने में रहे पर जब भी कभी दो अलग अलग देश के जानवर अपनी प्रजाति से मिलते हैं तब ना तो भाषा  उनके लिए भाधा बनती है और ना सभ्यता.



    कहने को तो वो जानवर है पर यदि इंसान उन्हे ठीक से देखे और समझे तो इंसान उनसे बहुत कुछ सीख सकता, इंसान को उनसे प्यार, बेवज़ह के धर्म, जाती, सभ्यता, संस्कराती, भाषा के झगड़े, स्त्री पुरुष में भेद-भाव जैसी भावना, छेड़-छाड़ बलात्कार और घ्रानित कार्यो जैसी घटनाओ को ख़त्म करने की सीख मिलेगी क्योंकि इन जानवरों की दुनिया में ऐसा कुछ नही होता, जानवर अपने प्रजाति में कभी किसी के साथ किसी भी तारह का भेद भाव और घ्रानित कार्य  नही करते, लेकिन इंसान आज इतना गिर चुका है की हर इंसान को खुद पे शर्म आनी चाहिए और इन बेज़ुबान जानवरों से शिक्षा लेनी चाहिए.



एक ओर  इंसान खुद को सभ्या कहता है और दूसरी तरफ उसमे ये बुराईया  मौज़ूद है उसमे , अब जिसमे इतनी  बुराईया हो तो वो कैसे सभ्या हो सकता है, सच्च तो ये है इंसान को ईश्वर से कुछ ज़्यादा ही शक्ति  मिल गयी, उसकी शारीरक रचना भी ऐसी है की वो इन जानवरो  से ज़्यादा कार्य  कर सकता है, उससे बुध्हि दी है भगवान ने की वो अपने देखे हुए ख्वाबों को पूरा कर सकता है, किंतु इन सबके साथ वो उन बातों को भूल गया है जो उससे इंसान बनाती  है, और इंसान बनने के लिए प्रत्येक  वयक्ति को इन जानवरों से ही ये शिक्षा लेनी होगी, जो मानव और मानव में  उत्पन्न बुराईया को  उन्हे ख़त्म करना होगा,
 


  दोस्तों अगर हम अपने घर में कोई पालतू जानवर लाते है और एक वक्त बाद उसकी मृत्यु हो जाती है (जैसे की सबको पता है उनकी उम्र  इंसान से कम होती है और वो जल्द ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं) तब घर में शोक की लहर आ  आती है, लेकिन अगर अपना गम किसी इंसान से कहो तो सबसे पहले वो हस्ते  हैं की क्या जानवर ही तो मरा  है, एक जानवर के लिए इतना शोक क्यों, और अगर है भी तो दूसरा ले आना सिंपल, लेकिन ऐसा कहने वेल मुझे ये बताए चलिए जिनका पालतू जानवर मृत्यु को प्राप्त हुआ है वो तो दूसरा लेते आयंगे लेकिन उसके मृत्यु को पाने से पहले उसका मालिक मार जाता तो क्या वो भी अपने लिए दूसरा मालिक ढूंड लेता, जाहिर सी बात है वो ऐसा नही करता, इससे सॉफ है जो प्यार एक जानवर ने किया अपने मालिक से हम इंसान उससे वो प्यार कभी न्ही कर पाए और ना वो जगह दे पाए जो उसने अपने मालिक को दी,

        दोस्तो  ज़िंदगी में कभी कभी ऐसा वक्त आता है इंसान साथ छोड़  जाते हैं और हुमारे आँसू पोच्छने वाला कोई नही होता लेकिन अगर इन  जनवरो से सच्ची दोस्ती की जाए और इन्हे प्यार दिया जाए तो हम ना सिर्फ़ सबसे अच्छा और वफ़ादार दोस्त पाते  है बल्कि एक सच्चा साथी मिलता है  जो हर खुशी और दुख में बराबर साथ निभाता है हमारा , दोस्तों अभी हाल ही में मेरे 13 साल के पेट की मृत्यु  हुई और उसका अंतिम  संस्कार करने हम गये, क्या आप यकीन करेंगे वाहा पर मौज़ूद सभी पेट उसके अंतिम दर्शन करने  के लिए आ गये और उसके बाद रोती  हुई मेरी मा को चुप करने लगे जैसे बोल रहे हो रो मत हम सभी को एक दिन यहीं आना है, उनका ऐसा प्यार देख कर उस  दुख की घड़ी में मेरी आँखे भी और भर आई.

