Sunday 1 September 2013

ईश्वर वाणी(ishwar vaani-49)-49

ईश्वर कहते हैं हमे कभी उदास और अवसादग्रस्त नहीं होना चाहिए यधपि हमारा सब कुछ ख़त्म हो जाए, प्रभु कहते हैं जैसे समस्त श्रष्टि के ख़त्म होने के बाद फिर से एक नए शिरे से श्रृष्टि का निर्माण होता है वैसे ही हमारी ज़िन्दगी में भी बहुत कुछ या फिर सब कुछ ख़त्म होने के बाद फिर से एक नयी शुरुआत होती है,


प्रभु कहते हैं जैसे श्रृष्टि में विकृतियाँ आ जाने और उनका चरम्त्शार्ष पर पहुचने पर श्रृष्टि का विनास फिर एक बार विक्रतिविहीन श्रृष्टि का निर्माण होता है वैसे ही मानव जीवन में विकृति के पश्चात सब कुछ ख़त्म होने के बाद फिर से एक विक्रतिविहीन जीवन की शुरुआत होती है,


प्रभु कहते हैं सब कुछ नष्ट होने के पश्चात फिर से एक नयी शुरुआत को होना ही प्रकृति का नियम है, जैसे पतझड़ में पत्ते झाड़ते हैं फिर से नए पत्ते आते हैं, जैसे ऋतुओं का बदलना भी निश्चित है  जैसे हमारे सर्र से बाल गिरते और फिर नए बाल आते हैं, जैसे दिन के ढलने के बाद रात और रात के बाद फिर से दिन आता है, जैसे दिन, महिना और साल बदलते हैं वैसे ही हमारी ज़िन्दगी बदलती है,


ईश्वर कहते हैं हमे इस बदलाव से घबराना नहीं चाहिए अपितु सहर्ष स्वीकार करना चाहिए क्यों की ईश्वर ने हर बश्तु को निर्धारित किया है और उनके द्वारा निर्धारित हर वश्तु को स्वीकार कर एवं बदलाव के नियम को स्वीकार कर  अपने सभी अवसादों का त्याग कर अपने जीवन में सदेव प्रसन्न रह सकते  है… 




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