Thursday 26 September 2013

ए मौत तू खुद पे मत इतरा इतना

"ए मौत तू खुद पे मत इतरा इतना, नही  है कोई शक्ति तुझमे, मत कर तू खुद पे घमंड इतना, तेरी हर तरफ मुझे तो बस बेबसी ही देखती है,

तुझे तो बहानो का सहारा लेना पड़ता है किसी के  पास आने क लिए, तू तो कमजोर है इतनी की अकेले कही आ जा तक नई सकती, तुझसे बेहतर तो है ये ज़िंदगी जिसमे भले ना हो कोई वज़ह ज़ीने की फिर भी चलती जाती है,बस एक तू ही निरबल वास्तु है जो इतराती तो खुद पे खूब है पर कही जाने क लिए किसी बहाने को साथ लेने पर भी बड़ी मज़बूर है,

ए  मौत अब तो मान ले मेरी बात यू इठलाना छोड़  दे, जो पल मिले है साथ जीने के  इन्हे अपनो के   साथ बिताने दे, चलने को तैयार  हूँ संग तेरे बिना बहाने के  बस तू भी कर वादा  मुझसे यू सबको  अब तू डरना छोड़  दे  "

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