      दोस्तों सच  तो ये ही है हम इंसान जो खुद को बहुत ही समझदार और भावनशील समझते हैं वाकई में ऐसे नही है, हम इंसान बहुत ही स्वार्थी, भावनहीं, ख़ुदग़र्ज़ और समस्त बुराइयों से लबालब है, इतनी बुराए है ह्मारे अंदर की हमारे अंदर जो  किसी की अच्छाइया नज़र ही नही आती, आज इंसान इंसान की अच्छाई को नही समझता तो इन बेज़ुबानों की अच्छाइयों क्या समझेगा और उनसे सीख लेगा, लेकिन अगर इंसान उनसे सीख उनसे सीख ले कर अपने बुराइयों का त्याग कर दे तो वो सच में इंसान बन जाए क्योंकि जानवरों की अच्छाइयों से सीख लेने पर हम एक अच्छे नागरिक ही नही अच्छे इंसान बन कर ईश्वर द्वारा श्रीष्टि की रख़्शा के कार्य में पूर्ण  सहयोग दे कर ईश्वरिया कार्य में भी सहयोग  दे कर उनके भी प्रिय हो सकते हैं और अपने इस मानव जीवन को सफल बना सकते हैं...




Thanks & Regards

      Archu

Meethi Khushi 







Sunday 29 September 2013

ज़िंदगी बहुत छोटी है

ज़िंदगी बहुत  छोटी  है या ईश्वर  ने ही किस्मत मे साथ सिर्फ़ इतना सा ही लिखा था, कुछ दिन रहना साथ फिर जुड़ा होना लिखा था, रब ने उन्हे चुन लिया अपने लिए

और हमे  उमर भर जीते जी    मौत के  इंतज़ार मे बिन उनके 
पल पल मारना था

Saturday 28 September 2013

ऐ खुदा

जिसपे लुटाई ये ज़िन्दगी सारी ऐ खुदा उन्ही से क्योँ लिख दी ज़ुदाई हमारी, सुना था मोहब्बत नाम है खुदा का पर ऐ मेरे खुदा तू ये तो बता क्योँ आखिर मुझसे ये दूरी भी तूने बना ली, जब जब पूजा मैने तुझको तब तब तूने दी खुशियाँ पल दो पल की फिर क्योँ जता दी अपनी लाचारि, माना अहसान किया तूने मुझे कभी अपना बना कर पर जरा तू ये तो बता जब तुझे बैवफा बन कर मुझसे जुदा होना ही था तो अपनी ये झूठि वफादारी क्योँ जताई थी

तेरे पास आने को जी चाहता है

तेरे पास आने को जी चाहता है, तेरा हो जाने को जी चाहता है, है भले आज तू नजरोँ से मेरी पर तेरी ही यादोँ मेँ रह कर सदा के लिये सो जाने को जी चाहता है

है जीने के सौ बहाने मेरे पास

"  है जीने के  सौ बहाने मेरे पास पर जीने की ख्वाइश अब नही रही"

लोग हैं आते लोग जाते है,

" लोग हैं  आते लोग  जाते है, लोग जीते हैं लोग  मरते है, एक हम ही है ऐसे जो थे जैसे पहले आज भी वैसे है, जीती मारती इस दुनिया में केवल अश्क बहाने क लिए हम अभी तक जीवित है, मौत भी अपना आलीगन नही करने देती और ज़िंदगी भी है पल पल मुझे आँसू देती, डूबती इस दुनिया में सब डूबते है एक हम ही वही है जहाँ पहले खड़े थे आज वैसे ही खड़े हैं तन्हा और अकेले"

hu kitni akeli tere jane ke baad-हू कितनी अकेली तेरे जाने के बाद

"hu kitni akeli tere jane ke baad, hu kitni tanha tere jane ke baad, roti hu har wakt main, bahati hu ashk main itne tere jane ke baad, dhadkata to hai ye dil mera par dhadkan nhi hai isme tere jane ke baad, saanse to hain zism mei meri par tere jane ke baad zindagi nahi, sab kuch hai mere paas par ab aage bad kar fir se jine ki ummid nhi,
aaj mujhme main nahi sirf ek zinda laash hu main tere jane ke baad, dur tujhse jane ke baad bhi tere pas hi hu main, bhale jine ki koi chahat nahi mujhe ab par maut pal pal intezar mein hi aaj yu baithi hu main tere jane ke baad"



"हू कितनी अकेली तेरे जाने के बाद, हू कितनी तन्हा तेरे जाने के बाद, रोती हू हर वक्त मैं, बहती हू अश्क मैं इतने तेरे जाने के बाद, धड़कता तो है ये दिल मेरा पर धड़कन नही है इसमे तेरे जाने के बाद, साँसे तो हैं ज़िस्म मेी मेरी पर तेरे जाने के बाद ज़िंदगी नही, सब कुछ है मेरे पास पर अब आगे बॅड कर फिर से जीने की उम्मीद नही,

आज मुझमे मैं नही सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश हू मैं तेरे जाने के बाद, दूर तुझसे जाने के बाद भी तेरे पास ही हू मैं, भले जीने की कोई चाहत नही मुझे अब पर मौतके  पल पल इंतेज़ार में ही आज यू बैठी हू मैं तेरे जाने के बाद"