Wednesday 7 May 2014

मुझे ही क्यों मिला बेवफा यार हर बार.





दिल पूछता है ये मेरा बार-बार आखिर मुझे ही क्यों मिला बेवफा यार हर बार, क्या की ऐसी खता मैंने ऐ खुदा तू ही मुझे अब बता,

क्या हुई भूल ऐसी जो झूठा सनम मुझे ही मिला हज़ार-बार,आखिर थी क्या वज़ह ऐ खुदा तू ही मुझे अब बता जो दिल के इस रिश्ते में दोखा मुझे युः ही मिला हर बार ,

दिल पूछता है ये मेरा क्यों फरेबी आशिक मुझे ही मिला बार-बार, क्यों दिल से खेलने वाला ही हर शख्स मिला मुझे ही यु सेंकडो बार,

दिल पूछता है ये मेरा बार-बार आखिर मुझे ही क्यों मिला बेवफा यार हर बार, दिल पूछता है ये मेरा बार-बार आखिर मुझे ही क्यों मिला बेवफा यार हर बार.


Monday 5 May 2014

सलाम भेजा है…।

सूरज की किरणों संग पैगाम भेजा है, हमने अपने सनम को सलाम भेजा है, फुरत मिले तो पड़  लेना इसे,

 हमने आंसुओं से लिख कर अपना हल-ऐ-दिल का बयां लिखा है, अगर वक्त मिले तुम्हे तो जवाब भेज देना, 

 कागज कलम से लिख कर नहीं बस चाँद से कह देना चांदनी संग अपने दिलबर को आज जवाब भेजा है,
कोई तोहफा या ईनाम नही, कोई फूल या गुदस्ता नही,


रात की इस रागिनी के साथ अपने लबोँ की हसीँ को उनके
साथ  भेजा है, मैने अपनी हर खुशी को उनके  पास  भेजा है, जिन्दगी के हर लम्हे को मेने उनके नाम भेजा है, 


मेने अपने दिलबर को  बस  ये आज सलाम भेजा है, चाँद की चाँदनी संग आज ये पैगाम भेजा है,

मैने अपने दिलबर को ये सलाम भेजा है, मैने अपने दिलबर को ये सलाम भेजा है…।


एक सच्चा हमसफ़र…।

लोग कहते हैं ब्रेक अप  के बाद आपके पास गम और तन्हाई और बीती बातो को याद कर रुलाई के सिवा और कुछ नहीं रह जाता, पर हम कहते हैं जिन रिश्तो में ब्रेक उप हो वो रिश्ता कहा है मज़बूत कहलाता, जहाँ होगा प्यार सच्चा न होगी कोई जगह दूरियों के लिए और न होगा कोई फासला अपने सनम के लिए, ब्रेक उप तो नाम बहुत दूर है जहाँ होगा सच्चा प्यार वह तरसेंगे दो दिल झगडे के लिए,



और अगर बात बात पे बात बिगड़े और होने लगे झगडे तो तोड़ कर ऐसे रिश्ते अकेले रहना ही हर शख्स बेहतर समझे, रोने-धोने और आंसू बहाने से क्या फायदे, ऐसे रिश्ते को ढोने से भी नहीं मिलने वाले है कोई रास्ते, बेहतर हो की मज़िल अलग कर रास्ते भी अलग ढून्ढ ले, जो ढो  रहे है झूठे रिश्ते उन्हें वही पे छोड़ दे,



अपनी ख़ुशी के लिए और अपनों की ख़ुशी के लिए कुछ दिन गम और तन्हाई के  बिता कर फिर से एक नयी चाहत को ढूंढने के लिए कही फिर निकल चले,



अतीत से बस इतना सीखे की इस बार मज़िल और रास्ते की तलाश में दुनिया की रंगीनियों में न कही डूबे, मिल जाएगा एक सच्चा हमराही कभी तो ये हौसला इस ज़िन्दगी में यु ही बनाये रखे,


चलते चलते अकेले राहों में टोकने वाले हज़ार मिलेंगे, चलते चलते  अकेले राहों में राह भटकाने वाले हज़ार मिलेंगे पर दिल से न लगने देना उनकी हर बात को , चलते रहना यु राह में चाहे आंधी आये  बरसात हो,


मिल जाएगा एक दिन वो हमनशीं चाहे बीते ज़िन्दगी के कितने दिन या बीती कई रात हो, ढोये हुए झूठे रिश्ते से दूर एक सच्चे रिश्ते की तलाश में घुमते हुए इधर उधर मिल ही जाएगा एक दिन वो राही और एक सच्चा हमसफ़र चाहे ज़िन्दगी के कितने हि दिन फ़िर  अब साथ हो …। 

हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है

हर शख्स ने मुझसे मुह मोड़ा है, हर किसी ने मुझे यु छोड़ा है, करा वादा सभी ने सदा साथ निभाने का, 

पर हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है, हाथ थाम कर चला हर कोई कुछ दूर तक संग मेरे फिर बीच मझधार में मुझे ला कर छोड़ा है, 

दोष दू तो किसे दू, आखिर मेरे नसीब में ही ये सब लिखा है, होते है ज़माने में कुछ भले भी लोग पर कैसे मानु मैं ये क्योंकि मुझे तो हर शख्स ने उस शैतान के भरोसे ही यहाँ  छोड़ा है, 

मिला नहीं मुझे कोई मेरे दुःख को कम करने वाला, और जिसने पूछा मेरे दिल का गम उसीने मुझे हैवानो के पास छोड़ डाला, 

