जिसपे
लुटाई ये ज़िन्दगी सारी ऐ खुदा उन्ही से क्योँ लिख दी ज़ुदाई हमारी, सुना
था मोहब्बत नाम है खुदा का पर ऐ मेरे खुदा तू ये तो बता क्योँ आखिर मुझसे
ये दूरी भी तूने बना ली, जब जब पूजा मैने तुझको तब तब तूने दी खुशियाँ पल
दो पल की फिर क्योँ जता दी अपनी लाचारि, माना अहसान किया तूने मुझे कभी
अपना बना कर पर जरा तू ये तो बता जब तुझे बैवफा बन कर मुझसे जुदा होना ही
था तो अपनी ये झूठि वफादारी क्योँ जताई थी
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