Tuesday 22 May 2018

चंद अल्फ़ाज़

"मैंने आज इश्क का ये पैगाम लिखा
इस महफ़िल में फिर सरेआम लिखा
कबूल कर न कर मर्ज़ी तेरी हमनशीं
दिल ने धड़कनो पर तेरा नाम लिखा"


"इश्क का दरिया युही बहने दो
दिलकी बात ज़ुबा पर आने दो
न रोको तुम अपने ज़ज़्बातों को
दिल से धड़कन की बात होने दो"



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