अपना बन कर आया हर कोई करीब मेरे फिर करके तबाह मेरी ज़िन्दगी उसने भी मुझे खुदसे है दूर कर डाला, 

पर दोष किसी का नहीं मेरे नसीब का है शायद ला कर चौखट पर हर ख़ुशी मेरी हर शख्स ने मुझसे मुह मोड़ा है, 

हर किसी ने मुझे यु छोड़ा है, करा वादा सभी ने सदा साथ निभाने का, पर हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है, 

हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है

तू ही तो मेरा प्यार है

तू ही  तो मेरा प्यार है , तू ही तो मेरा संसार है, तुझसे ही तो  है  इस  जीवन में मेरी हर ख़ुशी, तुझसे ही तो है  इन लबों पे हसीं ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,


बिन तेरे न जी सकुंगी मैं अब अकेले ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी, तुझसे ही तो है सुबह ये मेरी तुझसे ही तो है शाम मेरी, ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,


बिन तेरे सीने में  धड़केगा ये दिल जरूर पर न होगी कोई जिस्म में मेरी हलचल और न होगी दिल में जीने की कोई आरज़ू,


बिन तेरे साँसे होगी जिस्म में मेरे पर ज़िन्दगी नहीं, बिन तेरे रहूंगी ज़िंदा सबके लिए पर खुदमें ज़िंदा मैं नहीं,


बिन तेरे हूँ एक ज़िंदा लाश की तरह, घूमती रहूंगी  हर कही हवा के  झोखे से   उड़ते हुए उस पत्ते की तरह,


ऐ मेरे हमसफ़र ऐ मेरे हमनवा बिन तेरे अब कुछ भी नहीं मैं, बिन तेरे मुझमे नहीं अब मैं,


तू ही तो मेरी ज़िन्दगी है, तू ही तो मेरी बंदगी है, तू ही तो मेरी आशिकी है, तू ही तो मेरी हर ख़ुशी है ओ  मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,

तू ही  तो मेरा प्यार है , तू ही तो मेरा संसार है, तुझसे ही तो  है  इस  जीवन में मेरी हर ख़ुशी, तुझसे ही तो है  इन लबों पे हसीं ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,

तू ही  तो मेरा प्यार है , तू ही तो मेरा संसार है, तुझसे ही तो  है  इस  जीवन में मेरी हर ख़ुशी, तुझसे ही तो है  इन लबों पे हसीं ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,

Sunday 4 May 2014

ख़ुशी की जगह गम हर बार देती है

ये ज़िन्दगी मेरी क्यों ये मौके बार-बार देती है, ख़ुशी की जगह गम हर बार देती है,

हम तो ज़िन्दगी नाम कर देते हैं उन्हें  दुनिया अपनी मान कर पर वो धोखा दे कर चले जाते हैं हमे अपनी शान समझ कर,
 जिसे भी मानते हैं अपना वो ही क्यों बन  जाता है  बेगाना, शायद रिश्ते बनाने में कमी कही मुझसे ही हो जाती है या फिर रिश्ते निभाने में गलती कही मुझसे ही हो जाती है, 

शायद तभी हर दफा लबों पे मेरी मुश्कान की जगह आँखों में आँसू  हर बार ये ज़िन्दगी मेरी   मुझे दे जाती है, 

शायद तभी ये  ज़िन्दगी मेरी ये मौके बार-बार देती है, ख़ुशी की जगह गम हर बार देती है,
ख़ुशी की जगह गम हर बार देती है

Thursday 1 May 2014

कौन हूँ मैं

किसी ने पूछा मुझसे कौन हूँ मैं, हिमालय से बहती सरिता हूँ या किसी कवि की कविता हूँ, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, पथ से भटकी हुई कोई पथिक हूँ या मज़िल की तलाश में चलती हुई राही हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, किसी बाग़ की लता हूँ मैं या किसी बगीचे की माली हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, चलते-चलते थक जब बैठ जाती हूँ तो सोचती हूँ की आखिर कौन हूँ मैं, है वज़ूद क्या मेरा इस जहाँ में, आखिर क्यों हूँ मैं इस जहाँ में, आखिर किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

न किसी शायर की ग़ज़ल हूँ मैं ना  किसी लेखक का निबंद हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, आँखों से बहते अश्को का सैलाब हूँ मैं या किसी बाग़ का तालाब हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, ज़िन्दगी की तलाश हूँ मैं या ज़िन्दगी से निराश हूँ मैं,किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, गगन में उड़ता परिंदा हूँ मैं या ज़मीन पे हूँ इसलिए खुदसे ही शर्मिंदा हूँ मैं,किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, हूँ एक आम सी शक्शियत में या कुछ ख़ास भी हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, पर्वतो से बहता झरना हूँ मैं या फलक से चमकता कोई सितार हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, सागर की गहराई हूँ मैं या आकाश की उचाई हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, किसी झील की धारा हूँ मैं या किसी हिमखंड का सहारा हूँ मई, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, रेगिस्तान सी वीरान हूँ मैं या हिमशिखर की सविता हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, हिमालय से बहती सरिता हूँ या किसी कवि की कविता हूँ, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

 किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, हिमालय से बहती सरिता हूँ या किसी कवि की कविता हूँ, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,
आखिर मुझसे की कौन हूँ मैं,
आखिर मुझसे की कौन हूँ मैं,